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मप्र कांग्रेस में नहीं थम रही कलह : जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर अब पूर्व मंत्री का फूटा गुस्सा, प्रदेश प्रभारी-जीतू को सुनाई खरी-खरी
भोपाल। मप्र कांग्रेस बीते दो दशक से सत्तासुख से बाहर है, इसके बाद पार्टी के अंदर कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। पद की आस लगाए बैठे नेता अपनी भड़ास पार्टी पर निकालते रहते हैं। इन दिनों कांग्रेस के अंदर सबसे ज्यादा जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर देखने को मिल रहा है। दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह समेत कई दिग्गजों को जिला अध्यक्ष बनाए जाने पर पार्टी सीनियर नेताओं में भारी नाराजगी दिख रही है। इसमें पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल भी शामिल है। उन्होंने दिग्गजों को जिला अध्यक्ष के पद से नवाजे जाने पर प्रदेश प्रभारी हरीश चैधरी और और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी पर निशाना साधा है।
पूर्व मंत्री पटेल ने कहा है कि गुटबाजी और प्रतिस्पर्धा हमेशा रही है। लेकिन इतनी गुटबाजी नहीं होना चाहिए, जो जिम्मेदार लोग हैं। उनकी जिम्मेदारी है। प्रदेश प्रभारी का काम समन्वय बनाने का है, न कि पार्टी बनने का। उन्होंने कहा कि मेरा तो प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष से निवेदन है कि आपको खरगे जी, राहुल जी ने प्रदेश का महत्वपूर्ण पद दिया है, मुखिया बनाया है। आप सबको साथ लेकर चलिए। इस तरह की भावना के साथ जिस दिन काम करना शुरू कर देंगे तो हम समझते हैं कि थोड़ी बहुत प्रतिस्पर्धा को लेकर आपस में नाराजगी हो सकती है लेकिन कोई बहुत बड़ी नाराजगी नहीं हैं। इसका समाधान किया जा सकता है और हमारे नेता कर भी रहे हैं।
व्यापार करने वालों को नहीं, जमीनी लोगों को मिलना चाहिए मौका
कमलेश्वर पटेल ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए चलाए गए संगठन सृजन अभियान को लेकर कहा- संगठन सृजन में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल की भावनाओं को दरकिनार करने की कोशिश हुई है। जहां गड़बड़ियां हुई हैं, उनकी जांच कर रहे हैं। कई जगह ऐसा बहुत हुआ, मध्यप्रदेश को लेकर हाईकमान ने जाहिर भी किया गड़बड़ी हुई है। जमीनी नेताओं को दरकिनार करना गलत है। यह विसंगतियां हाईकमान के संज्ञान में हैं। व्यापार करने वालों को नहीं, जमीनी लोगों को मिलना चाहिए मौका।
समाधान हो सकता है
पटेल ने एक दोहा बोलते हुए कहा कि मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक, पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक। इस तरह की भावना के साथ जिस दिन काम करना शुरू कर देंगे तो हम समझते हैं कि थोड़ी बहुत प्रतिस्पर्धा को लेकर आपस में नाराजगी हो सकती है लेकिन कोई बहुत बड़ी नाराजगी नहीं हैं। इसका समाधान किया जा सकता है और हमारे नेता कर भी रहे हैं।
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