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लोकसभा का शीत सत्र : एसआईआर पर चर्चा को लेकर संसद में संग्राम, विपक्ष के रवैए पर भड़के स्पीकर, पढ़ाया शिष्टाचार का पाठ

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Author : admin

Published : 02-Dec-2025 12:44 PM

नई दिल्ली। लोकसभा का शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। मंगलवार को भी सदन की कार्यवाही विरोध और नारेबाजी के बीच शुरू हुई। विपक्षी सांसदों ने एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। एसआईआर पूरे देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनावी मतदाता सूची का विशेष समीक्षा का कार्यक्रम है।

जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ, विपक्षी सांसद अपने-अपने स्थानों से उठकर जोर-जोर से नारे लगाने लगे और चिल्लाने लगे, एसआईआर पर चर्चा करो। उन्होंने इस मुद्दे पर तत्काल बहस की मांग की। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बार-बार सांसदों से उनके स्थानों पर लौटने और सदन की कार्यवाही जारी रखने का अनुरोध किया, लेकिन नारेबाजी लगातार जारी रही।

यह बोले ओम बिरला

इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए स्पीकर ने कहा, आज जो व्यवहार मैं सदन और सदन के बाहर देख रहा हूं, जिसमें सांसद संसद के बारे में बोल रहे हैं, वह न केवल संसद के खिलाफ है बल्कि देश के खिलाफ भी है। लोकतंत्र में विपक्ष होता है, लेकिन गौरव और शिष्टाचार होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, जो दुनिया का मार्गदर्शन करता है, हमारी संसदीय परंपराएं और गरिमा उच्चतम स्तर की होनी चाहिए। सदन में विरोध का स्वर कम नहीं हुआ और सदन को दोपहर तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

उथल-पुथल भरे माहौल में हुई थी सत्र की शुरुआत

बता दें कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत उथल-पुथल भरे माहौल में हुई थी, जब सोमवार को लोकसभा में बिहार विधानसभा चुनावों में कथित श्वोट चोरीश् के आरोप और एसआईआर प्रक्रिया को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को असंयमित व्यवहार से बचने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि संसद में श्ड्रामाश् नहीं होना चाहिए और संसदीय ध्यान नीति निर्माण पर होना चाहिए, न कि नारेबाजी पर।

पीएम ने कल विपक्ष को दी थी नसीहत

मीडिया संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ड्रामा करने के लिए बहुत सी जगहें हैं। जो कोई भी करना चाहता है, वह करता रहे। यहां ड्रामा नहीं, बल्कि डिलीवरी होनी चाहिए। नारों के लिए भी पूरा देश मौजूद है, जहां चाहो नारे लगाओ। तुमने वहां नारे लगाए जहां तुम हारे थे, अब वहां नारे लगाओ जहां तुम हारोगे। हालांकि, यहां फोकस नीति पर होना चाहिए, नारों पर नहीं।

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