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भोपाल। मध्य प्रदेश में कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से भर्ती चतुर्थ और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के वेतन को लेकर कर्मचारी संगठन ने भेदभाव का मुद्दा उठाया है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2019 के बाद लागू किए गए एक आदेश के कारण समान काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में भारी अंतर पैदा हो गया है, जिससे तीन वर्षों में कर्मचारियों को लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है।
संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि वर्ष 2019 में तत्कालीन सरकार ने लोक सेवा आयोग (पीएससी) की परीक्षाओं को छोड़कर अन्य माध्यमों से भर्ती होने वाले कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि दो वर्ष के स्थान पर तीन वर्ष कर दी थी। इस आदेश के तहत नवनियुक्त कर्मचारियों को पहले वर्ष 70 प्रतिशत, दूसरे वर्ष 80 प्रतिशत और तीसरे वर्ष 90 प्रतिशत वेतन दिया जा रहा है। चैथे वर्ष परिवीक्षा समाप्त होने के बाद ही पूर्ण वेतन मिलता है।
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर मांग की है कि चतुर्थ और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के लिए पूर्व की तरह दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि लागू की जाए। उनका कहना है कि इससे कर्मचारियों को हो रहा लाखों रुपये का नुकसान रुकेगा और वेतन में व्याप्त असमानता समाप्त होगी। उमाशंकर तिवारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाते हुए शीघ्र निर्णय लेगी।
पीएससी और ईएसबी भर्ती में दोहरा मापदंड
तिवारी ने कहा कि यह नियम केवल कर्मचारी चयन मंडल से भर्ती कर्मचारियों पर ही लागू है। वहीं, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से चयनित कर्मचारियों को दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि के बाद पहले वर्ष से ही 100 प्रतिशत वेतन दिया जाता है। समान कार्य और समान जिम्मेदारी के बावजूद इस तरह का अंतर न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
तीन साल में इतना हो रहा है नुकसान
संघ के अनुसार, जनवरी 2023 में सेवा में आए कर्मचारी को दिसंबर 2025 तक 70, 80 और 90 प्रतिशत वेतन मिलने के कारण बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का मूल वेतन 15,500 रुपये रू करीब 1,74,840 रुपये का नुकसान, तृतीय श्रेणी कर्मचारी मूल वेतन 18,000 रुपये रू 2,01,540 रुपये, मूल वेतन 19,500 रुपये रू 2,19,420 रुपये, मूल वेतन 25,500 रुपये रू 2,85,085 रुपये, मूल वेतन 28,700 रुपये रू ,23,258 रुपये, मूल वेतन 36,200 रुपये रू 4,07,078 रुपये का नुकसान हुआ है।
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