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विकसित भारत के विजन को साकार कर रहा जीएसटी 2.0: सरकार का दावा- टैक्स का बोझ कम होने से इकोनाॅमी को मिली मजबूती, खरीदारी भी बढ़ी
नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षों में केन्द्र सरकार ने कई बड़े सुधार किए हैं , जिससे एक आधुनिक, कुशल और नागरिक-हितैषी व्यवस्था का निर्माण हुआ है। इसके तहत 40,000 से ज्यादा बेकार नियम हटाए गए और 1,500 से अधिक पुराने कानूनों को निरस्त किया गया, जिससे देश में काम करना आसान हुआ है। 22 सितंबर से लागू हुआ जीएसटी दरों में बदलाव भी ऐसा ही एक बड़ा सुधार है, जिसका मकसद विकसित भारत के विजन को साकार करना है।79वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि दीपावली तक नए जीएसटी सुधार लाए जाएंगे। इन सुधारों से रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स कम होगा। उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों पर टैक्स का बोझ कम होगा और यह दीपावली का तोहफा होगा।वित्त मंत्रालय के अनुसार, जीएसटी 2.0 का असर अब दिखने लगा है। लोगों की खरीदारी बढ़ी है, खासकर गाड़ियों जैसे क्षेत्रों में बिक्री ज्यादा हुई है और लोगों का भरोसा भी बढ़ा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।नवंबर महीने में यात्री वाहनों की बिक्री में अच्छी बढ़त देखी गई। त्योहारों के बाद की मांग, जीएसटी दरों में कटौती और शादी के सीजन की वजह से गाड़ियों की बिक्री बढ़ी। एक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में खुदरा बिक्री पिछले साल की तुलना में 22 प्रतिशत बढ़ी। वहीं, थोक बिक्री में पिछले वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 4.1 लाख यूनिट तक पहुंच गई।इसके अलावा, जीएसटी दरों में बदलाव से राज्यों की कमाई भी बढ़ी है। सितंबर से नवंबर के बीच राज्यों को मिलने वाला जीएसटी राजस्व पिछले साल की तुलना में 5 प्रतिशत ज्यादा रहा। हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चैधरी ने राज्यसभा में कहा कि चालू वित्त वर्ष (2025-26) के सितंबर से नवंबर के दौरान जीएसटी संग्रह 2024-25 की इसी अवधि में 2,46,197 करोड़ रुपए से बढ़कर 2,59,202 करोड़ रुपए हो गया।सरकार का मानना है कि जीएसटी सुधार और व्यापार को आसान बनाने की नीतियों से लोगों की खरीदारी और बढ़ेगी। इससे आने वाले समय में जीएसटी से होने वाली कमाई भी ज्यादा होगी। जीएसटी सुधारों के बाद लोगों का भरोसा बढ़ा है और बैंक से लिए जाने वाले कर्ज में भी बढ़ोतरी हुई है। कई आंकड़े बताते हैं कि जीएसटी सुधारों के बाद देश की आर्थिक गतिविधियां तेज हुई हैं।सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर और अक्टूबर 2025 के दौरान ई-वे बिल जनरेशन में वार्षिक आधार पर 14.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वहीं अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच कुल जीएसटी संग्रह में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो बताती है कि मजबूत खपत और नियमों के बेहतर अनुपालन के चलते राजस्व का मूल स्रोत स्थिर बना हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, अब सरकार का अगला लक्ष्य कस्टम टैक्स को आसान बनाना है।

गोल्ड ने तोड़े सभी रिकार्ड, चांदी की चमक भी बरकरार:फेड के ब्याज दर कटौती की उम्मीदों से मिला सपोर्ट
मुंबई। अमेरिका और वेनेजुएला के बीच बढ़ते तनाव और अमेरिका में अगले साल फेड द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीदों के चलते हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन, बुधवार को सोने और फेड द्वारा ब्याज दर में कटौती की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 0.5 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 4,500 डॉलर प्रति औंस के पार चली गई। भारतीय बाजार में एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर फरवरी कॉन्ट्रैक्ट वाले सोने का भाव बढ़कर 1,38,676 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया, जो कि अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है। वहीं, मार्च कॉन्ट्रैक्ट वाली चांदी 2 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 2,24,300 प्रति किलोग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।खबर लिखे जाने तक एमसीएक्स पर सोना 0.45 प्रतिशत यानी 625 रुपए की तेजी के साथ 1,38,510.00 रुपए प्रति 10 ग्राम पर, तो वहीं सिल्वर 4,207 रुपए यानी 1.92 प्रतिशत की शानदार तेजी के साथ 2,23,860.00 रुपए प्रति किलोग्राम पर ट्रेड कर रहा था। पिछले कुछ समय से सोने और चांदी की कीमतों ने लगातार बढ़ोतरी दर्ज की है और एक के बाद एक नया रिकॉर्ड बनाया है।सत्र के दौरान डॉलर इंडेक्स में करीब 0.20 प्रतिशत की गिरावट आई। डॉलर कमजोर होने से सोना और चांदी विदेशी बाजारों में सस्ते हो गए, जिससे इनकी मांग और बढ़ गई। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च के प्रमुख देवर्ष वकील ने कहा कि दुनिया में बढ़ती अनिश्चितता और अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते लोग सुरक्षित निवेश के रूप में सोने और चांदी में निवेश कर रहे हैं। इसी कारण हाजिर सोने ने 4,500 डॉलर प्रति औंस का आंकड़ा पार कर लिया। वहीं चांदी ने भी नया रिकॉर्ड बनाया और अंतरराष्ट्रीय बाजार में 72 डॉलर के पार पहुंच गई।

ग्लोबल चैलेंज के बावजूद इंडियन ईकोनाॅमी मजबूत:आरबीआई गवर्नर का दावा- सहारा बनी कम महंगाई और तेज विकास
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि दुनिया में कई आर्थिक चुनौतियां होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है और आने वाले समय में तेजी से विकास करने को तैयार है। आरबीआई के दिसंबर बुलेटिन में गवर्नर ने कहा कि महंगाई के कम होने से सरकार और केंद्रीय बैंक को देश के विकास को बढ़ावा देने का अच्छा मौका मिला है। आरबीआई आगे भी देश की जरूरतों के अनुसार सही कदम उठाता रहेगा, ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे।उन्होंने कहा कि 2025 एक चुनौतीपूर्ण साल रहा, लेकिन इसके बावजूद हम इस साल की उपलब्धियों से संतुष्ट हैं। इस साल देश की अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया, महंगाई नियंत्रण में रही और बैंकिंग व्यवस्था और मजबूत हुई।उन्होंने बताया कि बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए नियमों में सुधार किया गया। इससे व्यापार करना आसान हुआ, ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ी और वित्तीय व्यवस्था बेहतर हुई। आरबीआई गवर्नर ने कहा, हम भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक समर्थन देने और देश की तरक्की के लिए एक नई उम्मीद, जोश और दृढ़ संकल्प के साथ नए साल में प्रवेश कर रहे हैं।जीएसटी सुधारों से घटी महंगाईअक्टूबर में लागू हुई नीति के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में महंगाई बहुत तेजी से घटी है और यह अभूतपूर्व रूप से निचले स्तर पर पहुंच गई है। फ्लेक्सिबल इन्फ्लेशन टारगेटिंग (आईआईटी) को अपनाने के बाद पहली बार वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में औसत महंगाई दर 1.7 प्रतिशत रही, जो अब तक का सबसे कम स्तर है। अक्टूबर 2025 में यह और गिरकर सिर्फ 0.3 प्रतिशत रह गई। दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत तक पहुंच गई, जिसका कारण त्योहारी सीजन में ज्यादा खर्च और जीएसटी दरों में सुधार रहा।छह महीनों में महंगाई दर 2.2 और विकास दर रहेगी 8.0 फीसदीमल्होत्रा ने आगे कहा कि पहले छह महीनों में महंगाई 2.2 प्रतिशत और विकास दर 8.0 प्रतिशत रही, जो श्गोल्डीलॉक्स पीरियडश् का संकेत है, यानी न ज्यादा महंगाई और न कम विकास। आने वाले समय में अच्छी खेती, कम महंगाई, मजबूत कंपनियां और बेहतर बैंकिंग व्यवस्था जैसे घरेलू कारक देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करेंगी। गवर्नर ने कहा कि सुधार संबंधी पहलों को जारी रखने से विकास को और अधिक गति मिलेगी।

आाईबीएम ने बड़े अभियान का किया ऐलान:2030 तक 50 लाख भारतीय युवाओं को एडवांस टेक्लोलाॅजी से करेगा प्रशिक्षित
नई दिल्ली। आईबीएम ने शुक्रवार को भारत में कौशल विकास के लिए एक बड़े अभियान की घोषणा की है। इसमें कहा गया है कि वह 2030 तक 50 लाख भारतीय छात्रों और युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), साइबर सुरक्षा और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उन्नत तकनीकों में प्रशिक्षित करेगा। यह पहल आईबीएम स्किल्सबिल्ड के माध्यम से चलाई जाएगी, जिसका उद्देश्य देश में भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण करना है और छात्रों और वयस्कों को डिजिटल और नौकरी केंद्रित कौशल तक आसान पहुंच प्रदान करना है। आईबीएम ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए उन्नत तकनीक की शिक्षा को अधिक समावेशी और सुलभ बनाया जाएगा, जिसके तहत स्कूल, विश्वविद्यालय और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों में एआई और उभरती तकनीकी शिक्षा का विस्तार किया जाएगा।आईबीएम का मकसद छात्रों-शिक्षकों को अनुभव प्रदान करनाआईबीएम, ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर एआई-केंद्रित पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण, हैकथॉन और इंटर्नशिप जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देगा, जिसका मकसद छात्रों और शिक्षकों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना है। आईबीएम के चेयरमैन और सीईओ अरविंद कृष्णा ने कहा कि भारत में एआई और क्वांटम तकनीक में वैश्विक नेतृत्व करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि इस योजना से युवाओं को नई चीजें सीखने, नवाचार और देश के विकास में मदद करने का मौका मिलेगा।आईबीएम स्कूलों में एआई शिक्षा को किया जा रहा मजबूतआईबीएम स्कूलों में एआई शिक्षा को मजबूत कर रहा है। वरिष्ठ माध्यमिक छात्रों के लिए एआई पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है और शिक्षकों को एआई प्रोजेक्ट कुकबुक, शिक्षक मार्गदर्शिका और समझाने वाले मॉड्यूल जैसी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। इसका उद्देश्य छात्रों को कंप्यूटेशनल सोच और जिम्मेदार एआई की समझ देना है।इस योजना का मुख्य हिस्सा है आईबीएम स्किल्सबिल्ड, जो दुनिया के सबसे बड़े और आसान डिजिटल शिक्षा प्लेटफॉर्म में से एक है। यह 1,000 से ज्यादा कोर्सेस प्रदान करता है, जिनमें एआई, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्लाउड, डेटा और नौकरी से जुड़े कौशल शामिल हैं।

