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नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग द्वारा सभी नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को अनिवार्य तौर पर प्री-इंस्टॉल करने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। विपक्ष ने इसे एक जासूसी ऐप करार दिया। विपक्ष के आरोपों पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि यह ऐप अनिवार्य नहीं है और यूजर चाहे तो इसे आसानी से अपने मोबाइल से डिलीट कर सकते हैं या फिर पंजीकरण कर इस्तेमाल कर सकते हैं।
मीडिया से बात करते हुए सिंधिया ने कहा कि सरकार का उद्देश्य आम जनता की सुरक्षा करना है। जैसे-जैसे संचार की सुविधा आम लोगों तक पहुंची है। कुछ लोग इसका इस्तेमाल लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए कर रहे हैं और इसे रोकने में संचार साथी काफी मददगार साबित हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि संचार साथी ऐप के माध्यम से जन भागीदार के जरिए आज तक करीब 1.75 करोड़ फर्जी मोबाइल कनेक्शनों को रद्द किया गया है। इससे करीब 7.5 लाख चोरी मोबाइल फोन को उपभोक्ताओं के पास पहुंचाया है। साथ ही 21 लाख मोबाइल कनेक्शनों को उपभोक्ताओं की रिपोर्टिंग के आधार पर काटा गया है।
उपभोक्ता पर निर्भर करता है ऐप का इस्तेमाल
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संचार साथी का इस्तेमाल पूरी तरह से उपभोक्ता पर निर्भर करता है। यूजर चाहे तो उसे अपने मोबाइल में पंजीकरण के माध्यम से एक्टिव कर सकता है या जरूरत न होने पर उसे अपने मोबाइल से हटा (डिलीट) भी कर सकता है। सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब भारत में उपयोग के लिए निर्मित या आयातित सभी नए मोबाइल हैंडसेटों पर संचार साथी मोबाइल एप्लीकेशन को पहले से इंस्टॉल करने के केंद्र के फैसले को गोपनीयता के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा था।
28 नवंबर को जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, मोबाइल निर्माताओं और आयातकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पहले से इंस्टॉल किया गया संचार साथी एप्लीकेशन अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए पहली बार उपयोग या डिवाइस सेटअप के समय आसानी से दिखाई दे और सुलभ हो और इसकी कार्यक्षमताएं अक्षम या प्रतिबंधित न हों।
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