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श्री महाकालेश्वर मंदिर : बाबा महाकाल के दिव्य रूप का दर्शन करने भक्तों का लगा तांता, अपने आराध्य की एक झलक पाने देर रात ही लग गए थे कतारों में

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Author : admin

पब्लिश्ड : 16-10-2025 11:20 AM

अपडेटेड : 16-10-2025 05:50 AM

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती के दौरान बाबा महाकाल का हर दिन अलौकिक श्रृंगार किया जाता है। इतना ही नहीं उनके दिव्य रूप का दर्शन करने के लिए भक्त भी लालायित रहते हैं; कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि गुरुवार को भी श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए भक्तों का तांता देखने को मिला।

सुबह 4 बजे भस्म आरती में बाबा का श्रृंगार देखने को मिला। इस दौरान बाबा के आलौकिक रूप के दर्शन करने के लिए मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्त देर रात से ही लंबी कतारों में अपने आराध्य के दर्शन की प्रतीक्षा में खड़े रहे। जय श्री महाकाल के जयघोष से मंदिर परिसर भक्ति के रंग में सराबोर हो गया।

महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से अर्पित की गई भस्म

मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि भस्म आरती से पूर्व बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक किया गया। इसके बाद उन्हें भव्य श्रृंगार से सजाया गया। आज के श्रृंगार की विशेषता थी कि उनके शीश पर चांदी का चंद्रमा और कमल का पुष्प लगाया गया, जो उनके अलौकिक स्वरूप को और निखार रहा था। बाबा को नवीन रजत मुकुट, रुद्राक्ष की माला, मुंडमाला और गुलाब के फूलों की माला धारण कराई गई। साथ ही, भांग और चंदन का लेप लगाकर त्रिपुंड सजाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित होने के बाद बाबा निराकार से साकार स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। अंत में फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया।

ऐसे सजाया जाता है भगवान को

भस्म आरती की प्रक्रिया में पहले ज्योतिर्लिंग को वस्त्र से आच्छादित किया जाता है, फिर भस्म रमाई जाती है। इसके बाद भगवान को रजत मुकुट, त्रिपुंड, रुद्राक्ष, मुंडमाला और फूलों से सजाया जाता है। यह श्रृंगार प्रतिदिन अलग-अलग रूप में किया जाता है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। आज के श्चंद्र-कमलश् श्रृंगार ने भक्तों का मन मोह लिया। भक्तों ने बाबा के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर परिसर में भक्ति और उल्लास का माहौल रहा। मंदिर प्रशासन ने सुगम दर्शन के लिए व्यापक व्यवस्था की थी, जिससे भक्तों को किसी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा।

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