कर्मचारियों को पीएफ से जोड़ने ईपीएफओ की नई पहल: कंपनियों को मिलेगा 6 महीने का समय, कहा- खास योजना का उठाएं लाभ
नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कर्मचारियों को पीएफ से जोड़ने के लिए नई पहल शुरू की है। ईपीएफओ ने गुरुवार को नियोक्ताओं (कंपनियों) से कहा है कि वह उसकी एक खास योजना का लाभ उठाएं। इस योजना के तहत कंपनियों को 6 महीने का समय दिया जा रहा है, ताकि वह उन कर्मचारियों को पीएफ (प्रोविडेंट फंड) में शामिल कर सकें, जिन्हें पहले इसमें नहीं जोड़ा गया था। यह मौका 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच छूटे कर्मचारियों के लिए है। ईपीएफओ ने इस योजना का नाम कर्मचारी नामांकन योजना यानी एंप्लाइज एनरोलमेंट स्कीम (ईईएस)-2025 रखा है। यह एक बार मिलने वाली विशेष योजना है, जिसका मकसद ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को पीएफ की सुविधा देना और पहले हुई गलतियों को आसानी से ठीक करना है।कंपनियां स्वेच्छा से पात्र कर्मचारियों को पीएफ में कर सकती हैं शामिलइस योजना के तहत नवंबर 2025 से 6 महीने तक का समय दिया जाएगा। इस दौरान कंपनियां स्वेच्छा से ऐसे पात्र कर्मचारियों को पीएफ में शामिल कर सकती हैं, जिन्हें पहले शामिल नहीं किया गया था। जो संस्थान या कंपनी अभी तक ईपीएफ कानून के तहत पंजीकृत नहीं हैं, वे भी इस योजना के जरिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं और अपने कर्मचारियों को पीएफ में जोड़ सकते हैं।ईईएस-2025 योजना के तहत, अगर पहले कर्मचारियों के पीएफ का पैसा नहीं काटा गया था, तो इस योजना में कंपनी को केवल नियोक्ता वाला हिस्सा (एंप्लॉयर शेयर) जमा करना होगा। इसके साथ ही धारा 7क्यू के तहत ब्याज, लागू प्रशासनिक शुल्क और 100 रुपए का जुर्माना देना होगा, तभी इसे पूरी तरह सही माना जाएगा।जांच के दायरे वाले संस्थाएं भी ले सकती है योजना का लाभजिन संस्थानों पर जांच चल रही है, वह भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा, कुछ शर्तों के साथ प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना के तहत मिलने वाले फायदे भी इस योजना में शामिल हैं।ईपीएफओ ने कंपनियों से की अपीलईपीएफओ ने सभी नियोक्ताओं से अपील की है कि वह इस एक बार मिलने वाले अवसर का पूरा लाभ उठाएं और “सबके लिए सामाजिक सुरक्षा” के लक्ष्य में योगदान दें। ईपीएफओ ऐसे नियोक्ताओं को एसएमएस और ईमेल के जरिए जानकारी देगा, जिन्होंने पहले नियमों का पालन नहीं किया था। बयान में कहा गया है कि ईपीएफओ ने इस योजना के बारे में जानकारी देने के लिए देश भर में जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। साथ ही, सरकार के अलग-अलग विभागों से भी बात की जा रही है, ताकि ठेके पर काम करने वाले और अस्थायी कर्मचारियों को भी पीएफ की सुविधा मिल सके।

भारत में डिजिटल पेमेंट की ऐतिहासिक बढ़ोतरी:देश में UPI QR कोड की संख्या पहुंची 70.9 करोड़ पर, जुलाई से सितंबर के बीच 59 अरब का हुआट्रांजैक्शन
मुंबई। भारत में डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है और अब रोजमर्रा की खरीदारी में खासकर दुकानों पर लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। जुलाई से सितंबर के बीच यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) माध्यम से 59.33 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जो पिछले साल के मुकाबले 33.5 प्रतिशत ज्यादा है। इस अवधि में कुल 74.84 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 21 प्रतिशत ज्यादा है। यह वृद्धि देश में डिजिटल पेमेंट्स के तेजी से बढ़ने को दिखाता है।यहां पर हो रहा क्यूआर कोड का इस्तेमालवर्ल्डलाइन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब 70.9 करोड़ सक्रिय यूपीआई क्यूआर कोड हो गए हैं। यह संख्या जुलाई, 2024 से अब तक 21 प्रतिशत बढ़ी है। इन क्यूआर कोड्स का इस्तेमाल अब किराना दुकानों, दवाइयों की दुकानों, बस-रेलवे स्टेशनों और गांवों तक पहुंच चुका है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीआई का इस्तेमाल अब दुकानों पर भुगतान (पीटूएमदृ पर्सन टू मर्चेंट) के लिए ज्यादा हो रहा है। दुकानों पर होने वाले लेन-देन में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो कि 37.46 अरब ट्रांजैक्शन तक पहुंच गई है। लोगों के बीच होने वाले लेन-देन (पीटूपीदृ पर्सन टू पर्सन) में 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो कि 21.65 अरब ट्रांजैक्शन तक पहुंच गई है।हालांकि अगर हम एक ट्रांजैक्शन की औसत रकम देखें तो वह घटकर 1,262 रुपए रह गई है, जो पहले 1,363 रुपए थी। इसका मतलब यह है कि लोग अब यूपीआई का ज्यादा इस्तेमाल छोटी-मोटी खरीदारी जैसे खाना, यात्रा, दवाइयां और अन्य रोजमर्रा की चीजों के लिए कर रहे हैं।पीओएस मशीनों की संख्या बढ़ीरिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों की संख्या भी बढ़ी है। ये मशीनें अब 35 प्रतिशत बढ़कर 12.12 मिलियन हो गई हैं। हालांकि, भारत क्यूआर की संख्या में थोड़ी कमी आई है, क्योंकि लोग अब यूपीआई क्यूआर कोड का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से होने वाले लेन-देन में भी बदलाव आया है। क्रेडिट कार्ड से लेन-देन में 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि डेबिट कार्ड से लेन-देन में 22 प्रतिशत की कमी आई है, क्योंकि लोग अब छोटी रकम के लेन-देन के लिए यूपीआई का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं।मोबाइल और टैप आधारित पेमेंट्स भी बढ़ रहे तेजी सेमोबाइल और टैप आधारित पेमेंट्स भी तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर शहरों में और मेट्रो, टैक्सी जैसी सेवाओं में लोग अब बिना कार्ड स्वाइप किए मोबाइल से पेमेंट करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।आने वाले समय में भारत में यूपीआई का इस्तेमाल और भी बढ़ने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार 2025 के अंत और 2026 की शुरुआत में इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड को आम इस्तेमाल में लाया जाएगा, जिससे लोग पेट्रोल पंप, अस्पतालों, सार्वजनिक सेवाओं और यात्रा जैसे स्थानों पर एक ही क्यूआर कोड से पेमेंट कर सकेंगे।

सौर ऊर्जा से जगमगा रहे देश के 2,626 रेलवे स्टेशन:स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल में रेलवे की बड़ी उपलब्धि, बिजली खर्च में भी आई कमी
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस साल नवंबर तक रेलवे ने अपने कामकाज के लिए 898 मेगावाट सौर ऊर्जा संयत्र शुरू कर दिए हैं। साल 2014 में रेलवे सिर्फ 3.68 मेगावाट सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करता था, जो कि अब बढ़कर 898 मेगावाट हो गया है। इस दौरान सौर ऊर्जा का उपयोग करीब 244 गुना बढ़ गया है।रेल मंत्रालय के मुताबिक, इस समय देश के 2,626 रेलवे स्टेशन सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे रेलवे के बिजली खर्च में कमी आ रही है और पर्यावरण को भी कम नुकसान हो रहा है। रेलवे ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में सौर ऊर्जा के उपयोग की रफ्तार और तेज हुई है। नवंबर तक 318 नए रेलवे स्टेशन सौर ऊर्जा नेटवर्क से जोड़े गए हैं। इसके साथ ही सौर ऊर्जा का उपयोग करने वाले स्टेशनों की कुल संख्या 2,626 हो गई है।कुल शुरू की गई सौर ऊर्जा में से 629 मेगावाट का उपयोग ट्रेनों को चलाने के लिए किया जा रहा है। इससे सीधे तौर पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों को बिजली मिलती है। बाकी 269 मेगावाट ऊर्जा का उपयोग स्टेशन की लाइट, वर्कशॉप, सर्विस बिल्डिंग और रेलवे कॉलोनियों के लिए किया जा रहा है।रेलवे के कामकाज को बेहतर बना रहे सौर ऊर्जा का उपयोगसौर ऊर्जा का यह संतुलित उपयोग सामान्य बिजली पर निर्भरता को कम करता है और रेलवे के कामकाज को ज्यादा बेहतर बनाता है। मंत्रालय के अनुसार, रेलवे स्टेशनों, इमारतों और रेलवे की जमीन पर लगाए गए सोलर प्लांट भारतीय रेलवे की बढ़ती बिजली जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। इससे ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो रही है और प्रदूषण कम करने में मदद मिल रही है। ऐसे कदम यह दिखाते हैं कि भारतीय रेलवे 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।वंदे भारत ने भारत में बदली रेल यात्रा की परिभाषाइस बीच, भारतीय रेलवे की वंदे भारत एक्सप्रेस ने फरवरी 2019 में शुरू होने के बाद से भारत में रेल यात्रा की परिभाषा बदल दी है। आज देश के बड़े शहरों को जोड़ने वाली 164 वंदे भारत ट्रेन सेवाएं चल रही हैं। यह ट्रेनें यात्रियों को तेज, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करती हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस की लोकप्रियता इस बात से समझी जा सकती है कि 2019 से अब तक 7.5 करोड़ से ज्यादा यात्री इस हाईटेक ट्रेन में सफर कर चुके हैं।

एमसीएक्स पर चमकी चांदी:ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते बनाया नया रिकार्ड, जानें कहां पर पहुंचे सिल्वर के दाम
मुंबई। पिछले कुछ समय से उतार-चढ़ाव के बाद भी कीमती धातुओं (गोल्ड और सिल्वर) की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं। इस बीच मजबूत अंतरराष्ट्रीय संकेतों और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के चलते बुधवार को चांदी की कीमतों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया। बुधवार के कारोबारी सत्र में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सिल्वर की कीमतें 4 प्रतिशत से ज्यादा की उछाल के साथ 2,06,111 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गईं, जो कि अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है। हालांकि खबर लिखे जाने तक (दोपहर 12.30 बजे) मार्च डिलीवरी वाला सिल्वर 7,417 रुपए (3.75 प्रतिशत) की तेजी के साथ 2,05,172 रुपए प्रति किलोग्राम पर था।सोने की कीमतों में देखने को मिला उतार-चढ़ाववहीं अगर सोने की बात करें, तो कारोबारी सत्र में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। खबर लिखे जाने तक एमसीएक्स पर फरवरी डिलीवरी वाला गोल्ड 65 रुपए यानी 0.05 प्रतिशत गिरकर 1,34,344 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करते हुए दिखाई दिया। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सोने की कीमत 1,35,500 रुपए से ऊपर टिकती है, तो इसमें और तेजी आ सकती है और इसके दाम 1,36,000 से 1,38,000 रुपए तक जा सकते हैं। चांदी की कीमतों में जोरदार तेजीअंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिली। स्पॉट सिल्वर 2.8 प्रतिशत बढ़कर 65.63 डॉलर प्रति औंस हो गई, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। सोने की कीमत भी थोड़ी बढ़कर 4,321.56 डॉलर प्रति औंस हो गई, जिसकी वजह अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना था। अमेरिका के कमजोर रोजगार आंकड़ों के बाद सिल्वर की कीमतों में तेज उछाल आया, जिससे फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें मजबूत हुईं।

