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गुप्त नवरात्रि : मां को प्रसन्न करने साधक करते हैं विशेष पूजा, आप भी करते हैं साधना तो भूलकर भी न करें यह गलतियां
साल में 2 नवरात्रि के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन एक चार नवरात्रि आती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के लिए दो और नवरात्रि आती है, जिसे गुप्त नवरात्रि रहस्यमई नवरात्रि कहा जाता है होती है। इसमें तंत्र साधकों के द्वारा विशेष पूजन किया जाता है। वहीं, भक्तों के द्वारा भी नवरात्रि में विशेष पूजन अर्चन किया जाता है। आषाढ महीने में आने वाली गुप्त नवरात्रि का आरंभ 26 जुलाई से हुआ है। गुप्त नवरात्रि का आज तीसरा दिन है।
गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की विशेष साधना की जाती है। तंत्र, मंत्र और सिद्धियों की प्राप्ति के लिए गुप्त नवरात्रि को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस विशेष साधना काल की शुरुआत कलश स्थापना से होती 8 जुलाई को अष्टमी और 9 जुलाई को नवमी की पूर्णआहुति होगी। गुप्त नवरात्रि में आप भी घर पर पूजन अर्चन कर रहे हैं तो यह गलतियां नहीं करें। वरना आपका पूजन व्यर्थ हो जाएगा।
नवरात्रि के नौ दिन घर में लहसुन-प्याज व सरसो के तेल का प्रयोग न करें
इस दौरान साबुन का प्रयोग वर्जित होता है
ब्रह्मचर्य का पालन करें और जमीन पर शयन करें
नवरात्रि में व्रत रखने वाले और मां का पूजन करने वाले व्यक्ति को सात्विक विचार का होना चाहिए
शब्दों पर नियंत्रण रखें और अशब्द बोलने से बचे
कन्याओं से पैर न छुआएं और स्वयं कन्या का चरण स्पर्श करें
अनुष्ठान के दौरान बाल या दाढ़ी न बनाए. नियम और संयम के साथ ही भगवती का अनुष्ठान करना चाहिए
प्रथमं शैलपुत्री च, द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति, कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कंदमातेति, षष्ठं कात्यायनी तथा।
सप्तमं कालरात्रिश्च, महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च, नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः।
उक्तान्येतानि नामानि, ब्राह्मणैव महात्मना।।
अर्थात्, दुर्गा माता के नौ रूपों में प्रथम रूप शैलपुत्री, द्वितीय ब्रह्मचारिणी, तृतीय चन्द्रघण्टा, चतुर्थ कूष्माण्डा, पंचम स्कंदमाता, षष्ठ कात्यायनी, सप्तम कालरात्रि, अष्टम महागौरी और नवम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी नौ नाम महात्मा ब्राह्मणों द्वारा बताए गए हैं।
गुप्त नवरात्रि में क्या करें
महाविद्याओं की साधना (विशेषज्ञों के लिए)रू गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की साधना मुख्य रूप से की जाती है। ये महाविद्याएं मां दुर्गा का रौद्र रूप मानी जाती हैं, इसलिए गृहस्थों को बिना किसी योग्य गुरु के ऐसी साधना करने से बचना चाहिए। जो लोग तंत्र-मंत्र की विधाओं में पारंगत हैं और सांसारिक मोह-माया से परे हैं, उन्हें इस साधना से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
गृहस्थों के लिए उपायः गृहस्थ लोग इस दौरान मंत्र जप, योग और ब्रह्मचर्य का पालन कर माता को प्रसन्न कर सकते हैं। यह उन्हें मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करेगा।
सात्विक आहाररू गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक आपको सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। मांस-मदिरा का सेवन इस दौरान पूरी तरह वर्जित है और यह आपके लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है।
धार्मिक ग्रंथों का पाठः गुप्त नवरात्रि के दौरान दुर्गासप्तशती, अर्गला स्तोत्र और दुर्गा चालीसा जैसे पवित्र ग्रंथों का पाठ करना शुभ फलदायी होता है।
ग्रह शांतिरू राहु-केतु और शनि जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए गुप्त नवरात्रि का समय बेहद शुभ माना गया है। इस दौरान आप इन ग्रहों की शांति के लिए विशेष पाठ कर सकते हैं।
दान और स्नानरू दीपदान करना, पवित्र नदियों में स्नान करना और ध्यान करना भी माता दुर्गा को प्रसन्न करने का एक प्रभावी तरीका है।
कन्या पूजनरू गुप्त नवरात्रि के दौरान छोटी कन्याओं को उपहार देकर आप माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
गुप्त नवरात्रि में क्या न करेंः वर्जित कार्य और सावधानियां
कामवासना से दूरीः गृहस्थ हों या साधक, सभी लोगों को गुप्त नवरात्रि की अवधि में कामवासना से दूर रहना चाहिए। वासना जनित विचार आप पर हावी न हों, इसके लिए योग और ध्यान का सहारा लेना उचित रहेगा।
बिना गुरु तांत्रिक अनुष्ठान से बचेंः कुछ लोग बिना सोचे-समझे गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक अनुष्ठान करने लग जाते हैं। बिना किसी योग्य गुरु के ऐसा करना घातक परिणाम दे सकता है। इससे आपको बचना चाहिए।
केश और नाखून न काटेंः गुप्त नवरात्रि के दौरान आपको बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए। यह इस पवित्र अवधि के दौरान पालन किया जाने वाला एक सामान्य नियम है।
स्त्री का अपमान और कलह से बचेंः इस दौरान स्त्रियों का अपमान न करें और घर में भी लड़ाई-झगड़ा करने से बचें। अपने मन में किसी के प्रति भी गलत विचार न आने दें। सकारात्मक और शांत वातावरण बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
मांसाहार और तामसिक भोजनः यदि आप माता को प्रसन्न करने के लिए साधना या मंत्रों का जप कर रहे हैं, तो गलती से भी मांसाहार, प्याज, लहसुन आदि का प्रयोग खाने में न करें। सात्विक भोजन ही इस अवधि में ग्रहण किया जाना चाहिए।
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