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सांदीपनि स्कूलों में प्रेरक प्रयास की अभिनव पहल:अनुकरणीय प्रयासों के लिए सराहा गया 950 स्कूल लीडर्स को
भोपाल। मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित सांदीपनि विद्यालय शिक्षण नेतृत्व और शैक्षिक वातावरण में गुणवत्ता के नये मानक प्रस्तुत कर रहे हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इन विद्यालयों में शिक्षकों को उनके नवाचारी प्रयासों के लिये राज्य स्तरीय पहचान प्रदान करने तथा उनके प्रोत्साहन के लिये प्रेरक प्रयास कार्यक्रम की अभिनव पहल प्रारंभ की गई है। इस पहल से विद्यालयों के स्कूल लीडर्स और शिक्षकों द्वारा किये जा रहे अनुकरणीय एवं प्रभावी कार्यों को हर सप्ताह राज्य स्तर से सभी विद्यालयों में विस्तारित किया जा रहा है।प्रेरक प्रयास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सांदीपनि विद्यालय स्तर पर हो रहे हर सकारात्मक प्रयास, चाहे वह छोटा हो या बड़ा उनकी समय पर पहचान हो और सबसे सामने लाया जाये। इस प्रयास से सीखने और सिखाने की परंपरा को बढ़ावा मिल रहा है। इस कार्यक्रम में हर सप्ताह विद्यालयों में नेतृत्व, शिक्षण पद्धति, विद्यार्थी की उपस्थिति एवं प्रगति, नवाचार को पहचान कर चयन किया जाता है, जिन्हें तीन श्रेणियों में आरंभकर्ता, प्रयासकर्ता, सर्वोत्तम गुणवत्ता के रूप में बांटा जाता है। उन्हें विद्यालय स्तर पर सम्मानित कर राज्य स्तर पर बढ़ावा देने के लिये बहुरंगीय पोस्टर के माध्यम से सभी शिक्षकों के बीच साझा किया जाता है। प्रदेश में 260 सांदीपनि विद्यालयों में 950 से अधिक शिक्षकों के अनुकरणीय प्रयासों को राज्य स्तर पर पहचान दिलायी गयी है।विद्यांजलि पोर्टल के माध्यम से स्वयंसेवकों को आमंत्रणकेन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विद्यांजलि पोर्टल की शुरूआत की है। इस पोर्टल के माध्यम से स्कूल शिक्षा को सामुदायिक भागीदारी से मजबूत करने के प्रयास किये जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति-2020 में स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में सहभागिता को प्रोत्साहित करने के बिन्दु को मुख्य रूप से जोड़ा गया है। विद्यांजलि एक ऐसा मंच है, जहाँ विभिन्न पृष्ठभूमि से जुड़े लोग जैसे पेशेवर, सेवानिवृत्त, गृहणियां और स्वयंसेवी संगठन अपने समय, कौशल और संसाधनों के माध्यम से शासकीय विद्यालयों की गुणवत्ता सुधार में सहभागी बन सकते हैं। यह पहल स्वच्छ भारत मिशन के अनुरूप शुरू की गयी है।

मापदंडों पर खरा उतरे तो ही मिलेगी मान्यता :कॉलेजों को संबद्धता पाने अब देनी होगी कठिन परीक्षा, क्यूसीआई की टीम करेगी निरीक्षण
भोपाल। अब मेडिकल, नर्सिंग, पैरामेडिकल, डेंटल, आयुष समेत विभिन्न संकायों के 500 से ज्यादा कॉलेजों को संबद्धता हासिल करने के लिए क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) के मापदंडों पर खरा उतरना होगा। संबद्धता से पहले क्यूसीआई की टीम इन कॉलेजों को निर्धारित मानकों पर परखेगी। इसके बाद इसकी रिकमंडेशन पर ही कॉलेजों को मान्यता दी जाएगी।जानकारी के मुताबिक निरीक्षण करने वाली टीम बॉडी कैमरा, जियो टैगिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करती है। निरीक्षण के दौरान मिली कमियों का स्तर देखते हुए सुधार का मौका दिया जाता है। मप्र आयुर्विज्ञान विवि जबलपुर की कार्य-परिषद की 95वीं बैठक में पैरामेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त कॉलेजों की संबद्धता निरंतरता के लिए निर्णय लिए जाने की अनुशंसा की गई है। अब तक कॉलेजों की मान्यता को लेकर भ्रांतियां थीं कि टीम आती है और आधी-अधूरी जानकारी लेकर भी मान्यता दे दी जाती है। नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई जांच में भी कई गड़बड़ियां सामने आई थीं। इन सभी मामलों को देखते हुए अब उत्तर प्रदेश की तर्ज पर क्यूसीआई को मान्यता का काम दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में भी सभी तरह के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता से पहले क्यूसीआई का निरीक्षण बीते साल शुरू किया गया। इसके बाद यहां नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की संख्या 600 से घटकर महज 68 रह गई है। उच्च क्वालिटी मानकों को परखने के लिए ये कवायद है।