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निजी स्कूलों की मनमानीः : फीस संबंधी जानकारी पोर्टल पर नहीं किया अपलोड, जुर्माना ठोकने की तैयारी कर रहा विभाग
भोपाल। मध्यप्रदेश में फीस, पुस्तकों सहित अन्य ब्यौरा सार्वजनिक करने को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी जारी है। इस संबंध में आदेश जारी होने के बाद भी अधिकतर निजी स्कूलों ने फीस संबंधी जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं की है। जबकि शासन की द्वारा नए सत्र को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए गए है, लेकिन आदेश का पालन नहीं हो सका है। अब स्कूल शिक्षा विभाग इन पर जुर्माना लगाने की तैयारी कर रहा है। विभागीय जानकारों के अनुसार, किसी स्कूल का पंजीयन शुल्क 1 हजार है, तो उस पर 5 हजार और 5 हजार पंजीयन शुल्क है तो उससे 25 हजार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। इसके लिए लोक शिक्षण संचालनालय की तरफ से एनआईसी से जानकारी मांगी गई है कि कौन-कौन से स्कूल हैं, जिन्होंने अब तक फीस की जानकारी अपलोड नहीं की है। इनकी जानकारी मिलते ही, इन सभी को नोटिस जारी होंगे।
प्रदेश में करीब 34 हजार 662 निजी स्कूल संचालित
मामले में पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पंड्या का कहना है कि पूरे प्रदेश में संचालित करीब 34 हजार 662 निजी स्कूलों में से बड़ी मात्रा में स्कूलों की ओर से ही फीस की जानकारी सार्वजनिक की गई है और वह भी अधूरी है। हालात यह हैं कि राजधानी भोपाल में ही अधिकारी आदेशों का पालन नहीं करा पा रहे हैं। स्कूलों के पोर्टल पर अब भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।बार-बार शासन-प्रशासन को पत्र लिखने और अवगत कराने के बाद भी इस मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। ऐसे में अभिभावक परेशान हैें।आदेश तो जारी हुए, लेकिन अमल नहीं हो सका।
30 जनवरी तक ब्यौरा सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए थे रू
उल्लेखनीय है कि मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2020 के तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए निर्धारित फीस संरचना (कक्षा एवं संवर्गवार) की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। शासन-प्रशासन द्वारा प्रवेश, यूनिफार्म सहित पुस्तकों को लेकर कुछ माह पूर्व सख्त निर्देश जारी करते हुए 30 जनवरी तक ब्यौरा सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही स्कूलों को आगामी शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के पहले अनिवार्य रूप से लेखक एवं प्रकाशक के नाम, मूल्य के साथ कक्षा वार पुस्तकों की सूची स्कूल के सूचना पटल पर प्रदर्शित करने की बात कही गई थी। स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि वह प्रत्येक कक्षा में लगने वाली पाठ्यपुस्तकों एवं प्रकाशक की जानकारी को वेबसाइट पर अनिवार्यतः अपलोड करेंगे। इसके साथ ही हॉर्ड कॉपी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा करानी होगी, लेकिन इस आदेश पर अमल नहीं हो सका है। नतीजन अभिभावक परेशान हैं।
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