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भोपाल। मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को कांग्रेस के तीन विधायकों ने अलग-अलग मामलों पर सरकार को घेरा। विधायक जयवर्धन सिंह, देवेन्द्र पटेल और ऋषि अग्रवाल ने विधानसभा में पूछे गए सवालों के जवाबों पर भ्रष्टाचार और बाल अधिकारों के हनन गिनाए। जयवर्धन सिंह ने कहा कि 7 करोड़ की आबादी वाले मप्र में सरकार ने साइंस हाउस को 12.84 करोड़ जांचों का भुगतान कर दिया। जयवर्धन ने विधानसभा में सवाल पूछा था, स्वास्थ्य विभाग ने जवाब दे दिया है।
जयवर्धन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने विधानसभा में 68 हजार पन्नों का रिकॉर्ड प्रस्तुत किया, जिनके प्रारंभिक अध्ययन में यह सामने आया कि 7 करोड़ की आबादी पर 12.84 करोड़ जांचें दिखाकर फर्जी बिल बनाए गए। एक ही व्यक्ति की दो कंपनियों को अलग-अलग नाम से टेंडर दिया गया। एक ही टेस्ट के अलग-अलग रेट लगाकर भारी लूट हुई।
जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया
जीरों जीएसटी वाली स्वास्थ्य सेवाओं पर 18 फीसदी जीएसटी वसूला गया। ब्लॉक अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्यक केंद्रो में फर्जी रिपोर्ट बनाई गईं। जयवर्धन ने कहा कि कंपनी का मालिक जेल जा चुका है। जिस पर ईडी और आयकर की कार्रवाई हो चुकी है। फिर भी सरकार ने जुलाई 2025 में इसे एक वर्ष का एक्सटेंशन दे दिया। स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण सेवा को निजी कंपनियों के हवाले कर जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया है। मैं मांग करता हूँ कि पूरे प्रकरण की सीबीआई जाँच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाए। यह भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के लोगों की सेहत के साथ किया गया अपराध है।
विधायक देवेन्द्र पटेल ने यह भी लगाया आरोप
पत्रकारों से चर्चा में विधायक देवेन्द्र पटेल ने कहा कि रायसेन में छोटे बच्चों से स्कूल में झाड़ू लगवाना, साफ-सफाई कराई जा रही है। कई स्कूलों में हफ्ते में 3-4 दिन ताले लगे रहना, जिससे पढ़ाई बाधित। शिक्षक नियमित रूप से स्कूल नहीं आ रहे। वहीं विधायक ऋषि अग्रवाल ने कहा कि गुना जिले के फतेहगढ़ संदीपनी विद्यालय में 34 छात्रों के नाम से फर्जी खाते बनाए गए और राशि अन्य खातों में ट्रांसफर कर दी गई। उदाहरण के तौर पर शिवपुरी की कक्षा 12 की छात्रा मुस्कान कुशवाह की राशि बिहार राज्य में पहुँच गई। उन्होंने सवाल उठाया कि यह पैसा किसके खाते में गया और बच्चों की प्रोफाइल किसने अपडेट की।
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