बताया जाता है कि कॉलेजों की सूची वेबसाइट पर अब तक लोगों को कॉलेज के फर्जी या असली होने को लेकर दुविधा थी। कार्यपरिषद में निर्णय हुआ कि विश्वविद्यालय से संबंद्ध सभी कॉलेजों की सूची अब यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में ऑनलाइन की जाएगी। यह पब्लिक डोमेन में होगी।

मामला उजागर होने के बाद जागा विभाग:सरकारी स्कूलों की किताबें अब 70 नहीं 80 जीएसएम के कागज पर ही छपेंगी, टेंडर प्रक्रिया शुरू
भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को दी जाने वाली निःशुल्क पुस्तकों की गुणवत्ता को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने अहम निर्णय लिया है। अब सरकारी स्कूलों में बांटी जाने वाली किताबें 70 जीएसएम के कागज की जगह 80 जीएसएम के कागज पर ही छपेंगी। इससे इन किताबों की गुणवत्ता में इजाफा होगा। जानकारी के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2026-27 की किताबों की प्रिटिंग के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई। विभागीय जानकारों की माने तो इस बदलाव का लाभ प्रदेश के लगभग एक करोड़ स्कूली बच्चों को मिलेगा।दरअसल, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नि-शुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती है।यह किताबें पहली से बारहवीं तक के बच्चों को दी जाती हैं। किताबों की छपाई का जिम्मा मप्र पाठ्यपुस्तक निगम के पास है। पाठ्यपुस्तक निगम हर साल करीब साढ़े छह करोड़ किताबें छापता है। किताबों के लिए कागज खरीदी व छपाई करीब ढाई हजार करोड़ रुपए में होती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, पहले पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रिटिंग कराई गई किताबों में पहले लॉट में 80 जीएसएम के कागज पर किताबों की छपाई की। बाद में 80 जीएसएस का कागज बताकर उसे 70 जीएसएम कर दिया।सचिव ने जारी किए निर्देशमामला उजागर होने के बद बाद सचिव स्कूल शिक्षा ने पाठ्यपुस्तक निगम को स्पष्ट निर्देश दिए कि किताबें 80 जीएसएस के कागज पर ही प्रिंट होंगी। अब पाठ्यपुस्तक निगम ने किताबों की प्रिटिंग के लिए कागज खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कागज खरीदी 80 जीएसएम पर की जा रही है।

स्कूल शिक्षा विभाग की नई पहल: सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी गुणत्ता सुधारने टीचरों को किया जाएगा प्रशिक्षित, सहयोग करेगा ईएलटीआई
भोपाल। मप्र सरकार छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसा देखने को मिल मिलता रहता है। इसी कडी में सरकार अब एक और नई पहल करने जा रही है। दरअसल सरकारी स्कूलों के टीचर बच्चों को अंग्रेजी किस तरह से पढाएं इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इसकी विशेष व्यवस्था की जा रही है। प्रशिक्षण के लिये भोपाल में एक राज्य स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान इंग्लिश लर्निंग ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट (ईएलटीआई) कार्यरत है। यह संस्थान राज्य के समस्त शासकीय, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षण संस्थानों में इंग्लिश भाषा संबंधी अकादमिक और प्रशिक्षण के क्षेत्र में मार्गदर्शन एवं सहयोग कर रहा है। ईएलटीआई संस्थान इंग्लिश भाषा अध्यापन क्षेत्र में सतत उन्नयन एवं स्तरीकरण के लिये हैदराबाद के इंग्लिश एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (ईएफएलयू) से सहयोग प्राप्त कर रहा है।