इंडियन रेलवे की बड़ी उपलब्धि:हाई-टेक एलएचबी कोचों के प्रोडक्शन में 18 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने उच्च तकनीक वाले लिंके हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोचों के उत्पादन में लगातार बेहतरी दिखाई है, जो यात्रियों के लिए बेहतर सुरक्षा, सुविधाजनक यात्रा और रेलवे के बेहतर कार्य प्रदर्शन को दर्शाते हैं। चालू वित्त वर्ष 2025-26 (नवंबर 2025 तक) के दौरान कुल 4,224 एलएचबी कोच बनाए गए हैं। यह पिछले साल की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है, जब केवल 3,590 कोच बनाए गए थे। रविवार को रेल मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, उत्पादन में यह वृद्धि रेलवे के विभिन्न कारखानों की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और बेहतर उत्पादन योजना का परिणाम है।इस अवधि में चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने 1,659 एलएचबी कोच बनाए, जबकि रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) ने 1,234 कोच और कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) ने 1,331 कोच बनाए, जिससे कुल मिलाकर एलएचबी कोचों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।दीर्घकालिक तुलना में पिछले कुछ वर्षों में काफी प्रगति हुई है। 2014 से 2025 तक भारतीय रेलवे ने 42,600 एलएचबी कोच बनाए, जो 2004 से 2014 के बीच बने 2,300 कोच से 18 गुना ज्यादा है। यह विस्तार सुरक्षा मानकों और कम रख-रखाव की विशेषताओं के कारण एलएचबी कोचों की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।एलएचबी कोच आधुनिक, सुरक्षित और आरामदायक यात्री कोच हैं, जो जर्मन डिजाइन से विकसित हैं और आधुनिक सुविधाएं जैसे स्टेनलेस स्टील बॉडी, एडवांस्ड डिस्क ब्रेक्स और 160 किमीध्घंटा तक की उच्च गति प्रदान करते हैं। इन कोचों में एंटी-क्लाइम्बिंग डिवाइस जैसे सुरक्षा फीचर्स होते हैं, जो पुराने आईसीएफ कोचों की जगह लेते हैं और राजधानी और शताबदी एक्सप्रेस जैसी लंबी दूरी की ट्रेनों में इस्तेमाल होते हैं।भारतीय रेलवे आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, जिससे घरेलू उत्पादन में वृद्धि हो रही है और आयात पर निर्भरता कम हो रही है। भारतीय रेलवे का लक्ष्य उत्पादन क्षमता को और बढ़ाना है, ताकि देश की बढ़ती यातायात आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और यात्रियों को सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव मिल सके।

आम जनता के लिए राहत:एसबीआई ने लोन से लेकर एफडी पर घटाईं ब्याज दरें, अगले हफ्ते से होंगी लागू
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने लोन से लेकर फिक्स्ड डिपॉजिट्स (एफडी) पर ब्याज दरों को घटा दिया है। नई दरें सोमवार से लागू होंगी। एसबीआई की ओर से यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट को 25 आधार अंक 5.50 प्रतिशत से घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया है। एसबीआई की ओर से मर्जिन कास्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) को 5 आधार अंक या 0.05 प्रतिशत कम किया गया है। यह वह दर होती है, जिस आधार पर बैंक लोन की ब्याज दर तय करते हैं। इसके कम होने का असर सभी प्रकार के लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है। एसबीआई ने ओवरनाइट और एक महीने की एमसीएलआर दर को 7.90 प्रतिशत से घटाकर 7.85 प्रतिशत कर दिया है। तीन महीने के एमसीएलआर को 8.30 प्रतिशत से घटाकर 8.25 प्रतिशत कर दिया है। छह महीने के एमसीएलआर को 8.65 प्रतिशत से घटाकर 8.60 प्रतिशत कर दिया है।वहीं, बैंक ने एक और दो वर्षों के एमसीएलआर की दर को 8.75 प्रतिशत से घटाकर 8.70 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं, तीन वर्षों के लिए एमसीएलआर की दरों को 8.85 प्रतिशत से घटाकर 8.80 प्रतिशत कर दिया गया है। बैंक ने एफडी पर भी ब्याज दरों को भी कम किया है। एसबीआई की नई दरों के मुताबिक, 3 करोड़ रुपए से कम की दो से तीन साल की एफडी पर सामान व्यक्ति के लिए ब्याज दर अब 6.40 प्रतिशत होगी, जो कि पहले 6.45 प्रतिशत थी। वहीं, इसी अवधि के लिए वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज दर अब 6.90 प्रतिशत होगी, जो कि पहले 6.95 प्रतिशत थी। बैंक ने अपनी स्पेशल 444 दिनों की एफडी अमृत वृष्टि पर ब्याज दर को 6.60 प्रतिशत से घटाकर 6.45 प्रतिशत कर दिया है।एसबीआई के मुताबिक, अब सामान्य व्यक्तियों को 7-45 दिनों की एफडी पर 3.05 प्रतिशत की ब्याज दर मिलेगी। 46-179 दिनों की एफडी पर 4.90 प्रतिशत, 180-210 दिनों की एफडी पर 5.65 प्रतिशत, 211 दिनों से लेकर एक साल से कम की एफडी पर अब ब्याज दर 5.90 प्रतिशत होगी। एक साल से लेकर दो साल से कमी की अवधि के लिए ब्याज दर 6.25 प्रतिशत होगी। वहीं, तीन से पांच साल से कम की अवधि पर ब्याज दर 6.3 प्रतिशत होगी। पांच से 10 साल तक की एफडी पर ब्याज दर 6.05 प्रतिशत होगी। इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों को बैंक द्वारा 0.50 प्रतिशत की अतिरिक्त ब्याज दी जा रही है।

भारत को स्वयं तय करना होगा विकास का रास्ता:इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स के शताब्दी समारोह में बोले अडाणी, बाहरी दबावों का विरोध करे पर भी दिया जोर
नई दिल्ली। अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने कहा है कि भारत को अपने विकास का रास्ता स्वयं निर्धारित करना होगा और बाहरी दबावों का विरोध करना होगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स), धनबाद में शताब्दी समारोह में बोलते हुए, अदाणी ने कहा कि 21वीं सदी में संप्रभुता किसी राष्ट्र की अपने प्राकृतिक संसाधनों और ऊर्जा प्रणालियों पर नियंत्रण पर निर्भर करेगी।गौतम अदाणी ने कहा, हमें उन संसाधनों और उस ईंधन पर नियंत्रण रखना चाहिए, जो हमारी ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं। साथ ही, उन्होंने इसे भारत की आर्थिक स्वतंत्रता की दोहरी नींव बताया। गौतम अदाणी ने बाहरी दबावों का विरोध करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि केवल वही करना चाहिए जो भारत के लिए सर्वोत्तम हो।अदाणी ने कहा, यदि हम अपनी कहानी पर नियंत्रण नहीं रखेंगे तो हमारी आकांक्षाएं अवैध हो जाएंगी और हमारे जीवन स्तर को बेहतर बनाने के अधिकार को वैश्विक अपराध के रूप में चित्रित किया जाएगा। वैश्विक आंकड़ों का हवाला देते हुए, गौतम अदाणी ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जक देशों में से एक बना हुआ है, जबकि देश ने निर्धारित समय से पहले ही 50 प्रतिशत से अधिक गैर-जीवाश्म स्थापित क्षमता हासिल कर ली है।उद्योगपति ने कहा कि प्रति व्यक्ति मीट्रिक या ऐतिहासिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखे बिना भारत के स्थिरता प्रदर्शन को कम आंकने के प्रयास वैश्विक ईएसजी ढांचों में निहित पूर्वाग्रहों को दर्शाते हैं। गौतम अदाणी ने कहा कि आईआईटी धनबाद का जन्म राष्ट्रीय दूरदर्शिता के कारण हुआ था। ब्रिटिश शासन के दौरानएक सदी से भी पहलेभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने खनन और भूविज्ञान में भारत की महत्वपूर्ण क्षमताओं के निर्माण हेतु एक संस्थान की स्थापना की सिफारिश की थी।अदाणी समूह के अध्यक्ष ने कहा कि यह दृष्टिकोण एक गहरी सभ्यतागत समझ को दर्शाता है कि कोई भी राष्ट्र अपनी धरती की शक्ति को आत्मसात किए बिना उन्नति नहीं कर सकता। उन्होंने आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के लिए दो पहलों की घोषणा की, जिसमें पहला -एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसमें प्री-प्लेसमेंट अवसरों के साथ 50 सशुल्क इंटर्नशिप की पेशकश की जाएगी और दूसरे में टीईएक्सएमआईएन के साथ साझेदारी में अदाणी 3एस माइनिंग एक्सीलेंस सेंटर, जिसमें मेटावर्स लैब, ड्रोन बेड़े, भूकंपीय संवेदन प्रणालियां और सटीक खनन प्रौद्योगिकियां शामिल होंगी।

रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती:महंगाई के मोर्चे में बड़ी राहत, आरबीआई के इस कदम से होम लोन होंगे सस्ते
मुंबई। महंगाई के मोर्चे में आम आदमी को बड़ी राहत मिली है। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर दी है। मुंबई में चली तीन दिन की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती का ऐलान किया, जिसके बाद रेपो रेट अब 5.50 प्रतिशत से कम होकर 5.25 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा, मौद्रिक नीति के रुख को न्यूट्रल रखा गया है।आरबीआई के इस कदम से आपके होम लोन की ईएमआई कम हो जाएगी. साथ ही बैंक कम रेट पर लोन ऑफर कर सकते हैं। आरबीआई गवर्नर के अनुसार, केंद्रीय बैंक 1 लाख करोड़ रुपए की सरकारी सिक्योरिटीज खरीदकर ओपन मार्केट ऑपरेशंस के जरिए इकोनॉमी में लिक्विडिटी ऐड करेगा। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक 5 बिलियन डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप अरेंजमेंट भी करेगा। केंद्रीय बैंक ने स्टैंडिग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) रेट को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है, जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट को घटाकर 5.50 प्रतिशत कर दिया गया है।आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत दे रहे आंकड़े आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत दे रहे हैं। वहीं, जीएसटी रेशनलाइजेशन, कृषि में बेहतर संभावनाएं और कंपनियों के बेहतर बही-खाते जैसे कारक आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देंगे। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7.3 प्रतिशत लगाया है। पहले, जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.8 प्रतिशत रखा गया था। वहीं, इस वर्ष दिसंबर तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत, अगले वर्ष मार्च तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत, जून तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत और सितंबर तिमाही के लिए 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 2 फीसदी रहने का अनुमानवहीं, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई 2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जो कि पहले 2.6 प्रतिशत अनुमानित थी। आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि देश का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़कर 686 बिलियन डॉलर हो गया है, जो 11 महीने का मजबूत इंपोर्ट कवर देने के लिए काफी है।आरबीआई गवर्नर ने रेपो रेट में कटौती के दिए थे संकेइससे पहले, आरबीआई गवर्नर ने बीते हफ्ते संकेत दिया था कि अच्छे मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स की वजह से 5 दिसंबर को मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू मीटिंग में ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश है।

