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सावन मास : शिव आराधना का श्रीगणेश कल से, भक्त भूलकर भी न करें यह गलतियां
नीलम अहिवार
भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रिय मास सावन महीने की शुरुआत कल शुक्रवार से हो रही है। ऐसे में यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु या तो महीने भर या फिर हर सावन सोमवार को व्रत रखते हैं, कांवड़ यात्रा करते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक व पूजन करते हैं, लेकिन अगर अंजाने में भी कुछ गलत चीजें शिवलिंग पर चढ़ा दी जाएं, तो इसका फल उल्टा हो सकता है और दोष भी लग सकता है तो आइए जानते हैं, सावन में किन चीजों को भूलकर भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए.
सावन के मौके पर शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग, दही, शहद, घी और सफेद फूल, हल्दी अर्पित करना अशुभ माना जाता है.सिंदूर या कुमकुम सुहाग की निशानी है और इसका प्रयोग विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं। इसे भी देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है, लेकिन भगवान शिव पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव संहार के देवता हैं और उन्हें विनाशक भी कहा जाता है। सिंदूर सौभाग्य का प्रतीक है और शिव को अक्सर वैरागी रूप में देखा जाता है। उनकी पूजा में इस प्रकार की सामग्री का उपयोग वर्जित माना गया है तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना जाता है और भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। लेकिन शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता चढ़ाना वर्जित है। केतकी का फूल सफेद और सुगंधित होता है, लेकिन इसे शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता है।
चावल को अक्षत कहा जाता है और यह शुभ माना जाता है. लेकिन शिवलिंग पर हमेशा साबुत चावल ही चढ़ाने चाहिए। टूटे हुए या खंडित चावल अर्पित करना अशुभ माना जाता है. भगवान शिव की पूजा में शंख से जल अर्पित नहीं करना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था, जो भगवान विष्णु का भक्त थाभगवान विष्णु की पूजा में शंख का प्रयोग शुभ माना जाता है.बेलपत्र शिवजी को अत्यंत प्रिय है, लेकिन टूटा हुआ, कीड़ा लगा हुआ या सूखा बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाना दोषपूर्ण माना जाता है। बेलपत्र को साफ करके और उसके तीनों पत्ते पूर्ण रूप से जुड़े हों, यह पूजा में जरूरी माना जाता है।
कब से शुरु है सावन का महीना
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी.इसके अगले दिन यानी 11 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत होगी आषाढ़ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 जुलाई को देर रात 02 बजकर 06 मिनट पर होगी। वहीं, तिथि का समापन 12 जुलाई को देर रात 02 बजकर 08 मिनट पर होगा। ऐसे में 11 जुलाई से सावन महीना शुरू होगा।
सावन के सोमवार की तिथि
14 जुलाई को पहला सोमवार व्रत
21 जुलाई को दूसरा सोमवार व्रत
28 जुलाई को तीसरा सोमवार व्रत
04 अगस्त को चैथा सोमवार व्रत
सावन सोमवार व्रत का महत्व
1 सावन सोमवार का व्रत अखंड सौभाग्य और सुख दांपत्य जीवन के लिए किया जाता है. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
2. जिन युवतियों को मनचाहे वर की कामना होती है, उनको भी सावन सोमवार व्रत रखना चाहिए। शिव कृपा से उनको उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
3. वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए सावन सोमवार व्रत उत्तम माना जाता है।
4. रोग, दोष, कष्ट, क्लेश आदि से मुक्ति के लिए भी सावन सोमवार व्रत रखा जाता है।
5. उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए सावन सोमवार व्रत करते है।
6. धन, सुख, समृद्धि, मोक्ष की कामना से भी सावन सोमवार व्रत रखते हैं. भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से सबकुछ संभव हो जाता है।
7. अकाल मृत्यु, कालसर्प दोष, भय, शत्रु से मुक्ति के लिए सावन सोमवार के दिन रुद्राभिषेक कराने की महत्ता है।
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