प्रशिक्षण के लिए एलटीआई ने तैयार किया कैलेंडरस्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इंग्लिश भाषा पढ़ाने वाले शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया है। प्रशिक्षण के लिये ईएलटीआई ने शिक्षण सत्र के लिये कैलेंडर तैयार किया है। संस्थान इंग्लिश भाषा के मूल्यांकन के लिये विभिन्न स्तरों के प्रश्न-पत्रों के निर्माण और अन्य विषय के प्रश्न-पत्रों के अनुवाद कार्य में भी सहयोग कर रहा है। इंग्लिश भाषा के शिक्षकों को प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े डिप्लोमा कोर्स कराने के लिये उनकी चयन प्रक्रिया में भी सहयोग कर रहा है। प्रदेश के ग्रामीण एवं आदिवासी अंचलों में कार्यरत शिक्षकों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन में संस्थान विशेष ध्यान दे रहा है। संस्थान समय-समय पर विभिन्न शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता के आकलन एवं मूल्यांकन के कार्यों को भी सतत रूप से कर रहा है।इंग्लिश ओलम्पियाडसंस्थान ने पिछले वर्ष इंग्लिश विषय में कक्षा-2 से 8 के लिये संकुल, विकासखण्ड तथा जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिये ओलम्पियाड प्रश्न बैंक तथा प्रश्न-पत्रों का निर्माण किया था। पिछले वर्ष ओलम्पियाड में शामिल छात्रों की संख्या 10 लाख से अधिक रही। संस्थान ने माध्यमिक शालाओं में इंग्लिश विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिये आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण के लिये मेन्युअल का भी निर्माण किया है। संस्थान ने राज्य द्वारा निर्मित कक्षा-1 से 8 तक की इंग्लिश की पाठ्य-पुस्तकों और एनसीईआरटी से जुड़ी कक्षा-9 से 12 तक की पाठ्य-पुस्तकों के निर्माण में समन्वय का कार्य भी किया है।

ई-अटेंडेंस में अतिथि शिक्षकों की आनाकानी:80 फीसदी ने नहीं लगाई हाजिरी आदेश पर अमल नहीं होने पर विफरे आयुक्त
भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ई-अटेंडेंस व्यवस्था लागू की गई है। लेकिन विभाग का यह फार्मूला जुलाई के पहले पखवाड़े में बुरी तरह फेल होता नजर आ रहा है। जिसके चलते अब विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी फरमान में साफ कहा है कि अगर 18 जुलाई से ई-अटेंडेंस व्यवस्था के अनुरूप उपस्थितति दर्ज नहीं कराने वाले अतिथि शिक्षकों को अनुपस्थित माना जाएगा। विभाग ने सभी जिलों अतिथि शिक्षकों की ई अटेंडेंस की सूची भी जारी की है और कहा है कि इस पर सख्ती से अमल कराएं। गौरतलब है कि विभाग ने एजुकेशन पोर्टल 3.0 में शिक्षकों के साथ अतिथि शिक्षकों के लिए हमारे शिक्षक एप के माध्यम से ई अटेंडेंस लगाने की व्यवस्था एक जुलाई से शुरू की है जिसकी 15 दिन की समीक्षा में 80 फीसदी अतिथि शिक्षकों को ई अटेंडेंस नहीं लगाना पाया गया है।उपस्थिति एप के माध्यम से ही स्वीकार होगीस्कूल शिक्षा विभाग ने चालू शैक्षणिक सत्र में पढ़ाने के लिए बुलाए गए अतिथि शिक्षकों की हमारे शिक्षक एप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराने का फैसला किया है। इसके निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी करते हुए कहा गया है कि शिक्षकों की उपस्थिति एप के माध्यम से ही स्वीकार होगी। इस निर्देश को अतिथि शिक्षक नहीं मान रहे हैं, इसलिए लोक शिक्षण आयुक्त ने इस पर नाराजगी जताई है। विभाग द्वारा जारी निर्देश में इसे अत्यंत खेदजनक बताते हुए कहा गया है कि अस्सी फीसदी अतिथि शिक्षक एप के माध्यम से अटेंडेंस दर्ज नहीं कर रहे हैं जो ठीक नहीं है।विभाग ने कहा है कि सभी अतिथि शिक्षकों को जानकारी भेजें कि अगर ई अटेंडेंस से अटेंडेंस नहीं लगी तो उनका मानदेय का भुगतान नहीं किया जा सकेगा। इसलिए सभी अतिथि शिक्षक 18 जुलाई से अपनी अटेंडेंस लगाएंगे अन्यथा मानदेय से वंचित रहेंगे। 15 दिन में सिर्फ डिंडोरी में 50 प्रतिशत ई-अटेंडेंसविभाग ने सभी 55 जिलों की अतिथि शिक्षकों की जो ई अटेंडेंस रिपोर्ट जारी की है, उसमें सिर्फ डिंडोरी ही ऐसा जिला है जहां 50 प्रतिशत से अधिक अतिथि शिक्षकों ने ई अटेंडेंस लगाई है। यहां ई अटेंडेंस का प्रतिशत 57 है। इसके बाद झाबुआ में 48 प्रतिशत, खरगोन में 45 प्रतिशत, नरसिंहपुर और शहडोल में 44-44 प्रतिशत अतिथि शिक्षकों ने ई अटेंडेंस लगाई है। सबसे कम ई अटेंडेंस वाले जिलों में अनूपपुर का नाम है जहां 17 अतिथि शिक्षकों में से किसी ने भी एक भी दिन ई अटेंडेंस नहीं लगाई है। इसके अलावा निवाड़ी और अलीराजपुर में 7-7 प्रतिशत, मऊगंज और हरदा में 8-8 प्रतिशत अतिथि शिक्षकों द्वारा ई अटेंडेंस लगाने की रिपोर्ट सामने आई है।