विकास के मोर्चे पर भारत के लिए गुड न्यूज:FY-2026 में देश में जीडीपी पहुंच जाएगी 7.4 फीसदी पर, ग्लोबल रेटिंग एजेंसी का दावा
नई दिल्ली। फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को भारत के जीडीपी विकास दर अनुमान को वित्त वर्ष 26 के लिए बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है, जो कि पहले 6.9 प्रतिशत था। इसकी वजह देश में मजबूत मांग और टैक्स सुधारों का होना है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में बढ़ता निजी उपभोग देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे रहा है। इसे हाल में हुए जीएसटी सुधारों, आय में बढ़त और सकारात्मक ग्राहक धारणा से सपोर्ट मिल रहा है।फिच रेटिंग का मानना है कि वित्त वर्ष 27 में भारत की विकास दर कम होकर 6.4 प्रतिशत हो जाएगी और हालांकि, इसे मजबूत घरेलू मांग का फायदा मिलता रहेगा। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकारी निवेश में नरमी आ सकती है। हालांकि, वित्त वर्ष 27 की दूसरी छमाही से निजी निवेश में उछाल देखने को मिल सकता है। भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 26 की जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।चालू वित्त वर्ष में 1.5 फीसदी रह सकती है महंगाई दर फिच ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ने यह मजबूत विकास दर ऐसे समय पर हासिल की है, जब अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर करीब 35 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है। अमेरिका-भारत ट्रेड डील से मांग को बड़ा बूस्ट मिलने की संभावना है। फिच का अनुमान है कि भारत में चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर औसत 1.5 प्रतिशत रह सकती है।उसने आगे कहा कि महंगाई दर में गिरावट से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को 5 दिसंबर को ब्याज दरों में कटौती का एक और मौका मिल गया है, इससे रेपो रेट कम होकर 5.25 प्रतिशत पर आ सकती है। फिच ने आगे कहा कि आरबीआई अपने ब्याज दरों कटौती चक्र के आखिर में है और यहां से रेपो रेट करीब दो वर्ष तक स्थिर रह सकती है।

आरबीआई:एमपीसी आज से तीन दिन तक करेगा हाइलेवल मीटिंग, आम जनता को राहत की उम्मीद
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार से शुरू हो रही है। इस तीन दिवसीय बैठक में प्रमुख नीतिगत दर पर फैसला शुक्रवार को सामने आएगा। आम जनता को उम्मीद है कि इस बैठक में आरबीआई रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। जिससे रेपो रेट वर्तमान के 5.50 प्रतिशत से कम होकर 5.25 प्रतिशत रह जाएगी। एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च ने भी का अनुमान जताया है कि आरबीआई 5 दिसंबर को अपने एमपीसी के फैसले के साथ रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। आरबीआई एमपीसी की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब मुद्रास्फीति ऑल-टाइम लो पर बनी हुई है और जीडीपी ग्रोथ की गति तेज बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में रियल जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत दर्ज की गई थी। इसके अलावा, इस वर्ष अक्टूबर में मुद्रास्फीति में भी नरमी आई है, जो इकोनॉमी के मजबूत फंडामेंटल और प्रभावी प्राइस मैनेजमेंट उपायों को दिखाती है।बीओबी के चीफ ने कही यह बातबैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, मौद्रिक नीति फॉरवर्ड लुकिंग होती है और चालू वित्त वर्ष की चैथी तिमाही और वित्त वर्ष 27 में मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से अधिक बनी रहने की संभावना है, जिससे रियल रेपो रेट 1-1.5 प्रतिशत के बीच रहेगी। क्योंकि पॉलिसी रेट फेयर लेवल पर दिख रही है। ऐसे में इन परिस्थितियों में हमें नहीं लगता कि नीतिगत दर में कोई बदलाव होना चाहिए।रिपोर्ट में दावाइसी तरह, एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दिनों पहले तक रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीदें लग रही थीं, लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मजबूत जीडीपी आंकड़े और बदलते परिदृश्य को देखते हुए दिसंबर में नीतिगत दरों में किसी भी तरह के बदलाव की स्थिति नजर नहीं आती। एसबीआई का मानना है कि आरबीआई को यील्ड पर संयमित प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए लिक्विडिटी उपायों के जरिए तटस्थ रुख के साथ कैलिब्रेटेड ईजिंग सुनिश्चित करनी पड़ सकती है।रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता आरबीआई मुद्रास्फीति निकट भविष्य में लक्ष्य से काफी नीचे रहने वाली है इसलिए एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च का अनुमान है कि आरबीआई 5 दिसंबर को अपने एमपीसी के फैसले के साथ रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट वर्तमान के 5.50 प्रतिशत से कम होकर 5.25 प्रतिशत रह जाएगी।

जीएसटी कलेक्शन से भरा सरकार का खजाना: नवंबर महीने में खाते में आए 1.70 लाख करोड़
नई दिल्ली। गुड्स सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) कलेक्शन नवंबर में बढ़कर 1,70,276 करोड़ रुपए रहा है। इसमें सालाना आधार पर 0.7 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। पिछले साल समान अवधि में यह 1,69,016 करोड़ रुपए था। यह जानकारी सरकार की ओर से सोमवार को दी गई। इससे पहले के महीने अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1,95,936 करोड़ रुपए रहा था।नवंबर के जीएसटी कलेक्शन में सेंट्रल गुड्स सर्विसेज टैक्स (सीजीएसटी) का हिस्सा 34,843 करोड़ रुपए, स्टेट गुड्स सर्विसेज टैक्स (एसजीएसटी) का हिस्सा 42,522 करोड़ रुपए और इंटीग्रेटेड गुड्स सर्विसेज टैक्स (आईजीएसटी) का हिस्सा 92,910 करोड़ रुपए रहा है।वहीं, सेस से आय नवंबर में 4,006 करोड़ रुपए रही है। यह पिछले साल समान अवधि में 12,950 करोड़ रुपए थी।नवंबर में सरकार ने 18,196 करोड़ रुपए का जीएसटी रिफंड जारी किया है। पिछले साल समान अवधि में जारी हुए 18,954 करोड़ रुपए के रिफंड के मुकाबले इसमें 4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। रिफंड के बाद नवंबर में नेट जीएसटी कलेक्शन 1,52,079 करोड़ रुपए रहा है, जबकि पिछले साल नवंबर में यह 1,50,062 करोड़ रुपए था।मासिक आधार पर जीएसटी कलेक्शन में गिरावट की वजह सरकार की ओर से 22 सितंबर से जीएसटी सुधारों को लागू करना और त्योहारी सीजन निकलने को माना जा रहा है। आमतौर पर दीपावली के बाद के महीने का जीएसटी कलेक्शन त्योहरी बिक्री न होने के कारण कम हो जाता है।सितंबर में लागू हुए जीएसटी सुधारों के तहत सरकार ने स्लैब की संख्या को चार -5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत से घटाकर दो - 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही लग्जरी गुड्स पर 40 प्रतिशत का टैक्स लगाया गया है। वहीं, ज्यादातर वस्तुओं पर सरकार ने सेस समाप्त कर दिया है, जिसके कारण नवंबर में सेस आय में पिछले साल के मुकाबले बड़ी गिरावट देखने को मिली है।

राहत भरी खबर:रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कर सकता है RBI, HSBC की रिपोर्ट में, इस दिन मिल सकती है गुड न्यूज
नई दिल्ली। आगे कुछ समय के लिए मुद्रास्फीति टारगेट लेवल से कम बने रहने का अनुमान है इस बीच एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की ओर से सोमवार को कहा गया कि आरबीआई की ओर से रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की जाएगी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का रेपो रेट को लेकर फैसला 5 दिसंबर को आएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास दर अभी तक मजबूत बनी हुई है, जिसे सरकारी खर्च और जीएसटी-कट लेड रिटेल खर्च से बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा, नवंबर फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 56.6 से संकेत मिलता है कि जीएसटी के कारण वृद्धि अपने पीक पर पहुंच गई है क्योंकि कुल मिलाकर नए ऑर्डर कम आ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अभी विकास दर मजबूत बनी हुई है, लेकिन मार्च 2026 की तिमाही में इसमें नरमी आ सकती है। हमें उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक आगामी दिसंबर नीति बैठक में पॉलिसी रेट को कम करेगा।सितंबर तिमाही में डीजीपी वृद्धि दर रही 8.2 प्रतिशत रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सालाना आधार पर 8.2 प्रतिशत रही, जो कि जून तिमाही के जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत और हमारे 7.5 प्रतिशत के अनुमान से अधिक रही। वहीं, ग्रॉस वैल्यू एडेड वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत और नॉमिनल जीडीपी 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी। जीडीपी में वृद्धि की गति तेज रही, जिसके बहुत से कारण रहे। इनमें से एक महत्वपूर्ण कारक 22 सितंबर को लागू की गई जीएसटी दरों में कटौती रही, जिसे लेकर 15 अगस्त को घोषणा की गई थी।रिपोर्ट में यह भी दावाएचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, हमारा मानना है कि कंज्यूमर डिमांड में वृद्धि की उम्मीद से उत्पादन में वृद्धि देखी गई। हमारे हालिया शोध दर्शाता है कि कम आय वाले राज्य अब वृद्धि की राह पर आ गए हैं, यहां तक कि वे उच्च आय वाले राज्यों से भी तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के निर्यात पर 50 प्रतिशत के अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के बावजूद भी भारत की विकास दर तेज गति से बढ़ती रही।

फिक्की की सालगिरह पर बोले उद्योग मंत्री:भारत को इनोवेशन और डिजिटल स्किल का ग्लोबल हब बना रहे भारतीय युवा
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को फिक्की की 98वीं सालगिरह के अवसर पर भारत की आत्मनिर्भरता, इनोवेशन और यूथ-ड्रिवन ग्रोथ की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। फिक्की को भारत के स्वतंत्रता संघर्ष और इंडस्ट्रियल शक्ति का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री बॉडी की यात्रा भारत के खुद के आर्थिक विकास को दिखाती है।उन्होंने कहा, भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है, इसी के साथ हमारा सामूहिक मिशन एक आत्मनिर्भर, प्रतिस्पर्धी और फ्यूचर-रेडी भारत के निर्माण के साथ स्पष्ट है, जिसे इनोवेशन, देश की युवा शक्ति और ग्लोबल लीडरशिप से सपोर्ट मिल रहा है। केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि आत्मनिर्भरता विजन की भारत में गहरी सभ्यतागत जड़ें हैं, जो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आर्थिक दर्शन से मिलती हैं।उन्होंने कहा कि इस विरासत को आज की उम्मीदों से जोड़ते हुए भारत का संविधान 140 करोड़ नागरिकों को उनकी किस्मत खुद बनाने के संकल्प के साथ सशक्त करता है। भारत की मैन्युफैक्चरिंग बढ़त पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ग्लोबल कंपनियों का विश्वास लगातार बढ़ रहा है और वे 100 अरब डॉलर के निवेश की योजनाएं बना रही हैं।केंद्रीय मंत्री गोयल ने प्रोटेक्शनिस्ट माइंडसेट से अलग प्रतिस्पर्धी, इनोवेशन और हाई-क्वालिटी स्टैंडर्ड्स को अपनाने की जरूरत पर बल दिया। केंद्रीय मंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी की आर्थिक विकास, देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को पॉलिसी निर्माण के केंद्र में रखने की अप्रोच पर प्रकाश डालते हुए कहा, एक अच्छी अर्थव्यवस्था का मतलब एक अच्छी राजनीति से होता है।उन्होंने कहा, ष्भारत मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन कर उभरा है। केंद्रीय मंत्री गोयल के अनुसार, हम अपने भविष्य को बनाने में आर्किटेक्ट की भूमिका में खुद ही हैं और यह सोच ही भारत को नया भारत बनाने की ओर गाइड करती है।उन्होंने मजबूत रिसर्च एंड डेवलपमेंट फ्रेमवर्क की जरूरत पर बल दिया और कहा कि सरकार की नई आरएंडडी और इनोवेशन फंड स्कीम प्राइवेट-सेक्टर की भागीदारी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगी। यह बताते हुए कि भारत में चैटजीपीटी का दूसरा सबसे बड़ा यूजर बेस है केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारत के युवा एडवांड टेक टूल्स को तेजी से इंटीग्रेट कर रहे हैं और भारत को इनोवेशन और डिजिटल स्किल का ग्लोबल हब बना रहे हैं।

