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इजराइल-ईरान वार : ईरान का समर्थन न करने पर केन्द्र सरकार पर भडकी सोनिया, निशाने पर रहे नेतन्याहू भी
नई दिल्ली। इजराइल और ईरान के बीच बीते एक सप्ताह से भीषण जंग जारी है। दोनों ही देश एक-दूसरे पर करारा प्रहार कर रहे हैं। अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी इजराइल के साथ खडा है। वहीं भारत भी बिना कुछ कहे परदे के पीछे से इजराइल के साथ दिखाई दे रहा है। जिसको लेकर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने केन्द्र सरकार की नीतियों की आलोचना की है। साथ ही कहा है कि ईरान हमारा पुराना मित्र है, पर सरकार की चुप्पी की चिंताजनक है। सोनिया ने भारत की यह आलोचना एक लेख के जरिए की है। सोनिया ने के जरिए इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर भी निशाना साधा और उन्हें ‘शांति को कमजोर करने वाला और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाला नेतृत्व’ बताया।
सोनिया ने एक लेख लिखा है जिसका शीर्षक है- प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत की स्थायी और सिद्धांतों पर आधारित फिलिस्तीन नीति से पीछे हटते हुए न सिर्फ अपनी आवाज गंवाई है, बल्कि मूल्यों को भी त्याग दिया है। सोनिया गांधी ने कहा कि आज नई दिल्ली का गाजा और ईरान पर चुप रहना हमारी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से एक खतरनाक भटकाव है। यह केवल हमारी आवाज खोने का मामला नहीं है, बल्कि हमारे मूल्यों के आत्मसमर्पण का भी संकेत है। भारत को अब स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए। उसे सभी अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मंचों का उपयोग करके तनाव कम करने की कोशिश करनी चाहिए और शांति और नियमों के पालन को बढ़ावा देना चाहिए।
भारत की चुप्पी को बताया चिंतानजक
उन्होंने लिखारू “गाजा में हो रही तबाही और अब ईरान पर बिना उकसावे के हुए हमलों पर नई दिल्ली की चुप्पी चिंताजनक है। यह सिर्फ मौन नहीं, बल्कि हमारी नैतिक परंपराओं का त्याग है। सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा, अभी भी बहुत देर नहीं हुई है। भारत दो टूक बोलना चाहिए। जिम्मेदारी से काम करना चाहिए और तनाव को कम करने और पश्चिम एशिया में बातचीत की वापसी को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध हर कूटनीतिक चैनल का उपयोग करना चाहिए।
सोनिया गांधी ने कहा कि 13 जून 2025 को इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए अवैध और असंवैधानिक हमले ने एक बार फिर दिखाया कि एकतरफा सैन्य कार्रवाई कितनी खतरनाक हो सकती है। कांग्रेस पार्टी ने इन बमबारी और लक्षित हत्याओं की कड़ी निंदा की है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान भारत का पुराना और भरोसेमंद मित्र रहा है। कांग्रेस नेता ने याद दिलाया कि 1994 में ईरान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में कश्मीर पर भारत विरोधी प्रस्ताव को रोकने में मदद की थी। उन्होंने कहा कि ईरान भारत का पुराना मित्र रहा है और दोनों देशों के बीच गहरे सभ्यतागत संबंध रहे हैं।
नेतन्याहू पर निशाना
वहीं सोनिया ने सोनिया गांधी ने इजरायली पीएम पर निशाना साधा और उन्हें ‘शांति को कमजोर करने वाला और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाला नेतृत्व’ बताया। उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस बयान की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने अपनी ही खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को खारिज करते हुए ईरान को परमाणु हथियारों के करीब बताया। अंत में सोनिया गांधी ने अपील करते हुए कहा कि “अभी भी देर नहीं हुई है। भारत को मुखर होकर अपनी बात रखनी होगी, जिम्मेदारी से पेश आना होगा और हर कूटनीतिक माध्यम का उपयोग कर पश्चिम एशिया में संवाद की बहाली को बढ़ावा देना होगा।
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