सबसे अधिक गेस्ट टीचर छतरपुर, सबसे कम अलीराजपुरस्कूल शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक 2678 गेस्ट टीचर छतरपुर जिले में हैं जहां ई अटेंडेंस का प्रतिशत 38 है। इसके बाद सिंगरौली में 2551, शिवपुरी में 2456, सागर में 2464, विदिशा में 2190, कटनी में 2139 अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सबसे कम 15 अतिथि शिक्षक अलीराजपुर में, 17 अनूपपुर में, 18 बड़वानी में, 27 झाबुआ में, 30 डिंडोरी में काम कर रहे हैं।

पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आज से शुरू होगा अतिरिक्त सीएलसी चरण:समय सारणी जारी, कल से पंजीयन
भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग ने मध्यप्रदेश के शासकीय और अनुदान प्राप्त अशासकीय एवं निजी अशासकीय महाविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 स्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए यह अतिरिक्त सीएलसी चरण आज 16 से 31 जुलाई तक आयोजित किया जायेगा। विद्यार्थियों के लिए 16 जुलाई से प्रतिदिन प्रवेश पोर्टल पर महाविद्यालय वार रिक्त सीटों का प्रदर्शन किया जायेगा। विद्यार्थी रिक्त सीटों पर सीधे महाविद्यालय में उपस्थित होकर प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे। विद्यार्थी 16 जुलाई से प्रतिदिन अपराह्न 3 बजे तक पंजीयनध्विकल्प चयन कर सकेंगे।हेल्प सेंटर द्वारा सायं 4 बजे तक प्राप्त आवेदनों का सत्यापन किया जाएगा और सायं 5 बजे मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। मेरिट लिस्ट जारी होने के 24 घंटे के भीतर विद्यार्थियों को प्रवेश शुल्क जमा करना होगा। प्रवेश शुल्क जमा न किये जाने की स्थिति में प्रवेश मान्य नहीं होगा। विद्यार्थियों को निर्धारित अवधि में प्रवेश शुल्क जमा न करने की दशा में, पुनः रीचॉइस करनी होगी। अतिरिक्त सीएलसी चरण की यह प्रक्रिया 31 जुलाई तक ही होगी।\एनसीटीई पाठयक्रमों में प्रवेश में लिए समय सारणीउच्च शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिये एनसीटीई पाठयक्रम (बी.एड., एम.एड., बी.पी.एड., एमपीएड, बीएड एमएड (एकीकृत तीन वर्षीय ) एवं बी.एल.एड. तथा बी.एड. (अंशकालीन तीन वर्षीय) संचालित करने वाले शासकीयध्अशासकीय महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए भी अतिरिक्त चरण की समय सारणी जारी की है। विद्यार्थी 15 से 18 जुलाई तक ऑनलाइन पंजीयनध्आवेदन कर सकेंगे। पंजीकृत आवेदनों के दस्तावेजों का सत्यापन 15 से 19 जुलाई तक होगा। मेरिट सूची का प्रकाशन 21 जुलाई को होगा।विद्यार्थियों के लिए 23 जुलाई को सीट आवंटन किया जाएगा। आवंटित हेल्प सेंटर पर मूल दस्तावेजों, टीसी माइग्रेशन के साथ भौतिक सत्यापन के लिए विद्यार्थियों को उपस्थित होकर 23 से 25 जुलाई तक लिंक इनिशिएट कराना होगा। विद्यार्थियों को आवंटित महाविद्यालय में प्रवेश शुल्क का भुगतान 23 से 26 जुलाई तक करना होगा। आवंटित महाविद्यालय में शुल्क के भुगतान की अंतिम तिथि 26 जुलाई है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रवेश शुल्क का भुगतान किए गए आवेदकों का ही प्रवेश मान्य होगा।

तकनीकी शिक्षा: बीस हजार विद्यार्थियों ने कराए पंजीयन, इनमें 15 हजार 12वीं के आधार पर