एशिया में भारत बना मेजर पावर: टाॅप 10 में यह देश भी शामिल, पाकिस्तान पहुंचा 16वें नवंबर परः रिपोर्ट में खुलासा
नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित लोवी इंस्टीट्यूट ने एशिया पावर इंडेक्स 2025 जारी किया है, जिसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 27 देशों की सैन्य, आर्थिक, कूटनीतिक और सांस्कृतिक प्रभावशीलता का विस्तृत आकलन किया गया है। भारत के पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने इस रिपोर्ट को अपने एक्स हैंडल पर साझा करते हुए इसे पढ़ने योग्य बताया है। सैयद अकबरुद्दीन भारतीय विदेश सेवा के 1985 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय राजनयिक हैं। उन्होंने जनवरी 2016 से अप्रैल 2020 तक न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया था। उन्होंने पहले जनवरी 2012 से अप्रैल 2015 तक भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता के रूप में कार्य किया था। इससे पहले वह 2006 से 2011 तक आईएईए में भारतीय प्रतिनिधि थे। वर्तमान में वह कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डीन के रूप में कार्यरत हैं।भारत दो मेजर में तीसरे स्थान पररिपोर्ट के अनुसार, एशिया की शक्ति संरचना में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। भारत एशिया में एक बड़ी पावर है, जिसने 2025 में 40 पॉइंट की जरूरी लिमिट फिर से हासिल कर ली है। 2025 में भारत का स्कोर 0.9 पॉइंट बढ़ा है। भारत दो मेजर (इकोनॉमिक कैपेबिलिटी और फ्यूचर रिसोर्स) में तीसरे स्थान पर है। इसने जापान को पीछे छोड़ते हुए अपनी इकोनॉमिक कैपेबिलिटी रैंक एक स्थान बढ़ाकर तीसरे स्थान पर कर ली है। अपने आंतरिक निवेश में बढ़ोतरी के कारण भारत इकोनॉमिक रिलेशनशिप में नौवें स्थान पर पहुंच गया है। एशिया पावर इंडेक्स में यह पहली बार है जब इस मेजर के लिए इसकी रैंकिंग बढ़ी है।यूएसए की पकड़ लगातार हो रही कमजोरभारत लगातार आगे बढ़ रहा है। दूसरी ओर, संयुक्त राज्य अमेरिका की क्षेत्रीय पकड़ पहले की तुलना में कमजोर हुई है। जापान ने भी अपनी स्थिति सुधारते हुए क्षेत्रीय प्रभाव में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की है। 2025 में यूनाइटेड स्टेट्स का स्कोर 1.2 पॉइंट कम हो गया, जिससे यह 2018 में एशिया पावर इंडेक्स की शुरुआत के बाद से अपने सबसे कम स्कोर पर आ गया। हालांकि, यह अब भी सबसे ताकतवर देश बना हुआ है।अमेरिका का सबसे कमजोर मेजर डिप्लोमैटिक इन्फ्लुएंस यूनाइटेड स्टेट्स ने छह मेजर (इकोनॉमिक कैपेबिलिटी, मिलिट्री कैपेबिलिटी, रेजिलिएंस, फ्यूचर रिसोर्स, डिफेंस नेटवर्क और कल्चरल इन्फ्लुएंस) में अपनी बढ़त बनाए रखी है, हालांकि कल्चरल इन्फ्लुएंस को छोड़कर बाकी सभी में इसके स्कोर में गिरावट आई है। अमेरिका का सबसे कमजोर मेजर डिप्लोमैटिक इन्फ्लुएंस बना हुआ है, जिसमें यह तीसरे नंबर पर है। इस मेजर में इसमें 2.4 पॉइंट की गिरावट आई, जो राष्ट्रपति ट्रंप की वैश्विक और क्षेत्रीय नीति लीडरशिप के नेगेटिव मूल्यांकन को दिखाता है।टाॅप 10 देशों की लिस्टएशिया पावर इंडेक्स के टॉप 10 देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका- 80.5 (सुपर पावर), चीन- 73.7 (सुपर पावर), भारत- 40.0 (मेजर पावर), जापान- 38.8 (मिडल पावर), रूस- 32.1 (मिडल पावर), ऑस्ट्रेलिया- 31.8 (मिडल पावर), दक्षिण कोरिया- 31.5 (मिडल पावर), सिंगापुर- 26.8 (मिडल पावर), इंडोनेशिया- 22.5 (मिडल पावर) और मलेशिया- 20.66 (मिडल पावर) शामिल हैं। इंडेक्स में भारत का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और 2025 में भारत आधिकारिक रूप से श्मेजर पावरश् की श्रेणी में पहुंच गया है।पाकिस्तान 16वें स्थान परइस सूची से पाकिस्तान टॉप टेन से बाहर है, जिसे 16वां स्थान मिला है। पाकिस्तान सांस्कृतिक रूप से काफी कमजोर है, जिसमें वह 22वें स्थान पर है। जापान ने आर्थिक, तकनीकी और कूटनीतिक मोर्चों पर अपने प्रयास बढ़ाए हैं, जिससे उसकी क्षेत्रीय स्थिति और मजबूत हुई है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देश भी एशिया की शक्ति समीकरण में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।

भारतीय शेयर बाजार का नया कीर्तिमान:सेंसेक्स पहली बार 86000 हजार के पार, निफ्टी ने भी रचा इतिहास
मुंबई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीद और विदेशी पूंजी प्रवाह के बीच भारतीय शेयर बाजार ने गुरुवार के कारोबारी दिन अच्छी शुरुआत के साथ एक नया रिकॉर्ड बना लिया है। एक ओर सेंसेक्स जहां पहली बार 86000 स्तर को पार गया है। वहीं, निफ्टी ने भी 26,310.45 स्तर पर एक नया रिकॉर्ड बनाया है।सेंसेक्स बीते कारोबारी दिन 85,609.51 स्तर पर बंद हुआ था और कारोबार की शुरुआत हरे निशान में 85,745.05 स्तर पर की। इंट्राडे में सूचकांक ने 86,055.86 स्तर पर ऑल-टाइम-हाई बनाया। इसी तरह, निफ्टी बीते कारोबारी दिन 26,205.30 स्तर पर हरे निशान पर बंद हुआ और सुबह 26,261.25 स्तर पर कारोबार की शुरुआत की। इंट्राडे में सूचकांक ने 26,310.45 स्तर पर ऑल-टाइम हाई बनाया।इन सेक्टरों में बना हुआ खरीदारी का रूझानदूसरी ओर, निफ्टी बैंक 289.80 अंक या 0.49 प्रतिशत की बढ़त के साथ 59,817.85 स्तर पर कारोबार कर रहा था। हालांकि, निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 39.05 अंक या 0.06 प्रतिशत की मामूली गिरावट के बाद 61,022.65 स्तर पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स भी 74.30 अंक या 0.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,897.55 स्तर पर था। सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी आईटी, फाइनेंशियल सर्विस, एफएमसीजी और मीडिया सेक्टर में खरीदारी का रुझान बना हुआ था।मौजूदा बुलिश माहौल मजबूतचॉइस इक्विटी ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड में टेक्निकल और डेरिवेटिव एनालिस्ट अमृता शिंदे ने कहा, निफ्टी 50 ने अपनी हालिया बढ़त को बढ़ाया है, जिससे कंसोलिडेशन के एक फेज के बाद मौजूदा बुलिश माहौल मजबूत हुआ है। इंडेक्स को अब 26,050-26,100 रीजन में तुरंत मजबूत सपोर्ट मिल रहा है, जो लगातार डिमांड जोन की तरह काम करता रहा है। ऊपर की तरफ, रेजिस्टेंस धीरे-धीरे 26,300-26,350 बैंड की ओर शिफ्ट हो गया है।सेंसेक्स पैक में यह रहे टाॅप गेनर्सइस बीच, सेंसेक्स पैक में बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, हिंदुस्तान यूनीलिवर लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक, एलएंडटी, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप गेनर्स की लिस्ट में रहे। वहीं, इटरनल, एसबीआई, ट्रेंट और टाटा स्टील टॉप लूजर्स रहे। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) 26 नवंबर को लगातार दूसरे दिन शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 4,778.03 करोड़ रुपए के भारतीय शेयर खरीदे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) भी इस कारोबारी दिन शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 6,247.93 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदारी की।

रिपोर्ट में दावा:भारतीय कंपनियों का मजबूत प्रदर्शन, अगले 12 महीनों में 29,000 के स्तर को छू सकता है निफ्टी
मुंबई। भारतीय कंपनियों के मजबूत प्रदर्शन, अच्छी त्योहारी मांग, नीतिगत समर्थन और बदलते व्यापक आर्थिक माहौल के कारण भारत के कॉरपोरेट्स की आय में आने वाले समय में बड़ा उछाल देखा जा सकता है, जिससे निफ्टी अगले 12 महीनों में 29,000 के स्तर को छू सकता है। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई। लगातार पांच तिमाहियों में गिरावट के बाद, निफ्टी की आय में अंततः बदलाव आया है, जिसमें वित्त वर्ष 2026, वित्त वर्ष 2027 और वित्त वर्ष 2028 के लिए क्रमशः 0.7 प्रतिशत, 0.9 प्रतिशत और 1.3 प्रतिशत का सुधार देखने को मिल सकता है। पीएल कैपिटल की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया, यह सुधार दिखाता है कि आने वाले समय में भारतीय कॉरपोरेट्स की आय में मजबूती देखने को मिल सकती है और इससे निवेशकों के सेंटीमेंट में बदलाव होगा।निफ्टी ने बीते तीन महीनों में दिया 4 प्रतिशत का रिटर्न निफ्टी ने बीते तीन महीनों में 4 प्रतिशत का रिटर्न दिया, जो दर्शाता है यह अपने कंसोलिडेशन चरण से बाहर निकल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार,वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में उम्मीद से बेहतर कॉर्पोरेट आय, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ टैरिफ विवादों के समाधान में प्रगति की उम्मीद, और चल रहे त्योहारी और शादी के मौसम के दौरान घरेलू खपत में सुधार निफ्टी को 29,000 के स्तर तक ले जाने में अहम भूमिका निभाएंगे।रिपोर्ट में यह भी दावाघरेलू खपत में सुधार को सितंबर 2025 में लागू किए गए जीएसटी दरों के युक्तिकरण से भी समर्थन मिला है, जिससे कई उपभोक्ता श्रेणियों में प्रभावी खुदरा कीमतें कम हुईं और शहरी और ग्रामीण बाजारों में खर्च बढ़ा है। रिपोर्ट में बताया कि निफ्टी का 15 वर्षों का औसत पीई 19.2 गुना है, जिससे सितंबर 2027 में ईपीएस 1,515 रहने का अनुमान है। इससे निफ्टी का 12 महीनों का टारगेट 29,094 आता है। बुल-केस स्थिति में यह 30,548 और बियर-केस स्थिति में 26,184 आता है।

