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भोपाल। राजधानी भोपाल के नजदीक सीहोर स्थित वीआईटी विश्वविद्याल के छात्र विद्रोह का मामला विधानसभा के बाद राज्यसभा में भी गूंजा। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अशोक सिंह ने 25 नवंबर की रात वीआईटी विवि में हुए घटनाक्रम को राज्यसभा में उठाते हुए कहा कि वे यह मांग करते हैं कि इस मामले में सरकार संज्ञान ले और खाद्य सुरक्षा उल्लंघनों पर जीरो टॉलरेंस नीति रखे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि दूषित भोजन और पानी से हजारों बच्चे बीमार हो गए और सरकारी तंत्र सोता रहा। विवि की कैंटीन को लाइसेंस जारी करने के बाद किसी ने भी जांच नहीं की।
उन्होंने कहा कि VIT विश्वविद्यालय में प्रबंधन के तानाशाह रवैए के खिलाफ छात्रों में आक्रोश पनपा। 25 नवम्बर को वीआईटी विवि में हुई यह घटना एक गंभीर चेतावनी है। इस विश्वविद्यालय में स्वच्छ पानी और स्वच्छ भोजन नहीं मिलने से चार हजार विद्यार्थी बीमार हुए हैं। इस विश्वविद्यालय में खाद्य सुरक्षा और मानकों के आधार पर यहां बच्चों को भोजन नहीं मिल रहा है। अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि समय पर जांच करें। उन्होंने कहा कि विश्व विद्यालयों में कैंटीन लाइसेंस के बाद नाम मात्र व्यवस्था का पालन होता है। वीआईटी सीहोर मामले में प्रबंधन का भी तानाशाही रवैया है, जो जांच में सामने आया है। विश्वविद्यालय प्रबंधन छात्रों को दबाकर ऐसे मामले छिपाकर रखता है। विश्वविद्यालय में हुई यह कोई अकेली घटना नहीं है। इसके पहले तेलंगाना, राजस्थान में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।
बुनियादी सुविधाओं में समझौता नहीं होना चाहिए
अशोक सिंह ने कहा कि स्थिति यह है कि कार्रवाई तभी की जाती है जब छात्र अस्पताल पहुंच जाते हैं। ऐसे मामलों में थर्ड पार्टी आडिट की तत्काल आवश्यकता है और यह कागजी कार्यवाही तक सीमित नहीं रहना चाहिए। जल की गुणवत्ता, भोजन सामग्री, कच्चे माल सप्लाई, चेन में पारदर्शिता जरूरी है। भारी भरकम फीस वसूलने वाले ऐसे संस्थानों पर जीवन की बुनियादी जरूरतों के साथ समझौता नहीं करने दिया जा सकता। इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। वे सरकार से आग्रह करते हैं कि इस मामले में संज्ञान लें। उन्होंने यह भी कहा कि ये मामला हमारे संस्थागत ढांचे की विफलता को उजागर करता है।
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