भोपाल। मध्यप्रदेश के 124 इंजीनियरिंग कॉलेजों की रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग की द्वितीय चरण की काउंसलिंग जारी है। इसके लिए अंतिम दिन शनिवार तक लगभग बीस हजार विद्यार्थियों ने पंजीयन कराए हैं। इसमें करीब 15 हजार विद्यार्थी 12वीं के आधार पर पंजीकृत हुए हैं। जबकि शेष पांच हजार विद्यार्थियों ने जेईई मेंस के आधार पर पंजीयन कराया है। विभाग पंजीकृत बीस हजार विद्यार्थियों रविवार और सोमवार को पंजीयन में सुधार कराएगा। उन्हें 16 जुलाई तक च्वाइस फिलिंग करने का मौका दिया जाएगा। बता दें कि राज्य के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों की 61 ब्रांच में 62 हजार 584 सीटें हैं।17 को आएगी मेरिट, 21 को आवंटनद्वितीय चरण की काउंसलिंग के तहत तकनीकी शिक्षा विभाग 17 जुलाई को मेरिट जारी करेगा। इसमें कोई आपत्ति नहीं आने की दशा में विभाग 21 जुलाई को आवंटन करेगा। विद्यार्थी 25 जुलाई तक शाम पांच बजे तक फीस जमा कर प्रवेश ले पाएंगे।प्रथम चरण में करीब 15 हजार प्रवेशप्रथम चरण में करीब 15 हजार विद्यार्थियों ने कॉलेज में पहुंचकर प्रवेश ले लिया है। अभी भी करीब करीब 47 हजार सीटें रिक्त हैं। विभाग ने प्रथम राउंड में 23 हजार 765 विद्यार्थियों का अलॉटमेंट जारी किया था। इसमें करीब नौ हजार 201 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। विभाग का अलॉटमेंट पसंद नहीं आने पर विद्यार्थियों प्रवेश के स्थान पर अपग्रेडेशन का विकल्प लिया था। इसमें से आठ हजार 883 विद्यार्थियों को आवंटन जारी किया। इसमें करीब तीन हजार विद्यार्थियों को दोबारा अलाटमेंट रास नहीं आया और उन्होंने प्रवेश छोड़कर दूसरे राउंड में प्रवेश लेना उचित समझा है। इससे जेईई मेंस में पंजीकृत विद्यार्थियों की संख्या पांच हजार पहुंच गई है।

तकनीकी शिक्षा: प्रथम चरण की MBA और MCA सीटों का हुआ आवंटन, 14 जुलाई तक ले सकेंगे प्रवेश
भोपाल। तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रथम चरण की एमबीए और एमसीए सीटों का आवंटन कर दिया है। प्रथम चरण में एमबीए में सीमैट से एक हजार 488 और एमसीए में एक हजार 371 विद्यार्थियों ने प्रवेश लेने के लिए पंजीयन कराए थे। उनकी च्वाइस फिलिंग के बाद विभाग ने मेरिट सूची जारी की थी। विभाग ने एमबीए के 148 कॉलेज की 28 हजार 770 सीटों के लिए एक हजार 332 विद्यार्थियों का अलॉटमेंट किया है। इसी तरह एमसीए के 48 कॉलेजों की चार हजार 345 सीटों के लिए एक हजार 92 विद्यार्थियों का अलॉटमेंट किया है। विद्यार्थी 14 जुलाई तक संस्था में दस्तावेज सत्यापन के लिए उपस्थित होकर प्रवेश ले सकते हैं।द्वितीय चरण की काउंसलिंग में स्नातक स्तर पर पंजीयन किए जाएंगे। इसमें विद्यार्थी 10 से 19 जुलाई तक पंजीयन करा पाएंगे। पंजीयन में सुधार 21 से 23 जुलाई तक होगा। 24 जुलाई को मेरिट लिस्ट जारी होगी। 28 जुलाई को आवंटन होगा। विद्यार्थी एक अगस्त तक दस्तावेजों का सत्यापन कराकर प्रवेश ले पाएंगे। इसके बाद तीन सीएलसी 2 से 14 अगस्त तक होंगी।इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश का आज अंतिम दिनप्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 8 हजार 883 विद्यार्थियों के अपग्रेडेशन के तहत अलॉटमेंट जारी किए गए हैं। गुरुवार तक विद्यार्थी फीस जमा कर प्रवेश ले पाएंगे। इसके बाद विभाग दूसरे राउंड के तहत 12 जुलाई के 12वीं के आधार पर पंजीयन कराएगा। 13 और 14 जुलाई को पंजीयन में सुधार हो सकेगा। विद्यार्थी 16 जुलाई तक च्वाइस फिलिंग कर पाएंगे। विभाग 17 को मेरिट जारी कर 21 जुलाई को आवंटन करेगा। विद्यार्थी 25 जुलाई तक शाम पांच बजे तक फीस जमा कर प्रवेश ले पाएंगे।कल बीसीए और बीबीए का आवंटनप्रदेश के 200 बीबीए और बीसीए कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए करीब 13 हजार विद्यार्थियों ने पंजीयन कराया था। विभाग शुक्रवार को उनके अलॉटमेंट जारी करेगा। इसमें बीबीए में छह हजार 540 और बीसीए में तीन हजार विद्यार्थियों की च्वाइस फिलिंग हुई थी। विद्यार्थी 16 जुलाई तक फीस जमा कर प्रवेश ले पाएंगे।

नीट परिणामों के आधार पर होंगे प्रवेश: मप्र के 18 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों को केंद्र से मान्यता