स्मालकेस की रिपोर्ट में दावा: भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर मार्केट 2030 तक 25 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान
नई दिल्ली। भारत एक मल्टी-ईयर इंफ्रा सुपर साइकल में प्रवेश कर रहा है। मंगलवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, निफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स ने बीते तीन वर्षों में निफ्टी 50 की तुलना में 2 गुना रिटर्न दिया है। स्मॉलकेस की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर इक्विटी डिफेंसिव से हाई-बीटा और हाई-अल्फा की ओर बढ़ रहा है और 2030 में मार्केट साइज में 25 लाख करोड़ रुपए के साथ डबल होने का अनुमान है।एनालिस्ट ने कहा कि पीएलआई स्कीम, ग्लोबल सप्लाई चेन शिफ्ट और मैन्युफैक्चरिंग पहलों की मदद से यह वृद्धि सरकारी खर्च और प्राइवेट कैपेक्स रिवाइवल की वजह से देखी जा रही है। स्मॉलकेस का अनुमान है कि इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेक्स का एक रुपए 2-3 रुपए का जीडीपी प्रभाव लाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर एग्जीक्यूशन के लिए मार्केट में हाई बीटा बना रह सकता हैय इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन, इंडस्ट्रियल्स, सीमेंट, पावर इक्विपमेंट और लॉजिस्टिक्स में अर्निंग्स विजिबिलिटी मजबूत बनी रहेगी।रिपोर्ट में यह भी दावाइनविट्स की वृद्धि को अनुमानित कॉन्ट्रैक्ट-बेस्ड रेवेन्यू स्ट्रीम से समर्थन मिलेगा, जो 10-12 प्रतिशत की प्री-टैक्स यील्ड और 7-9 प्रतिशत की पोस्ट टैक्स रिटर्न देगा, यह पारंपरिक फिक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स से अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स ने पिछले एक वर्ष में 14.5 प्रतिशत , 3 वर्ष में 82.8 प्रतिशत और 5 वर्षों में 181.2 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जो कि समान अवधि के लिए निफ्टी 50 के क्रमशरू 10.5 प्रतिशत, 41.5 प्रतिशत और 100.3 प्रतिशत से अधिक है। इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट में आ सकता है उतार-चढ़ाव स्मॉलकेस के इन्वेस्टमेंट मैनेजर अभिषेक बनर्जी ने कहा, भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट में मार्केट की अनिश्चितता के समय में कुछ उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन उनका 10.2 प्रतिशत का ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव इक्विटी मार्केट के 15.4 प्रतिशत से काफी कम है, जो तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन दर्ज करवाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इक्विटी से केवल 0.42 के कोरिलेशन के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म यूटिलिटीज की तरह ही काम करते हैं और लगातार महंगाई से लिंक्सड इनकम देते हैं, जिस पर आर्थिक उतार-चढ़ाव का अधिक प्रभाव देखने को नहीं मिलता।

पीयूष गोयल: इजरायल के वर्ल्ड-क्लास मोबिलिटी टेक्नोलॉजी का केन्द्रीय मंत्री ने लिया अनुभव, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर की भी देखी झलक
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अपने इजरायल विजिट के दौरान वर्ल्ड-क्लास मोबिलिटी टेक्नोलॉजी का अनुभव लिया। साथ ही, उन्होंने किबुत्ज रमत राचेल का भी भ्रमण किया। केंद्रीय मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने यरुशलम के किबुत्ज रमत राचेल का भी भ्रमण किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, यह कम्युनिटी-ड्रिवन इनोवेशन, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और को-ऑपरेटिव लिविंग की प्रेरणादायक झलक थी।उन्होंने एक ऑटोनोमस ड्राइविंग कंपनी मोबाइलआई को लेकर कहा, यरुशलम में मोबाइलआई के जरिए ऑटोनोमस ड्राइव के साथ सटीकता और इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन मिश्रण देखने को मिला। मोबिलिटी टेक्नोलॉजी के लिए आने वाला समय बेहद रोमांचक है। मोबाइलआई की ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, कंपनी एआई, एक्सटेंसिव रीयल-वर्ल्ड एक्सपीरियंस और प्रैक्टिकल विजन को मिलाकर स्मार्ट और सुरक्षित मोबिलिटी की ओर विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।प्रोफेसर अमन शाशुआ ने 1999 में मोबाइलआई की स्थापना की थी। शाशुआ ने यरुशलम के हिब्रू यूनिवर्सिटी में अपने एकेडमिक रिसर्च को एक मोनोक्यूलर विजन सिस्टम में विकसित किया था, जो केवल एक कैमरा और प्रोसेसर पर सॉफ्टवेयर एल्गोरिदम का इस्तेमाल कर व्हीकल को डिटेक्ट कर सकता था।इस कंपनी की स्थापना के लिए कॉन्सेप्ट डेमो के लिए एक एशियाई ओईएम के साथ मीटिंग के बाद फंड की सुविधा प्राप्त हुई। शाशुआ ने अपने दो करीबी दोस्तों, जिव अविराम और नोरियो इचिहाशी के साथ एक टीम बनाई थी। नए स्टार्टअप के मैनेजमेंट में शाशुआ और अविराम एक साथ काम करने लगे, जहां अविराम ऑपरेशन, फाइनेंस और इन्वेस्टर रिलेशंस के लिए जिम्मेदार थे और शाशुआ टेक्नोलॉजी, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, और कंपनी के स्ट्रेटेजिक विजन के लिए जिम्मेदार थे।2014 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी सार्वजनिक हो गई और ये दोनों व्यक्ति 2017 तक कंपनी की कमान संभालते रहे। इसके बाद मोबाइलआई का इंटेल कॉर्प द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया। अधिग्रहण के बाद, अविराम रिटायर हो गए और शाशुआ ने सीईओ का पद संभाला।

सेबी की बड़ी तैयारी:माकेर्ट इंडेक्स में में शामिल हो सकते हैं आरईआईटी और इनविट्स, चेयरमैन को भरोसा- निवेशकों में बढ़ेगी रुचि
नई दिल्ली। बाजार नियामक रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट्स) को बड़े बाजार सूचकांकों में शामिल कर सकता है। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने यह जानकारी शुक्रवार को दी है। उन्होंने कहा है कि यह पूरी कैलकुलेशन के साथ चरणबद्ध तरीके से उठाया जाएगा। इससे आईआईटी और इनविट्स में लिक्विडिटी बढ़ेगी और दृश्यता में इजाफा होगा एवं निवेशकों की रुचि बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यह भारत के युवा आरईआईटी और इनविट्स मार्केट के लिए एक बहुत बड़ा संकेत है। भारत बना एशिया का चौथा सबसे बड़ा आरईआईटी मार्केट पांडे ने आगे कहा कि इन वित्तीय उपकरणों को देश की लंबी-अवधि की इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरतों को पूरा करने के लिए फाइनेंशियल वर्ल्ड में बड़ी भूमिका निभानी होगी। भारत एशिया का चौथा सबसे बड़ा आरईआईटी मार्केट बन गया है, लेकिन इसमें गतिविधियां धीमे बनी हुई हैं। इनमें रिटेल हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है और ट्रेडिंग वॉल्यूम भी न्यूनतम स्तर पर बनी हुई है। देश में अक्टूबर 2025 तक कुल 24 लिस्टेड आरईआईटी और इनविट्स हैं और इनकी संयुक्त एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 9.25 लाख करोड़ रुपए था।सेबी मार्केट एक्सेस को बेहतर बनाने कई बदलावों पर हो रहा विचारपांडे ने कहा कि सेबी मार्केट एक्सेस को बेहतर बनाने के लिए कई बदलावों पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, इनमें अधिक म्यूचुअल फंड को इन इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने की इजाजत देना, लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए आरईआईटी को इक्विटी मानना और न्यूनतम निवेश की जरूरतों को कम करना शामिल है, जिससे ज्यादा लोग निवेश कर सकें। उन्होंने कहा कि बड़ी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां मार्केट को बड़ा करने के लिए एंकर इन्वेस्टर के तौर पर काम कर सकती हैं।

अनिल अंबानी पर फिर बड़ा एक्शन:ईडी ने एडीएजी ग्रुप की 1,400 करोड़ की संपत्तियां की जब्त, आंकड़ा पहुंचा 9000 करोड़ पर
मुंबई। बैंक फ्राड मामले में अनिल अंबानी प्रवर्तन निदेशालय के राडार पर आ गए हैं। एजेंसी उनसे जुडे ग्रुप पर लगातार एक्शन ले रही है। इसी क्रम में ईडी ने अनिल धीरुभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) ग्रुप पर बड़ा एक्शन लेते हुए 1,400 करोड़ रुपए की वैल्यू की नई अचल संपत्तियां जब्त की हैं। बता दें कि तक अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप से जुड़ी कुल 7,500 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी जब्त की जा चुकी है। वहीं ईडी के इस एक्शन के बाद संपत्तियों की वैल्यू बढ़कर करीब 9,000 करोड़ रुपए हो गई है।ईडी की ओर से संपत्तियां ऐसे समय पर जब्त की जा रही हैं, जब जांच एजेंसी पूछताछ के लिए अनिल अंबानी को कई बार समन भेज चुकी है और वह पेश नहीं हुए हैं। रिलायंस एडीएजी के चेयरमैन अनिल अंबानी को 17 नवंबर को ईडी के दिल्ली मुख्यालय में जयपुर-रींगस हाईवे प्रोजेक्ट से जुड़ी फेमा जांच में दूसरी बार पेश होना था, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया और वर्चुअल पेशी का प्रस्ताव रखा।इससे पहले पहले अनिल अंबानी 14 नवंबर को भी ईडी के सामने पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए थे। हालांकि, दौरान उनकी ओर से रखे गए वर्चुअल पेशी के प्रस्ताव को जांच एजेंसी ने खारिज कर दिया था।ऋण धोखाधड़ी मामले में अंबानी से 9 घंटे हो चुकी है पूछताछईडी सूत्रों के अनुसार, सरकारी एजेंसी फेमा के तहत उनका बयान दर्ज करना चाहती है। यह जांच उन आरोपों के बाद शुरू हुई थी, जिसमें कहा गया था कि रिलायंस इंफ्रा ने 2010 में मिले हाइवे प्रोजेक्ट के लगभग 40 करोड़ रुपए को सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से दुबई भेज दिया था। इससे पहले,अगस्त में ईडी मुख्यालय में कथित 17,000 करोड़ रुपए के ऋण धोखाधड़ी मामले में उनसे लगभग नौ घंटे तक कड़ी पूछताछ हुई थी।बैंक धोखाधड़ी मामले में अब तक 42 संपत्तियां जब्तयह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब ईडी ने सोमवार को नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 4,462.81 करोड़ रुपए मूल्य की 132 एकड़ से अधिक जमीन को धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अस्थायी रूप से कुर्क किया था। ईडी ने इससे पहले रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के बैंक धोखाधड़ी मामलों में 3,083 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 42 संपत्तियां जब्त की थीं।

