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किसानों पर बरस रही लाठी का हिसाब वोट से करेंगे चुकता : खाद संकट पर सिंघार का सरकार पर हमला, निशाने पर रहे नड्डा-शिवराज और मोहन

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Author : admin

पब्लिश्ड : 11-09-2025 03:22 PM

अपडेटेड : 11-09-2025 09:52 AM

भोपाल। मप्र के अन्नदाताओं को जिस तरह से खाद संकट से जूझना पड रहा है, उसी तरह इसको लेकर सियासत भी खूब हो रही है। खाद संकट को लेकर विपक्ष आए दिन भाजपा सरकार को अपने निशाने पर ले रहा है। इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने किसानों को खाद न मिलने पर पर सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। सिंघार ने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चैहान और राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि तीनों नेता किसानों की समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे हैं। किसानों पर लाठी चलाई जा रही है, वे इसका हिसाब वोट से चुकाएंगे।

नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने गुरुवार को राजधानी भोपाल में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य का किसान खाद के लिए परेशान है, उसको खाद नहीं मिल पा रही है। पिछले सालों के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि राज्य में खाद का मांग से ज्यादा का आवंटन किया गया, मगर वितरण नहीं हुआ। जितनी खाद आई, उतना वितरण ही नहीं किया गया। सरकारी बुलेटिन बताते हैं कि राज्य में खाद की कमी नहीं रही, मगर किसानों को नहीं मिली।

राज्य को मिली सरप्लस खाद

नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने केंद्र सकरार के रसायन और खाद मंत्रालय की ओर से लोकसभा में दिए गए जवाब के हवाले से बताया कि वर्ष 2022 से 2025 तक राज्य को सरप्लस खाद मिली। इससे जाहिर है कि खाद की समस्या नहीं है, बल्कि वितरण व्यवस्था और प्रबंधन ठीक नहीं है। यही कारण रहा कि बीते तीन सालों में सरकार लगभग 14 लाख टन (एलएमटी) यूरिया और सात लाख टन (एलएमटी) डीएपी किसानों को नहीं बांट पाई।

राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की आमदनी दोगुना करने का वादा करती है, मगर किसान खाद पाने के लिए लाठी खा रहे हैं। बीते दिनों भिंड और रीवा में सहकारी समिति में खाद के लिए कतार में लगे किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। राज्य की अर्थव्यवस्था और किसानों की चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि प्रदेश में लगभग 45 प्रतिशत किसान हैं, राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती है। खाद की मांग और खपत के मामले में मध्य प्रदेश देश में दूसरे क्रम पर है, मगर किसानों को पर्याप्त खाद ही नहीं मिल पा रहा है।

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