भोपाल। केंद्रीय आयुष मंत्रालय और नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन ने इस सत्र के लिए मध्यप्रदेश के 18 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दी है। इनमें भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, इंदौर और बुरहानपुर के 7 शासकीय आयुर्वेद कॉलेज और 11 निजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।खास बात यह है कि मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा आयुर्वेद कॉलेजों को मान्यता के मामले में दूसरे नंबर पर है। हालांकि, प्रदेश के 16 अन्य कॉलेजों सहित देशभर के 482 आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर निर्णय अभी बाकी है। मान्यता प्राप्त कॉलेजों और सीटों का विवरण भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद कॉलेज को 75 यूजी और 74 पीजी सीटें मिली हैं। वहीं, भोपाल के स्कूल ऑफ आयुर्वेद साइंस, सरदार अजीत सिंह स्मृति आयुर्वेद कॉलेज, रामकृष्ण कॉलेज ऑफ आयुर्वेद और मानसरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को सौ सौ यूजी सीटों पर मान्यता दी गई है। अब देशभर के सभी आयुर्वेद कॉलेजों में प्रवेश नीट 2025-26 के परिणामों के आधार पर ही होंगे। मध्यप्रदेश में यूजी की लगभग 3000 सीटों सहित देशभर के 598 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों में 42 हजार से अधिक सीटें हैं।बताया जाता है कि मप्र के अलावा असम का 1, छत्तीसगढ़ 3, गुजरात 3, हरियाणा 2, हिमाचल 1, कर्नाटक 13, केरल 1, महाराष्ट्र 33, ओडिशा 4, पांडिचेरी 1, पंजाब 4, तेलंगाना 1, उत्तर प्रदेश 23, उत्तराखंड 7 और पश्चिम बंगाल का 1 कॉलेज शामिल है।

स्कूल शिक्षा: पदोन्नति को लेकर विभाग कल करेगा बडी बैठक, 8 साल की सीआर भी बुलाई
भोपाल। पदोन्नति के नए नियम जारी होने के बाद विभागों ने अब पदोन्नत होने वाले अफसरों की सीनियरिटी और पात्रता के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। स्कूल शिक्षा विभाग इसी तारतम्य में दो जुलाई को पदोन्नति की प्रक्रिया को लेकर डायरेक्ट्रेट में बैठक करने वाला है। इसके लिए सभी जिम्मेदार अफसरों को बैठक में संभाग और जिला स्तर के प्राचार्यों, व्याख्याताओं और शिक्षकों की सीआर के साथ बुलाया गया है। सभी जिलों से एक अप्रेल 2025 की स्थिति में सीनियरिटी लिस्ट बुलाई गई है जिस पर पदोन्नति के लिए जुलाई माह में फैसला किया जाएगा। मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 के अधीन पदोन्नति प्रक्रिया को लेकर बुलाई गई बैठक में संयुक्त संचालकों से जो जानकारी तलब की गई है उसमें वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक की गोपनीय चरित्रावली की जानकारी शामिल है। इसमें हायर सेकेंडरी और हाईस्कूल के प्राचार्य, व्याख्याता, उच्च माध्यमिक शिक्षक, उच्च श्रेणी शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक की वरिष्ठता की जानकारी संचालनालय ने मांगी है। इसमें यह भी बताना होगा कि जिन प्राचार्यों, व्याख्याताओं, शिक्षकों की वरिष्ठता सूची दी जा रही है उनके विरुद्ध कोई जांच या प्रकरण तो विचाराधीन नहीं है। इसके अलावा इनके विरुद्ध कोर्ट में चल रहे प्रकरणों की स्थिति से भी अवगत कराने को कहा गया है। जिस साल की सीआर उपलब्ध नहीं होगी, इसके बारे में भी संचालनालय ने जानकारी देने को कहा है।संभाग और जिले के पदोन्नति के लिए इन पदों की जानकारी मांगीसंभाग और जिला स्तर पर होने वाली पदोन्नति को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने उच्च श्रेणी शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक, प्राथमिक शिक्षक, सहायक शिक्षक, खेल शिक्षक और संगीत शिक्षक की आठ साल की वरिष्ठता और गोपनीय चरित्रावली की रिपोर्ट देने के लिए भि निर्देशित किया है। यह काम संभागीय स्तर पर बनी कमेटी के जरिये किया जाएगा।

स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश: सरकारी स्कूलों में 6 और 9 में प्रथम प्रवेश पर साइकिल योजना का उपहार
भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग ने शासकीय स्कूलों में निःशुल्क साइकिल वितरण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये हैं। दिशा-निर्देश में बताया गया है कि शैक्षणिक सत्र 2025.26 में ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले विद्यार्थी जो कि शासकीय विद्यालय में कक्षा 6वीं और 9वीं में अध्ययनरत हैं तथा वे जिस ग्राम के निवासी हैं उस ग्राम में शासकीय माध्यमिक विद्यालय.हाई स्कूल संचालित नहीं हैं वे अध्ययन के लिये किसी अन्य ग्राम या शहर के शासकीय स्कूल में जाते हैंए उन छात्रों को इस योजना का लाभ कक्षा 6वीं एवं 9वीं में प्रथम प्रवेश पर एक ही बार मिलेगा।इन कक्षाओं में पुन: प्रवेश लेने पर साइकिल की पात्रता नहीं होगी। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे विद्यार्थी जो शासकीय विद्यालयों में कक्षा 6वीं एवं 9वीं में अध्ययनरत हैं उस गांव से उनके निवास की दूरी 2 किलोमीटर की दूरी से अधिक हो उन्हें ही साइकिल की पात्रता होगी। ग्रामीण क्षेत्र में कन्या छात्रावास में अध्ययनरत छात्राएं जिनके माध्यमिक शाला और हाई स्कूल छात्रावास से स्कूल की दूरी 2 किलोमीटर अधिक दूरी पर है यह साइकिलें छात्रावास को आवंटित की जायेंगी और छात्रावास में रहने वाली बालिकाएं इनका प्रयोग कर सकेंगी। छात्रावास छोड़ते समय साइकिलें छात्रावास में जमा कराना होंगी।प्रदेश के समस्त कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जारी हुए आदेश योजना में कक्षा 6वीं के विद्यार्थियों को 18 इंच और कक्षा 9वीं के विद्यार्थियों को 20 इंच की साइकिलें प्रदाय की जायेंगी। निरूशुल्क साइकिल वितरण की विस्तृत जानकारी 3ण्0 पोर्टल पर प्रदर्शित की गई हैं। निरूशुल्क साइकिल वितरण के संबंध में कक्षा 6वीं की साइकिल के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी आरण्केण् पांडे और कक्षा 9वीं के लिये योजना अधिकारी अशोक बड़गे को नोडल अधिकारी बनाया गया है। दिशा.निर्देश प्रदेश के समस्त कलेक्टरए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायतए जिला शिक्षाा अधिकारी और जिला शिक्षा केन्द्र समन्वयक को जारी किये गये हैं।

निजी स्कूलों की मनमानीः:फीस संबंधी जानकारी पोर्टल पर नहीं किया अपलोड, जुर्माना ठोकने की तैयारी कर रहा विभाग
भोपाल। मध्यप्रदेश में फीस, पुस्तकों सहित अन्य ब्यौरा सार्वजनिक करने को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी जारी है। इस संबंध में आदेश जारी होने के बाद भी अधिकतर निजी स्कूलों ने फीस संबंधी जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं की है। जबकि शासन की द्वारा नए सत्र को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए गए है, लेकिन आदेश का पालन नहीं हो सका है। अब स्कूल शिक्षा विभाग इन पर जुर्माना लगाने की तैयारी कर रहा है। विभागीय जानकारों के अनुसार, किसी स्कूल का पंजीयन शुल्क 1 हजार है, तो उस पर 5 हजार और 5 हजार पंजीयन शुल्क है तो उससे 25 हजार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। इसके लिए लोक शिक्षण संचालनालय की तरफ से एनआईसी से जानकारी मांगी गई है कि कौन-कौन से स्कूल हैं, जिन्होंने अब तक फीस की जानकारी अपलोड नहीं की है। इनकी जानकारी मिलते ही, इन सभी को नोटिस जारी होंगे।प्रदेश में करीब 34 हजार 662 निजी स्कूल संचालितमामले में पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पंड्या का कहना है कि पूरे प्रदेश में संचालित करीब 34 हजार 662 निजी स्कूलों में से बड़ी मात्रा में स्कूलों की ओर से ही फीस की जानकारी सार्वजनिक की गई है और वह भी अधूरी है। हालात यह हैं कि राजधानी भोपाल में ही अधिकारी आदेशों का पालन नहीं करा पा रहे हैं। स्कूलों के पोर्टल पर अब भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।बार-बार शासन-प्रशासन को पत्र लिखने और अवगत कराने के बाद भी इस मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। ऐसे में अभिभावक परेशान हैें।आदेश तो जारी हुए, लेकिन अमल नहीं हो सका।