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नई दिल्ली। अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता पुष्कर राज सभरवाल और इंडियन पायलट फेडरेशन की याचिका पर केंद्र सरकार और डीजीसीए से जवाब मांगा है। याचिका में हादसे की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) की जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसकी जगह सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अगुवाई में स्वतंत्र पैनल बनाया जाए। साथ ही एएआईबी की जांच को तुरंत रोका जाए और सभी सबूत कोर्ट की निगरानी वाली कमेटी को सौंपे जाएं।
बेटे की साख बचाने पिता ने लगाई गुहार
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि हादसे की जांच अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के नियमों के तहत हो रही है। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और वैज्ञानिक है, लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इसमें पायलट की गलती साबित करने की जल्दबाजी हो सकती है। पायलट के पिता ने कोर्ट से अपील की कि उनके बेटे की साख को बचाया जाए। उनका कहना है कि हादसा तकनीकी खराबी, रखरखाव में लापरवाही या अन्य कारणों से हुआ हो सकता है, लेकिन पायलट को दोषी ठहराना गलत होगा।
इंडियन पायलट फेडरेशन ने भी याचिका का किया समर्थन
इंडियन पायलट फेडरेशन ने भी याचिका का समर्थन किया। फेडरेशन का कहना है कि पायलटों की सुरक्षा और सम्मान के लिए निष्पक्ष जांच जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और डीजीसीए को चार हफ्तों में जवाब देने को कहा है। सुनवाई की अगली तारीख बाद में तय होगी। यह मामला विमानन सुरक्षा और जांच प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। हादसे के बाद से परिजन और पायलट समुदाय न्याय की मांग कर रहे हैं।
विमान हादसे में 270 लोगों की हुई थी मौत
12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट 171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इसमें पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल समेत 270 लोगों की मौत हो गई थी। पायलट के पिता ने कहा कि उनके बेटे का 30 साल का करियर बेदाग रहा। इस दौरान एक भी हादसा नहीं हुआ। अब जब पायलट जीवित नहीं हैं, तो वे अपना बचाव नहीं कर सकते। इसलिए निष्पक्ष जांच जरूरी है।
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