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भोपाल। मध्यप्रदेश की नगर पालिका और नगर परिषदों में अध्यक्षों का चुनाव अब चुने गए पार्षदों के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे मतदान के माध्यम से होगा। मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मध्यप्रदेश नगर पालिका संशोधन अध्यादेश-2025 सर्वसम्मति से पारित हो गया। नगर पालिका संशोधन विधेयक पर चर्चा के आरंभ में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि पार्षदों के माध्यम से चुने गए अध्यक्ष पूरे कार्यकाल के दौरान अध्यक्षों के दबाव में रहते थे। पार्षद भी अनुचित दबाव बनाते थे, लेकिन प्रत्यक्ष चुने जाने के बाद उन पर इस तरह का दबाव नहीं रहेगा। विजयवर्गीय ने कहा कि पार्षद से अध्यक्ष बनने की स्थिति में अध्यक्ष की प्राथमिकता में उसका वार्ड होता था, लेकिन प्रत्यक्ष प्रणाली में वह पूरे क्षेत्र के समानरूप से विकास की चिंता करेगा।
संशोधन को विपक्ष का समर्थन, लेकिन आशंकित
विपक्ष की ओर से फूलसिंह बरैया, जयवर्धन सिंह, नितेन्द्र सिंह राठौड़, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित अन्य विधायकों ने संशोधन विधेयक के सरकार के निर्णय को उचित बताया, लेकिन अप्रत्यक्ष प्रणाली की कमियों को उजागर करने तथा प्रदेश की 400 नगर पालिका-परिषदों में भारी अतिक्रमण होने तथा इस पर कार्रवाई के लिए अमला नहीं होने की बात कही। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि इस बिल से जनता को कोई सीधा फायदा नहीं होगा। यह केवल टिकट बेचने का माध्यम बनेगा और 3 साल बाद फिर खुलेआम हॉर्स ट्रेडिंग होगी। संशोधन में राइट टू कॉल पर कांग्रेस विधायकों ने आपत्ति ली। मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि पहले राइट टू रिकॉल ढाई साल में लागू होता था, जिसे अब 3 साल कर दिया गया है ताकि लोकतंत्र और मजबूत हो। कांग्रेस विधायक नितेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि मैं इस बिल का समर्थन करता हूं, क्योंकि इससे हॉर्स ट्रेडिंग रुकेगी। नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। इसी के चलते अब नगरपालिका-नगर परिषदों के चुनाव जनता के माध्यम से होंगे। इसका बिल आज सर्वसम्मति से पास हुआ है। आरोप लगाना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आरोप लगाना है।
वीआईटी पर मंत्री का सख्त कार्रवाई का आश्वासन
भोजनावकाश के बाद विधायक दिनेश जैन ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से सीहोर जिले के वीआईटी विश्वविद्यालय में हुई मारपीट और आगजनी की घटना को उठाकर प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई की मांग की। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है, इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि 4 हजार छात्रों का सड़क पर उतरना गंभीर मामला है, सरकार इसे गंभीरता से ले रही है और दोषियों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे। ध्यान आकर्षण प्रस्ताव पर सरकार ने सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया। वहीं विधायक हेमंत कटारे की मांग पर उन्होंने आश्वास्त किया कि विश्वविद्यालय के छात्रों का भविष्य खराब नहीं होने देंगे, क्योंकि गलती प्रबंधन की है, छात्रों की नहीं।
प्रश्नकाल में अचेत हुए मंत्री कंसाना, मुख्यमंत्री ने उठाया
प्रश्नकाल के दौरान अपनी सीट पर बैठे कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना अचानक अचेत हो गए। ठीक उसी समय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अधिकारी दीर्घा से होते हुए सदन में पहुंचे। मुख्यमंत्री ने ही सबसे पहले कंसाना को सीट से गिरती अवस्था में देखा तो वे तेज कदमों से कंसाना के पास पहुंचे और उन्हें थामा। मुख्यमंत्री को जाते देख अन्य सदस्यों ने भी कंसाना को उठाने का प्रयास किया। इस बीच अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने सदन की कार्रवाई को 10 मिनट के लिए स्थगित किया। मुख्यमंत्री, मंत्री एवं विधायक उन्हें सदन के बाहर एम्बूलेंस तक ले गए। इसके बाद उन्हें उपचार के लिए निजी अस्पताल भेजा गया।
खराब फसलों की तख्तियां थामकर विपक्ष का प्रदर्शन
मप्र के अलग-अलग जिलों में अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से किसानों की खराब हुई फसलों की हालत दर्शाती तख्तियां लेकर कांग्रेस विधायक विधानसभा पहुंचे। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेश का किसान कभी खाद के लिए, कभी खरीदी के उचित मूल्य के लिए, और कभी मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहा है। विपक्ष के प्रदर्शन पर राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा कि सरकार ने किसानों को राहत राशि के रूप में दो हजार 68 करोड़ रुपए दिए हैं। प्रदर्शन करना कांग्रेस का काम है। छोटे शीतकालीन सत्र का भी विपक्ष ने विरोध जताया।
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