दिसंबर में महंगाई से मिलेगी राहत! :दिग्गज फाइनेंस कंपनी ने आम आदमी को दी गुड न्यूज
मुंबई। दुनिया की दिग्गज वित्तीय कंपनियों में से एक मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है, जिससें रेपो रेट घटकर 5.25 प्रतिशत हो जाएगी। आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक 3-5 दिसंबर के बीच प्रस्तावित है और इसमें ब्याज दरों को लेकर समीक्षा की जाएगी।मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि मौद्रिक नीति का रुख विवेकपूर्ण बना रहने की उम्मीद है। हालांकि, इस कटौती के बाद केंद्रीय बैंक आगे के फैसले लेने के लिए डेटा पर निर्भर हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई द्वारा ब्याज दरों, तरलता की स्थिति और नियामक उपायों को शामिल करते हुए अपने त्रि-आयामी सहजता चक्र का मूल्यांकन करते समय वेट एंड वॉच की स्थिति अपनाने की उम्मीद है। इससे आरबीआई को भविष्य में कोई भी कदम उठाने से पहले यह आकलन करने का अवसर मिलेगा कि ये बदलाव घरेलू विकास पैटर्न और मुद्रास्फीति संकेतकों के साथ कैसे तालमेल बिठाते हैं।बढ़ सकती है खुदरा महंगाई दरदेश की राजकोषीय नीति के संबंध में, रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार राजकोषीय व्यावहारिकता का पालन जारी रखेगी, पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देते हुए क्रमिक समेकन पर ध्यान केंद्रित करेगी। साथ ही कहा कि मध्यम अवधि के आर्थिक विस्तार को बनाए रखने के लिए ये उपाय आवश्यक हैं। मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि भारत में खुदरा महंगाई दर 2025 के निचले स्तरों से वित्त वर्ष 2026-27 में मामूली रूप से बढ़ सकती है। हालांकि, यह आरबीआई के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 प्रतिशत के आसपास ही रहेगी।भारत का ग्लोबल शेयर रहेगा 5.1 प्रतिशत वैश्विक वित्तीय फर्म का कहना है कि भारत का चालू खाता घाटा भी जीडीपी के एक प्रतिशत के नीचे बने रहने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर अस्थिरता होने के बाद भी देश का सेवा निर्यात लगातार बढ़ने की उम्मीद है और इससे भारत का ग्लोबल शेयर 5.1 प्रतिशत रहेगा। भारत की एक्सटर्नल बैलेंसशीट लगातार मजबूत और स्थिर बने रहने की उम्मीद है, जिसे विदेशी मुद्रा भंडार और लो एक्सटर्नल डेट-टू-जीडीपी रेश्यो से समर्थन मिलने की उम्मीद है।

ईडी के सामने पेश होने से गुरेज कर रहे अनिल अंबानी:फेमा मामले में आज होनी थी पूछताछ, वर्चुअली पेशी का रखा प्रस्ताव
नई दिल्ली। रिलायंस एडीएजी ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी जयपुर-रींगस हाइवे प्रोजेक्ट से जुड़ी फेमा जांच में सोमवार को दूसरे समन के बाद भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए। हालांकि, उन्होंने वर्चुअल पेशी का प्रस्ताव रखा है। इससे पहले शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से अनिल अंबानी को दिल्ली के ईडी मुख्यालय में पेश होना था, लेकिन वे पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे थे और वर्चुअल पेश की अनुमति मांग थी, जिस पर जांच एसेंजी ने इनकार करते हुए, सोमवार को पेशी के लिए दूसरा समन जारी किया था।पैसों का यह लेन-देन हवाला नेटवर्क से जुड़ा ईडी सूत्रों के अनुसार, एजेंसी फेमा के तहत उनका बयान दर्ज करना चाहती है। यह जांच उन आरोपों के बाद शुरू हुई थी, जिसमें कहा गया था कि रिलायंस इंफ्रा ने 2010 में मिले हाइवे प्रोजेक्ट के लगभग 40 करोड़ रुपए को सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से दुबई भेज दिया था। जांचकर्ताओं का यह भी मानना है कि पैसों का यह लेन-देन एक बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क से जुड़ा है, जिसका अनुमानित आकार 600 करोड़ रुपए से अधिक है।ईडी ने अनुरोध को कर दिया था अस्वीकारअनिल अंबानी ने पहले जारी समन के जवाब में शुक्रवार को ईडी के समक्ष वर्चुअल पेशी के लिए ईमेल के जरिए अनुरोध भेजा था। हालांकि, वित्तीय जांच एजेंसी ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और उन्हें 17 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए एक और समन जारी करने का फैसला किया। रिलायंस समूह के एक प्रवक्ता ने एक ताजा बयान में कहा कि ष्अनिल अंबानी ने ईडी के लिए उपयुक्त किसी भी तारीख और समय पर वर्चुअल उपस्थितिध्रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से अपना बयान दर्ज कराने के लिए खुद को उपलब्ध कराने की पेशकश की है।ष्रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं अंबानीप्रवक्ता ने आगे कहा, अनिल डी. अंबानी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक लगभग पंद्रह वर्षों तक कंपनी में केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में काम किया, और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में कभी शामिल नहीं रहे। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) चार वर्षों से अधिक समय से इस सड़क का संचालन कर रहा है। प्रवक्ता ने आगे कहा कि यह पूरी तरह से एक घरेलू अनुबंध था, जिसमें कोई विदेशी मुद्रा अनुबंध नहीं था।17,000 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में 9 घंटे हो चुकी पूछताछइससे पहले,अगस्त में ईडी मुख्यालय में कथित 17,000 करोड़ रुपए के ऋण धोखाधड़ी मामले में उनसे लगभग नौ घंटे तक कड़ी पूछताछ हुई थी। यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब ईडी ने सोमवार को नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 4,462.81 करोड़ रुपए मूल्य की 132 एकड़ से अधिक जमीन को धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अस्थायी रूप से कुर्क किया था।

बैंक फ्रॉड मामला:ईडी के सामने पेश नहीं हुए अनिल अंबानी, कंपनी बोली- सहयोग करने के लिए तैयार पर वर्चुअली
नई दिल्ली। बैंक फ्रॉड मामले में रिलायंस एडीएजी समूह के अनिल अंबानी शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के फिर पेश होना था, लेकिन वह ईडी आॅफिस नहीं पहुंचे। उन्होंने वर्चुअली अपना प्रस्ताव रखा। बता दें कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए अनिल अंबानी को आज फिर से तलब किया था।अनिल अंबानी की ओर से जारी एक बयान में, कंपनी ने कहा कि वह सभी मामलों में ईडी के साथ पूरा सहयोग करेगी और वर्चुअल माध्यम से पेश होने को तैयार है। वहीं ईडी ने कहा है कि अभी तक हमें अनिल अंबानी या उनकी कंपनी से ऐसा कोई संदेश नहीं मिला है। अनिल अंबानी की ओर से जारी बयान में कहा गया, अनिल डी. अंबानी को ईडी की ओर से भेजा गया समन फेमा जांच से संबंधित है, न कि पीएमएलए के किसी मामले से इसका जुड़ाव है।बयान में आगे कहा गया, अनिल अंबानी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक लगभग पंद्रह वर्षों तक कंपनी में केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में काम किया और कंपनी के डे-टू-डे मैनेजमेंट में कभी शामिल नहीं रहे।ईडी ने अगस्त में अंबानी से 9 घंटे की थी पूछताछबता दें कि अगस्त में ईडी मुख्यालय में कथित 17,000 करोड़ रुपए के ऋण धोखाधड़ी मामले में उनसे लगभग नौ घंटे तक कड़ी पूछताछ हुई थी। यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब ईडी ने सोमवार को नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 4,462.81 करोड़ रुपए मूल्य की 132 एकड़ से अधिक जमीन को धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अस्थायी रूप से कुर्क किया था।ईडी जब्त कर चुकी है 3,083 करोड़ की संपत्तियांईडी ने इससे पहले रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के बैंक धोखाधड़ी मामलों में 3,083 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 42 संपत्तियां जब्त की थीं। बयान में कहा गया, इन मामलों में कुल जब्ती 7,545 करोड़ रुपए से अधिक की है। ईडी वित्तीय अपराध करने वालों की सक्रिय रूप से तलाश कर रहा है और अपराध से कमाई गई आय को उनके सही दावेदारों को वापस दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

उपलब्धिः अक्टूबर में खुले 30 लाख से ज्यादा डीमैट खाते:देश के पूंजीबाजार में फंडिंग जुटाने का अब तक का यह सबसे बड़ा आंकड़ा
मुंबई। अक्टूबर में 30 लाख से ज्यादा नए डीमैट खाते खुले हैं, जो कि बीते 10 महीनों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह जानकारी डिपॉजिटरीज की ओर से जारी किए गए डेटा में दी गई। इससे पहले सिंतबर में 24.6 लाख डीमैट खाते खुले थे। जानकारों का मानना है कि नए डीमैट खातों की संख्या में बढ़ोतरी होने की वजह इक्विटी बाजारों में रिकवरी, विदेशी निवेशकों के इनफ्लो की वापसी और बाजार में बड़े इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) का आना है।अक्टूबर के डेटा को मिलाकर देश में कुल डीमैट खातों की संख्या बढ़कर 21 करोड़ हो गई है, जो कि पिछले महीने 20.7 करोड़ थी। भारत के प्राइमरी मार्केट में अक्टूबर में रिकॉर्ड 10 आईपीओ देखने को मिले थे और इन पब्लिक इश्यू ने मिलकर करीब 44,930 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाई, जो कि देश के पूंजीबाजार में फंडिंग जुटाने का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।बड़ी संख्या में नए डीमैट खातों के खुलने की वजह बाजार के अच्छे प्रदर्शन को भी माना जा रहा है। अक्टूबर में सेंसेक्स और निफ्टी ने क्रमशरू 3 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने क्रमशरू 4 प्रतिशत और 3 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। वहीं, विदेशी संस्थागत निवेशक, जो कई महीनों से शुद्ध विक्रेता थे, अब खरीदार बन गए हैं और घरेलू इक्विटी में लगभग 1.6 अरब डॉलर का निवेश किया है।वैश्विक निवेश बैंक गोल्डमैन सैश भारतीय शेयर बाजार पर बुलिश बना हुआ है और रेटिंग को अपग्रेड कर ओवरवेट कर दिया है। साथ ही, निफ्टी के लिए 2026 के अंत तक 29,000 का टारगेट दिया है, जो कि मौजूदा स्तरों से 14 प्रतिशत ऊपर है। गोल्डमैन सैश ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में भारत के विकास की रफ्तार और तेज होने का अनुमान लगाया है, जिससे मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों, विदेशी निवेशकों की रुचि और कंपनियों की आय में सुधार का फायदा मिलेगा।

इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में बोले आरबीआई गवर्नर:देश की अर्थव्यवस्था के हित के लिए आरबीआई में में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी जरूरी
मुंबई। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को 12वें बैंकिंग एंड इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह कॉन्क्लेव ऐसे समय में हो रहा है जब पॉलिटिकल टेंशन, टेक्नोलॉजिकल बदलावों की वजह से अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। उन्होंने इस कॉन्क्लेव को मौजूदा चुनौतियों और अवसरों पर बात करने का एक सही समय बताया। उन्होंने एक वर्ष पहले हुए इसी कॉन्क्लेव को लेकर कहा कि मैंने इस खास कॉन्क्लेव में अपनी मौजूदगी वर्चुअली दर्ज करवाई थी। आरबीआई गवर्नर ने कहा, पिछले कॉन्क्लेव में मैंने उन रिफॉर्म्स के बारे में बात की थी जो हम आज टैक्सेशन सेक्टर में कर रहे हैं। मैं आज आपके सामने पिछले कुछ महीनों में किए गए कुछ रेगुलेटरी बदलावों के बारे में बात करूंगा। उन्होंने आगे जानकारी देते हुए कहा कि पहले हमने आरबीआई के लिए एक रेगुलेशन बनाने का फ्रेमवर्क जारी किया था, जिसमें हमारा एक कंसल्टेटिव प्रोसेस है। हम इसे अधिक ओपन और कंसल्टेटिव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।अर्थव्यवस्था के हित के लिए आरबीआई में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी जरूरी आरबीआई गवर्नर ने अपने एमपीसी बयानों पर बात करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के हित के लिए भारतीय रिजर्व बैंक में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी जरूरी है। उन्होंने कहा, ष्यह एक जरूरी सिद्धांत है। यह शॉर्ट-टर्म ग्रोथ नहीं, जो फाइनेंशियल स्टेबिलिटी की कीमत पर हासिल की जाती है, इसके लॉन्ग-टर्म ग्रोथ के लिए बड़े नतीजे हो सकते हैं।गवर्नर मल्होत्रा के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक मैग्नीट्यूड की टेक्नोलॉजिकल तरक्की पर आधारित तेजी से बदलते बैंकिंग सिस्टम में कोई भी रेगुलेटर सिस्टम को एक ही समय पर नहीं रख सकता। रेगुलेटर की भूमिका भारत में स्थिरता, निष्पक्षता और मजबूती सुनिश्चित करने वाले नियमों के तहत विकास का नेतृत्व करना है।भारत ने बदल दिया क्रेडिट कल्चर कोइनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी को लेकर संजय मल्होत्रा ने कहा कि इसने भारत के क्रेडिट कल्चर को पूरी तरह से बदल दिया है। उन्होंने एसबीआई को लेकर कहा कि देश का सबसे बड़ा पब्लिक सेक्टर बैंक पूरी तरह से बदल गया है। एसबीआई 2018 में नुकसान में चला गया था, वहीं आज 100 बिलियन डॉलर की कंपनी बन गया है, जो कि रेगुलेटरी और स्ट्रक्चरल सुधारों का परिणाम है।

मनी लॉन्ड्रिंग मामला:ईडी के राडार पर अनिल अंबानी, 14 नवंबर को पूछताछ के लिए किया तलब, 4,462.81 करोड़ की संपत्ति हो चुकी है अटैच
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस एडीएजी ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को उनके समूह के खिलाफ चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले के लिए एक बार फिर से समन भेजा है। सूत्रों के मुताबिक, सरकारी जांच एजेंसी अनिल अंबानी से 14 नवंबर को पूछताछ करेगी।यह खबर ऐसे समय पर सामने आई है, जब ईडी ने इस सप्ताह की शुरुआत में धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 4,462.81 करोड़ रुपए मूल्य की 132 एकड़ से अधिक जमीन को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है।बैंक फ्रॉड मामले 42 संपत्तियां जब्तइससे पहले ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़े बैंक फ्रॉड मामले में 3,083 करोड़ रुपए की 42 संपत्तियों को जब्त किया था। ईडी बयान में कहा गया, अब तक 7,545 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति को जब्त किया जा चुका है। प्रवर्तन निदेशालय वित्तीय अपराध करने वालों की सक्रियता से तलाश कर रहा है और अपराध से प्राप्त राशि को उनके वास्तविक दावेदारों को वापस दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।सीबीआई की एफआईआर के बाद एजेंसी ने शुरू की जांचसरकारी एजेंसी की ओर से जांच सीबीआई की एफआईआर के बाद शुरू की गई थी। सीबीआई द्वारा अनिल अंबानी, आरकॉम और अन्य के खिलाफ एफआईआर आईपीसी की धारा-120-बी, 406 एवं 420, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 13(2) के तहत दर्ज की गई है।बयान में आगे कहा गया, आरकॉम और उनकी ग्रुप कंपनियों की ओर से 2010-2012 के बीच घरेलू और विदेशी बैंकों से भारी मात्रा में लोन लिए गए थे, जिसमें से 40,185 करोड़ रुपए बकाया रह गए थे। पांच बैंकों ने ग्रुप के बैंक खातों को फ्रॉड घोषित कर दिया था।बैंक लोन का किया गया गलत इस्तेमालईडी की जांच के मुताबिक, समूह की एक इकाई द्वारा लिए गए बैंक लोन का इस्तेमाल, समूह की किसी अन्य कंपनी द्वारा अन्य बैंक से लिए गए लोन का पुनर्भुगतान, अन्य कंपनियों को ट्रांसफर और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए किया गया। यह लोन के नियम व शर्तों के खिलाफ था।

अनिल अंबानी पर बड़ा एक्शन:ED ने 3,000 करोड़ से अधिक की सपंत्ति की अटैच, इसमें आफिस-घर सब कुछ शामिल, जानें क्या है मामला
मुंबई। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल अंबानी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के राडार पर है। यही नहीं ईडी लगातार उनकी मुश्किलें भी बढ़ाती जा रही है। इसी क्रम में ईडी ने पब्लिक फंड की कथित हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर रिलायंस अनिल अंबानी समूह की कंपनियों से जुड़ी लगभग 3,084 करोड़ रुपए की संपत्तियों को जब्त कर लिया है। इन संपत्तियों में मुंबई के पाली हिल में मौजूद घर, नई दिल्ली में रिलायंस सेंटर और दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई (कांचीपुरम सहित) और पूर्वी गोदावरी में कई संपत्तियां शामिल हैं। केंद्रीय एजेंसी ने यह कार्रवाई 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक फंड की कथित हेराफेरी के मामले में की है।30 अक्टूबर को जारी किया गया था संपत्तियों को जब्त करने का आदेशसूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि दिल्ली के होटल रणजीत में स्थित रिलायंस सेंटर (जो अंबानी का ऑफिस है) उन कई संपत्तियों में से एक है जिसे ईडी ने जब्त किया है। यह महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर है और रामलीला मैदान व रणजीत सिंह फ्लाईओवर के बीच तीन एकड़ से ज्यादा में फैला है। इन संपत्तियों को जब्त करने का आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 5(1) के तहत 31 अक्टूबर, 2025 को जारी किया गया था। इससे संबंधित है मामलायह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) द्वारा जुटाए गए बैंकिंग लोन के हेरफेर और लॉन्ड्रिंग से संबंधित है। 2017-19 के दौरान, यस बैंक ने आरएचएफएल इंस्ट्रूमेंट्स में 2,965 करोड़ रुपए और आरसीएफएल इंस्ट्रूमेंट्स में 2,045 करोड़ रुपए का निवेश किया। दिसंबर 2019 तक ये इन्वेस्टमेंट नॉन-परफॉर्मिंग (एनपीए) बन गए थे, जिसमें आरएचएफएल पर 1,353.50 करोड़ रुपए और आरसीएफएल पर 1,984 करोड़ रुपए बकाया थे।ईडी की जांच में हुई यह खुलासेईडी की जांच में पता चला कि सेबी के म्यूचुअल फंड कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट फ्रेमवर्क के कारण पहले के रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड द्वारा अनिल अंबानी ग्रुप की फाइनेंशियल कंपनियों में सीधा इन्वेस्टमेंट कानूनी तौर पर संभव नहीं था। इन गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हुए, आम जनता द्वारा म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट किया गया पैसा यस बैंक के एक्सपोजर के जरिए इनडायरेक्टली रूट किया गया, जो आखिरकार अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों के पास पहुंचा।ईडी ने इन कंपनियों के खिलाफ भी जांच की तेजजांच में यह भी पता चला कि फंड यस बैंक के आरएचएफएल और आरसीएफएल के एक्सपोजर के जरिए इनडायरेक्टली रूट किए गए थे, जबकि आरएचएफएल औरआरसीएफएल ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी संस्थाओं को लोन दिए थे। इस बीच, ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और संबंधित कंपनियों के लोन फ्रॉड स्कैम में भी जांच तेज कर दी है।इन्वेस्टिगेटिव न्यूज ने भी लगाया बड़ा आरोपपिछले हफ्ते, इन्वेस्टिगेटिव न्यूज वेबसाइट कोबरापोस्ट ने आरोप लगाया था कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने एक बड़ा बैंकिंग फ्रॉड किया है और इसमें 2006 से अब कर 28,874 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का हेरफेर किया गया है। रिलायंस ग्रुप ने कोबरापोस्ट की रिपोर्ट को ष्एक दुर्भावनापूर्ण, आधारहीन और मकसद से चलाया गया अभियान बताकर खारिज कर दिया था।

सेबी के नए नियम:बैंक निफ्टी में बढ़ाई शेयरों की संख्या, बड़े स्टॉक्स वेटेज को किया सीमित, असर पड सकता है इनके इंडेक्स पर
नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी बैंक जैसे नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स में शेयरों की संख्या को बढ़ा दिया है। साथ ही, बड़े स्टॉक्स के वेटेज को सीमित कर दिया है। बाजार नियामक ने कहा कि नए नियमों से एक इंडेक्स में कुछ शेयरों के अधिक वेटेज की समस्या समाप्त हो जाएगी और व्यापक और संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।नए नियमों के तहत अब एक इंडेक्स में 14 शेयर होंगे, जबकि पहले इनकी संख्या 12 थी। एक शेयर का योगदान 20 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है, जो कि पहले 33 प्रतिशत था। इसके अलावा, अब किसी इंडेक्स में तीन बड़े शेयरों का वेटेज या योगदान 45 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है, जो कि पहले 62 प्रतिशत था।सेबी के नए नियमों का असर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बैंकएक्स और एनएसई के फिननिफ्टी इंडेक्स पर भी हो सकता है और आने वाले समय में इन इंडेक्स में एडजस्टमेंट देखने को मिल सकता है। नए नियमों के बाद, बैंक निफ्टी में पहला एडजस्टमेंट दिसंबर 2025 को देखने को मिल सकता है। इसके बाद, तीन अतिरिक्त रीबैंलेंसिंग देखने को मिल सकती है। सेबी के मुताबिक, नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स पर डेरिवेटिव्स के नए नियमों से निवेशकों और फंड का जोखिम कम होगा।बयान में कहा गया है कि नियमों का अनुपालन दोनों इंडेक्स बैंकेक्स और फिननिफ्टी के लिए एक ही चरण में शेयरों की संख्या में बदलाव या वेटेज के एडजस्टमेंट के माध्यम से लागू किया जा सकता है। वर्तमान में बैंक निफ्टी में आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, फेडरल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं।


