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श्रीकृष्ण की भक्ति का दिन : इन मंत्रों के जाप से ही हर मनोरथ होंगे सिद्व, बाधाएं भी हो जाती हैं दूर
प्रिशिता शर्मा
देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव की धूम है। भाद्रपद के कृष्ण मास की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, जिसके चलते भगवान के अलग-अलग स्वरूपों जैसे शालिग्राम, लड्डू गोपाल और राधा-कृष्ण की विधिवत पूजा होती है, और लोग उपवास भी रखते हैं और श्री कृष्ण के जन्म का इंतजार करते है।विशेष पूजन के साथ-साथ कई लोग मंत्रों का जाप भी करते हैं, ऐसे में बताते है इस दिन कुछ खास मंत्र जो जीवन में सकरात्मकता का संचार करते हैं और हर इच्छा की पूर्ति करते हैं।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीनन्दनाय नमः का जाप करने से आस-पास सकारात्मकता बनी रहती है। साथ ही यह धन-समृद्धि, संतान, सुख और जीवन में चल रही किसी भी प्रकार की बाधा से निकलने में मदद मिलती है। कृं कृष्णाय नमः मंत्र भगवान श्री कृष्ण का मूलमंत्र हैय यह कृं बीज मंत्र (बीज अक्षर) और कृष्णाय नमः से मिलकर बना है। कृं बीज मंत्र भगवान कृष्ण का प्रतिनिधित्व करता है और कृष्णाय नमः का अर्थ है भगवान कृष्ण को नमस्कार। ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र का 108 बार जाप करने से जीवन में चल आ रही बाधाएं कम होने लगती हैं।
गोकुल नाथाय नमः आठ अक्षर का यह मंत्र, कहते हैं इस मंत्र का जाप करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः मंत्र आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है। इसका प्रयोग जो भी साधक करता है उसे संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यह मंत्र आर्थिक स्थिति को न केवल ठीक करता है बल्कि उसमें तेजी से वृद्धि लाता है।
ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दायश् मंत्र का जाप करने से विवाह से संबंधित समस्याओं के निदान का मार्ग मिलता है। लेकिन अगर किसी कारण से ऐसा नहीं हो रहा है, तो वे प्रातः काल में स्नान के बाद ध्यानपूर्वक इस मंत्र का 108 बार जाप करें। गोवल्लभाय स्वाहा मंत्र में सात अक्षर बेहद महत्वपूर्ण हैं। जानकार कहते हैं कि यदि उच्चारण के समय एक भी अक्षर सही से नहीं पढ़ा जाए, तो इस मंत्र का असर खत्म हो जाता है। सात अक्षरों वाले श्रीकृष्ण मंत्र से अपार धन प्राप्ति होती है। वहीं इस मंत्र के जाप के लिए कोई विशेष संख्या नहीं बांधी गई है।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥ यह भगवान श्रीकृष्ण के शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। इस मंत्र में वासुदेव के पुत्र को प्रणाम करते हैं और सभी तरह के क्लेशों का नाश करने के लिए विनती करते हैं। श्रीकृष्ण का गायत्री मंत्र भी विशेष लाभ प्रदान करता है। ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात मंत्र का जाप भगवान श्री कृष्ण की आराधना और कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है।
ॐ ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक है। देवकीनन्दनाय विद्महे यानि ष्हम देवकी के पुत्र कृष्ण को जानते हैं। वासुदेवाय धीमहि का अर्थ है हम वासुदेव के पुत्र कृष्ण का ध्यान करते हैं। तन्नो कृष्णः प्रचोदयात यानि ष्वह कृष्ण हमें ज्ञान और प्रकाश की ओर प्रेरित करें। कहते हैं इस मंत्र के जाप से भक्त को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, मन शांत रहता है। इस तरह मंत्रों का जाप करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ती होती है।
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