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इलेक्शन कमीशन : उपचुनावों में अपने नवाचार को परखा ईसी ने, अब बिहार चुनाव में रचेगा इतिहास
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग का नवाचार सफल रहा है। दरअसल गुरुवार को पांच राज्यों में विधानसभा उपचुनावों में इलेक्शन कमीश ने मोबाइल डिपॉजिट सुविधा, 100 प्रतिशत वेबकास्टिंग और एडवांस वोटर टर्नआउट शेयर जैसी नई पहल शुरू कीं जो सफल रहा है। इन सुविधाओं ने मतदान प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुगम बनाया दिया है। इसके साथ ही इन उपचुनावों में नई पहलों के सफल होने से आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में इन्हें पूरी तरह लागू करने का रास्ता भी खोल दिया है।
ज्ञात हो कि गुरुवार को देश के चार राज्यों-गुजरात, केरल, लुधियाना पश्चिम और पश्चिम बंगाल उपचुनाव हुए। इन उपचुनावों के दौरान, 5 विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्रों में 1354 मतदान केंद्रों (पीएस) पर मतदान हुआ। आयोग द्वारा पांच विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्रों (एसी) के लिए आयोजित उपचुनावों में पिछले चार महीनों में आयोग द्वारा शुरू की गई अनेक प्रमुख नई पहलों का सफल कार्यान्वयन देखा गया, जिनकी परिकल्पना मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु और निर्वाचन आयुक्त डॉ. विवेक जोशी के साथ मिलकर की थी।
100 प्रतिशत केंद्रों पर वेबकास्टिंग
आयोग का दावा है कि नई पहलों में, सभी मतदान केंद्रों पर निर्वाचकों के लिए मोबाइल डिपॉजिट सुविधा का प्रावधान शामिल है। वोटर टर्नआउट साझा करने की उन्नत प्रक्रिया भी शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप मतदान के अनुमानित रुझानों तेजी से अपडेट कर दिए जाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केंद्र छोड़ने से पहले पीठासीन अधिकारी मतदान समाप्ति पर वीटीआर डेटा को अपडेट कर सकें। 100 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग हो जिससे पूरी मतदान प्रक्रिया की निरंतर निगरानी सुनिश्चित हो सके।
पहले दिया गया प्रशिक्षण
आयोग के अनुसार, सभी पीठासीन अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से मॉक पोल का प्रशिक्षण दिया गया। लगभग दो दशकों में पहली बार उपचुनावों से पहले निर्वाचक नामावली का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया गया। वहीं, उपचुनावों में इन उपायों के सफल कार्यान्वयन ने आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में इन सभी उपायों को पूरी तरह से लागू करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
पहली बार फोन जमा करने की सुविधा
पहली बार, मतदाता सभी मतदान केंद्रों के प्रवेश द्वार पर आयोग द्वारा प्रदान की गई मोबाइल जमा करने की सुविधा का लाभ उठा पाए। यह उपाय शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मोबाइल फोन की सर्वव्यापकता और मतदाताओं, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और दिव्यांग मतदाताओं के सामने आने वाली इन चुनौतियों को देखते हुए किया गया है कि मतदान केंद्र में प्रवेश करने से पहले वे अपने मोबाइल फोन कहां रखें। मतदान केंद्रों के प्रवेश द्वार पर साधारण छोटे (पिजनहोल) बॉक्स या जूट बैग उपलब्ध कराए गए थे।
45 दिन सुरक्षित रखेंगे फुटेज
चुनाव आयोग ने चुनावों के वीडियो फुटेज और तस्वीरों को स्टोर करने के अपने नियमों में बदलाव किया है। अब सीसीटीवी फुटेज स्टोर रखने की समयसीमा को घटाकर 45 दिन कर दिया गया है। यानी अब चुनाव चुनावी परिणाम के ऐलान के बाद 45 दिन के अंदर ही सीसीटीवी का डेटा चुनाव आयोग के पास सुरक्षित रहेगा। अगर इस समय तक कोई याचिका चुनाव आयोग के पास नहीं आती है तो उस डाटा को नष्ट किया जा सकता है। आयोग के इस फैसले से सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।
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