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बप्पा के उत्सव का श्रीगणेश कल से : रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग में करें गणपति की स्थापना, पाएं सफलता

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Author : Ganesh Sir

पब्लिश्ड : 26-08-2025 11:25 AM

अपडेटेड : 26-08-2025 05:55 AM

भोपाल । कल यानि बुधवार को भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन से गणेशोत्सव का श्रीणेश भी होता है, जो दस दिनों तक धूमधाम से चलता है। 10 दिनों तक चलने वाले गणेश चतुर्थी के पहले दिन गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना करते हैं और विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं। पंचांग के अनुसार, 26 अगस्त को दोपहर 1ः59 बजे से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि शुरू होगी और 27 अगस्त को दोपहर 3ः44 बजे तक रहेगी।

पंचांग के अनुसार, मूर्ति स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त भी अच्छा होता है लेकिन इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर के 12 बजकर 22 मिनट से होकर 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस दिन रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी रहेगा। रवि योग ज्योतिष में एक शुभ योग है। यह योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चैथे, छठे, नौवें, 10वें और 13वें स्थान पर होता है। इस दिन आप किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित काम की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

भक्त घरों और सार्वजनिक पंडालों में स्थापित करते हैं बप्पा की मूर्तियां

सर्वार्थ सिद्धि योग तब बनता है जब कोई विशेष नक्षत्र किसी विशेष दिन के साथ आता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसका मुहूर्त 27 अगस्त की सुबह 5 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। चतुर्थी तिथि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को शुरू होती है और 10 दिनों तक चलती है, जिसे अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त किया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में, विशेषकर महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, कर्नाटक और तेलंगाना में, बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान, लोग अपने घरों और सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियां स्थापित करते हैं।

इन दस दिनों में गणेश जी को लगते हैं पसंदीदा भोग

इन 10 दिनों में, भगवान गणेश की मूर्ति की पूजा, मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। लोग गणेश जी को उनके पसंदीदा मोदक और लड्डू का भोग लगाते हैं। दसवें दिन, भक्त गणेश जी की मूर्तियों को विसर्जन के लिए भक्तों की रैली ले जाते हैं और उन्हें नदी, समुद्र या तालाब में विसर्जित करते हैं। यह विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि भगवान गणेश अपने भक्तों के घरों से विदा लेकर अपने धाम लौट रहे हैं। यह त्योहार एकता, खुशी और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना विधि

इस साल गणेश चतुर्थी पर पूजा और स्थापना के लिए 2 घंटे 34 मिनट का शुभ मुहूर्त है। गणपति स्थापना के लिए आप मिट्टी से बनी मूर्ति खरीदें, जिसमें गणेश जी के आंख, नाक और अन्य सभी अंग अच्छे से बने हों। ये भी ध्यान रहे कि मूर्ति खंडित न हो। भगवान गणेश के साथ उनका वाहन मूषक भी हो। गणेश चतुर्थी को आप स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें। उसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें। फिर पूजा स्थान की सफाई कर लें, जहां पर गणेश जी की मूर्ति स्थापना करनी है। उसके बाद ईशान कोण, पूर्व या उत्तर दिशा का चयन करें, जिधर गणेश जी का मुख होगा।

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