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ECONOMY : भारत की जीडीपी ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन, पढ़ें हम कैसे बने अर्थव्यवस्था की चौथी सबसे बड़ी ताकत

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Author : admin

पब्लिश्ड : Invalid Date

अपडेटेड : 18-06-2025

प्रिशिता शर्मा की रिपोर्ट

130 करोड़ की आबादी वाला भारत अव विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसकी आधिकारिक घोषणा भी हाल ही में हुई। जापान को भारत ने पीछे छोड़ा है और आगे अमेरिका, चीन और जर्मनी है। भारत ने ये मुकाम कैसे हासिल किया। इतनी बड़ी छलांग कैसे लाई। बाजार में ऐसा क्या हुआ जिससे जीडीपी इतनी बुस्ट हो गई। जानिए सब कुछ इस रिपोर्ट में

बता दें कि भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आईएमएफ के आंकड़ों के अनुसार भारत अब चार ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है। आईएमएफ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में ये भी कहा है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा...अगले दो सालों में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र देश है...2015 में भारत की जीडीपी 2.1 ट्रिलियन डॉलर थी...दस साल में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को दोगुना से भी अधिक कर लिया है। रिपोर्ट के अनुसार, विकास की उच्च दर के कारण भारत की जीडीपी 2028 में 5.5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगी और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। क्योंकि आईएमएफ ने 2025 में जर्मनी के लिए शून्य विकास दर का अनुमान लगाया है...और 2026 में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है...क्योंकि वैश्विक व्यापार युद्ध के कारण यूरोपीय देशों में जर्मनी को सबसे अधिक नुकसान होने की आशंका है।

विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका का सकल घरेलू उत्पाद 2025 तक 30.5 ट्रिलियन डॉलर आंका गया है, जबकि दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 19.2 ट्रिलियन डॉलर है...भारत सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बना रहेगा ये बात वल्र्ड बैंक ने भी कही है। 2025-2026 में जीडीपी 6.3ः की दर से बढ़ सकती है...वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में ये रिपोर्ट दी है। वल्र्ड बैंक ने यह भी कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था बना रहेगा...साथ ही दुनिया की इकोनॉमी को लेकर कहा कि बढ़ते व्यापार तनाव के कारण इस साल ग्लोबल जीडीपी में गिरावट आने की उम्मीद है, जो 2008 के बाद से सबसे धीमी गति होगी। वैश्विक विकास दर 2025 में 2.3ः रहने का अनुमान है...और आरबीआई ने भी यही अनुमान लगाया है। यानि की जर्मनी को पीछे छोड़ने की तैयारी जारी है...अगली बार आपके लिए फिर किसी नई जानकारी के साथ मिलेंगे तब तक के लिए देखते रहिए

क्या है जीडीपी

इसको ऐसे समझिए जैसे हमारा बीपी घटता बढ़ता है...तो इसको स्फिग्मोमैनोमीटर ये वो मशीन है जो पंप के साथ आती है और बीपी नापती है। वैसे इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए जीडीपी जिसे हम ग्रोस डोमेस्टिक प्रडक्ट की कहते है इसका इस्तेमाल होता है। ये हमारे देश में एक तय समय में बनाए गए सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है।

अब यहां दो तरह की जीडीपी होती है

वो समझ लेते है एक होती है रियल जीडीपी और दूसरी नॉमिनल जीडीपी...रियल जीडीपी में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है...रियल जीडीपी, जिसे वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। किसी देश की आर्थिक प्रगति को मापने का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह एक निश्चित आधार वर्ष की कीमतों के अनुसार देश में एक साल में उत्पादित होने वाली सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है।

रियल जीडीपी मुद्रास्फीति (महंगाई) के प्रभाव को हटाकर जीडीपी की गणना करता है, जिससे यह पता चल सके की अर्थव्यवस्था में वाकई में कितना उत्पादन और विकास हुआ है।लेकिन नॉमिनल जीडीपी इससे बिल्कुल अलग है।ये वर्तमान बाजार कीमतों पर आधारित होता है और इसमें महँगाई का असर शामिल होता है।

