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रीवा: वन मंडलों से फिर आई पौधों की भारी भरकम डिमांड : पर लग कहा रहे किसी को पता नहीं, अब तक उठ चुके हैं 87 लाख पौधे
रीवा। पौधरोपण भी खेल बन गया है। हर साल लाखों पौधे वन मंडल नर्सरियों से उठाता है। इसके बाद भी वन क्षेत्र घने नहीं हो पा रहे हैं। इस बार वन मंडलों ने वन अनुसंधान विस्तार वानिकी विभाग से 96 लाख पौधों की डिमांड की थी। इसमें से 87 लाख पौधे उठ गए। शेष का उठाव बांकी है। यह आंकड़ा सिर्फ एक साल का है। नर्सरियों से इतने ही पौधे हर साल मांगे और उठाए जाते हैं लेकिन लगते कहां है। इसका किसी को पता नहीं है। कागजों में वन विभाग हरियाली बनाए रखता है।
दरअसल पूरे मप्र में एक पेड़ मां के नाम, हरियाली महोत्सव चलाया जा रहा है। इस अभियान के नाम पर पौधरोपण तो हो ही रहा है, लेकिन इसके अलावा भी वन विभाग कैपा सहित अन्य योजनाओं के तहत भी पौधों की डिमांड करता है। वन अनुसंधान एवं विस्तार वानिकी रीवा के पास 7 जिलों में करीब 21 से नर्सरियां हैं। यहां डिमांड के हिसाब से हर साल पौधे तैयार किए जाते हैं। इस साल वन मंडलों से करीब 96 लाख पौधों की भारी भरकम डिमांड पहुंची थी।
बारिश ने भी इस बार साथ दिया। समय से पहले मानसून आ गया। इसका असर नर्सरियों में दिखाई दिया। वन मंडलों से धड़ाधड़ उठाव शुरू हो गए। वन मंडल , संजय टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ ने भी डिमांड की थी। अब तक 90 फीसदी पौधों का उठाव भी हो गया है। सबसे अधिक पौधों की डिमांड इस मर्तबा भी सिंगरौली और सीधी से हुआ था। कुल डिमांड की आधी संख्या इन्हीं दो जिलों से मांगी गई थी। अभी भी 10 फीसदी पौधों का उठाव वन मंडलों से होना शेष है।
पिछले साल सिमट गया था आंकड़ा
सूत्रों की मानें तो वर्ष 2024 में भी वन मंडलों ने करीब 80 लाख पौधों की डिमांड की थी लेकिन बारिश ही नहीं हुई। इसके कारण डिमांड की तुलना में नर्सरियों से पौधों का उठाव कम हुआ था। करीब 55 से 60 लाख पौधे ही उठाए गए थे। कई वन मंडलों ने पौधे तो उठा लिए थे लेकिन उन्हें लगाया तक नहीं जा सका था। सारे पौधे बेकार हो गए थे। वहीं वर्ष 2023 में करीब 86 लाख पौधों की डिमांड की गई थी। इसमें भी सबसे ऊपर सिंगरौल जिला ही था।
सबसे अधिक सागौन और बांस के पौधों की डिमांड
सबसे अधिक डिमांड इस साल सागौन और देशी बांस की थी। 27 लाख पौधे सागौन और 15 लाख पौधे देशी बांस के वन मंडलों ने मांगे थे। वहीं अन्य पौधों की संख्या 54 लाख के आसपास रही। पौधों के उठाव के मामले में बांधवगढ़ का सबसे कम डिमांड और शतप्रतिशत उठाव रहा। इसके अलावा सतना और दक्षिण शहडोल ने भी 96 फीसदी से अधिक पौधे नर्सरियों से उठा लिए हैं। सबसे पीछे उमरिया और सीधी जिला है।
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