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पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा का दूसरा दिन : मौसी के घर चले भगवान, एक हफ्ते यही करेंगे विश्राम, साथ रहेंगे भाई-बहन

मौसी के घर चले भगवान, एक हफ्ते यही करेंगे विश्राम, साथ रहेंगे भाई-बहन
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Ganesh Sir

Jun 28, 202501:29 PM

पुरी। धर्मनगरी के नाम मसहूर ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा का आगाज शुक्रवार से हो गया है। 12 दिनों तक चलने निकलने वाली रथ यात्रा का आज दूसरा दिन है। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने विशाल रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकल पड़े हैं। बता दें कि रथ यात्रा का समापन 8 जुलाई को नीलाद्रि बिजय के साथ होगा। ज्ञात हो कि यह महापर्व भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम है, जो हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

शनिवार को भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के तीन रथों को खींचने का काम परंपरा के अनुसार सुबह 9ः30 बजे फिर से शुरू हुआ. आज तीनों भाई बहन अपने मौसी के घर जा रहे हैं। उनके मौसी का घर गुंडिचा मंदिर को माना जाता है। वहां पर तीनों लोग एक हफ्ते तक रुकने के बाद वापस जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह लौट जाएंगे। इस रथयात्रा का शुक्रवार शाम 4 बजे शुभारंभ हुआ।पहले भगवान बलभद्र का रथ खींचा गया, फिर सुभद्रा और जगन्नाथ के रथ खींचे गए। भक्तों की भारी भीड़ की वजह से कुछ लोगों की तबीयत बिगड़ी। हालांकि, समय रहते सबको इलाज दे दिया गया। भक्तों की तबीयत खराब होने की वजह से रथयात्रा को बीच में ही विश्राम दे दिया गया। अगले दिन यानी आज शनिवार को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को आगे बढ़ाया जा रहा है।

भगवान को प्रसन्न करने का मंत्र

ॐ..

“अनाथस्य जगन्नाथ, नाथस्त्वं मे न संशयः।*

यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य, दुःखं कथं प्रभो।।

(हे जगत के स्वामी, आप अनाथों के स्वामी हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।

जिसका स्वामी जगन्नाथ भगवान है, वह कैसे दुःख भोग सकता है, हे प्रभु।)

जय जगन्नाथ।।

भक्ति, उत्साह और सांस्कृतिक गौरव से ओत-प्रोत यह रथ यात्रा न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में अपनी भव्यता और अनूठी परंपरा के लिए जानी जाती है। श्रद्धालु श्जय जगन्नाथश् के उद्घोष के साथ रथों को खींचते हुए भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा पूरा शेड्यूल

27 जून, शुक्रवार: रथ यात्रा का प्रारंभ आज से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा का भव्य शुभारंभ हो गया है। भगवान अपने विशाल रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।

1 जुलाई, मंगलवार: हेरा पंचमी यह दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है, जब वह गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ से मिलने जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को वापस लाने के लिए नाराज होकर आती हैं।

4 जुलाई, शुक्रवार: संध्या दर्शन इस दिन श्रद्धालु गुंडिचा मंदिर में भगवान के ष्संध्या दर्शनष् कर सकेंगे। यह दर्शन अत्यधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान भगवान अपने मौसी के घर में होते हैं।

5 जुलाई, शनिवार: बहुदा यात्रा यह रथ यात्रा की वापसी यात्रा है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा गुंडिचा मंदिर से अपने मुख्य मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, पुरी लौटते हैं।

6 जुलाई, रविवार: सुना बेशा बहुदा यात्रा के बाद, भगवान अपने मुख्य मंदिर में लौटते हैं और इस दिन भगवान को सोने के आभूषणों (सुना बेशा) से सजाया जाता है। यह भगवान का सबसे भव्य श्रृंगार होता है।

7 जुलाई, सोमवार: अधरा पना इस दिन भगवान को विशेष पेय ष्अधरा पनाष् चढ़ाया जाता है, जो एक प्रकार का गाढ़ा शरबत होता है। यह पेय रथों पर ही चढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इससे भगवान को यात्रा की थकान से मुक्ति मिलती है।

8 जुलाई, मंगलवार: नीलाद्रि बिजय (जगन्नाथ रथ यात्रा का समापन) यह रथ यात्रा का अंतिम दिन होता है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने-अपने रथों से उतरकर रत्नसिंहासन पर फिर से विराजमान होते हैं। इसके साथ ही जगन्नाथ रथ यात्रा का भव्य समापन होता है।

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