30 जनवरी तक ब्यौरा सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए थे रूउल्लेखनीय है कि मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2020 के तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए निर्धारित फीस संरचना (कक्षा एवं संवर्गवार) की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। शासन-प्रशासन द्वारा प्रवेश, यूनिफार्म सहित पुस्तकों को लेकर कुछ माह पूर्व सख्त निर्देश जारी करते हुए 30 जनवरी तक ब्यौरा सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही स्कूलों को आगामी शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के पहले अनिवार्य रूप से लेखक एवं प्रकाशक के नाम, मूल्य के साथ कक्षा वार पुस्तकों की सूची स्कूल के सूचना पटल पर प्रदर्शित करने की बात कही गई थी। स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि वह प्रत्येक कक्षा में लगने वाली पाठ्यपुस्तकों एवं प्रकाशक की जानकारी को वेबसाइट पर अनिवार्यतः अपलोड करेंगे। इसके साथ ही हॉर्ड कॉपी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा करानी होगी, लेकिन इस आदेश पर अमल नहीं हो सका है। नतीजन अभिभावक परेशान हैं।

ई-अटेंडेंस पर सख्त मप्र सरकारः: अब मास्साबों को लगाना ही पड़ेगी ई-हाजिरी, ट्रायल शुरू
भोपाल। स्कूल शिक्षकों के लिए ई अटेंडेंस सिस्टम लागू किए जाने का विरोध चल रहा है लेकिन सरकार का रुख कडा है। इस मामले में शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल से मंत्री उदयप्रताप ने भी साफ कह दिया है कि इसका पालन करना ही होगा। विभाग के छोटे से बड़े अधिकारी, कर्मचारी पर यह व्यवस्था लागू होगी। इसलिए सबको साथ देना होगा। मंत्री ने यह भी कहा है कि सितंबर से स्कूल शिक्षा विभाग में नए नियमों के आधार पर पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होगी। राज्य शिक्षक संघ ने स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह से अलग-अलग मांगों को लेकर मुलाकात की। इस दौरान शिक्षकों से संबंधित अन्य समस्याओं की जानकारी देकर उसके समाधान के लिए आग्रह किया गया। जिस पर कई मामलों में मंत्री ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इसके पहले संघ की मध्य प्रदेश की प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक संघ में प्रांतीय अध्यक्ष जगदीश यादव की अध्यक्षता में हुई थी। इसमें स्कूल शिक्षा मंत्री से मिलकर समस्याओं की जानकारी देने का फैसला किया गया था। संघ के प्रतिनिधिमंडल ने वल्लभ भवन में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह से मुलाकात की और उन्हें ई अटेंडेंस की समस्या के साथ अनुकंपा नियुक्ति नियमों का सरलीकरण करने, अध्यापक से राज्य शिक्षा सेवा में अध्यापकों का संविलयन के बारे में बताया गया। साथ ही शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता के साथ-साथ क्रमोन्नति दिए जाने, गुरुजियों को आ रही समस्या को दूर करने, पदोन्नति की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ करने, अतिथि शिक्षकों को वर्ष भर सेवा में रखते हुए गुरुजी की भांति नियमित करने का भी आग्रह किया गया।मंत्री ने कहा कि सितंबर से हर हाल में नए नियमों के अनुसार शिक्षा विभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया चालू हो जाएंगी। विभिन्न जिलों में क्रमोन्नति की जो समस्या है, उसे दूर किया जाएगा और व आयुक्त को इस संबंध में निर्देश देंगे। अतिथि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया एक जुलाई से प्रारंभ करने के आदेश जारी करने के लिए तुरंत निर्देश दिए।चपरासी से लेकर डीईओ तक लगाएंगे अटेंडेंससंघ प्रतिनिधियों ने मंत्री से पदोन्नति में बीएड की अनिवार्यता समाप्त करने, शैक्षणिक सत्र आगामी सत्र में 1 जुलाई से प्रारंभ करने, जनशिक्षकों की प्रतिनियुक्ति में आयु 56 वर्ष करने, अध्यापक संवर्ग में शेष रहे शिक्षकों को सातवां वेतन प्रदान करने की मांगों से भी अवगत कराया। वहीं मंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग में चपरासी से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक की अटेंडेंस लगाएंगे और आप सब सहयोग करें। आपकी सारी समस्याओं का हल हम करेंगे। उन्होंने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के नियमों का अति शीघ्र सरली करण किया जाएगा और आश्रित परिवार को अनुकंपा देना प्राथमिकता में है।