इसे ऐसे समझिए अगर किसी साल देश की नॉमिनल जीडीपी बढ़ती है। तो जरूरी नहीं कि असल में उत्पादन बढ़ा हो, यह महँगाई के कारण भी हो सकता है। लेकिन रियल जीडीपी महँगाई को ध्यान में रखते हुए केवल रियल ग्रोथ यानि वास्तविक वृद्धि को दर्शाता है।

इसलिए, रियल जीडीपी को अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य और जीवन स्तर के सटीक मूल्यांकन के लिए अधिक विश्वसनीय माना जाता है।

रियल जीडीपी देश की आर्थिक प्रगति को ऑबजेक्टिव रूप से मापने का एक प्रभावी तरीका है, जो नीति निर्धारण, बजट निर्माण और आर्थिक योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है...जिसका सीधा सीधा कनेक्शन हर साल आने वाले बजट से भी होता है...

फिलहाल जीडीपी को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है...वहीं नॉमिनल जीडीपी का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है।

जीडीपी के घटने बढ़ने का क्या प्रभाव है और सबसे बड़ी बात जिम्मेदार कौन है?

देखिए जीडीपी को घटाने या बढ़ाने के लिए चार बिंदू सबसे महत्वपूर्ण है जिसे इम्पॉर्टेंट इंजन हम कह सकते है...पहला तो यही है की हम भारत के लोग। हम जितना खर्च करते हैं। वो हमारी इकोनॉमी में एक हिस्सा होता है। फिर आता है प्राइवेट सेक्टर उसकी बिजनेस ग्रोथ। ये जीडीपी में 32ः की हिस्सेदारी रखती है...फिर आता है सरकारी खर्च...मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है...जिसका योगदान जीडीपी में 11ः होता है...आखरी और महत्वपूर्ण नेट डिमांड...इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है...क्योंकि अभी भी भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट जीडीपी पर हमेशा से निगेटिव ही पड़ता है...अगर और तेजी से ग्रोथ और डेवलपमेंट करना है तो एक्पोर्ट से ज्यादा इम्पोर्ट पर फोकस करना होगा।

अब यहा जानेंगे वो फैक्ट्स जो सीधे हमारी जीडीपी पर हिट करते है...जिनमें सबसे पहले आता है...

सरकारी खर्च

ग्लोबल टेंशन के बीच जनवरी-मार्च तिमाही में जब प्राइवेट कंपनियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे, तब सरकार ने अपने खर्च को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को मजबूती दी थी...देश का खर्च बढ़ेगा तो जीडीपी को सपोर्ट मिलेगा।

ग्रामीण खपत

ग्रामीण खपत भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत बनी रहेगी। बेहतर मानसून और बढ़ती कृषि आय से ग्रामीण मांग को बल मिलता है। ट्रैक्टर और टू-व्हीलर की बिक्री बढ़ती है। ग्रामीण मजदूरी में चार साल में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है और यही फैक्टर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देते है। क्योंकि हम ग्रामीण परिवेश से जुड़े है।

लो ब्याज दर

RBI ने रेपो रेट इस साल तीन बार घटाया है और सीआरआर में कटौती सीधे अर्थव्यवस्था से जुड़ी है। यानि की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है। लो इंटरेस्ट के कारण लोगों का उधार का या निवेश का बोझ कम होता है। ये बोझ कम होगा तो लोग उधार और निवेश के लिए और प्रोत्साहित होंगे। आदमी खर्च करेगा अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। विकास को गति मिलेगी। आरबीआई का ध्यान अब महंगाई कंट्रोल से हटकर आर्थिक विकास पर ज्यादा हो गया है।

कंज्यूमर डिमांड

इसमें थोड़ी सी ये समस्या है की ग्रामीण मांग मजबूत है लेकिन शहरी मांग कमजोर है। बजट में टैक्स राहत होती है तो कंज्यूमर डिमांड बढ़ती है। जिसमें मुद्रास्फीति यानि महंगाई और निचली ब्याज दरें महत्वपूर्ण है।

अंत की ओर बढ़ते हुए आरंभ की बात करें भारत विश्व पटल पर और कितनी तेजी से बढ़ेगा ?

जिस तरह भारत तेजी से विकास कर रहा है पूरी दुनिया हैरान है। कोरोना जैसी महामारी के बाद भी भारत में तेजी से काम हुआ और विकास भी जो अब हमारे सामने है।

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