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कांग्रेस विधायक के सवाल पर सरकार का कुबूलनामा : आपत्ति के बावजूद पूर्व सीएस बैंस ने बेलवाल को आजीविका मिशन में बनाया था सीईओ
भोपाल। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रिटायर्ड आईएफएस ललित मोहन बेलवाल आजीविका ग्रामीण मिशन में सीईओ के पद के योग्य नहीं थे। तब भी पूर्व सीएस इकबाल सिंह बैंस ने उनकी नियुक्ति कराई थी। नियुक्ति कराने से पहले बैंस को उस समय के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया व विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने सबकुछ बताया था, यहां तक कि लिखित में आपत्तियां भी दर्ज कराई थी, जिस पर बैंस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से बात होने का हवाला देकर नियुक्ति करा दी थी।
यह खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि खुद सरकार ने विधानसभा में पूछे एक सवाल के जवाब में किया है। सवाल धार की सरदारपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने पूछा था।बेलवाल 2018 में रिटायर्ड हुए थे, जिन्हें 2020 में मिशन में सीईओ नियुक्त् िकिया था। वह हजारों करोड के पोषण आहार घोटाला, अगरबत्ती मशीन खरीदी घोटाला, नियुक्ति घोटाला, पत्तल दोना मशीन घोटाला, स्कूटी घोटाला बीमा घोटाला, रोजगार मेला जैसे घोटालों के आरोपों से घिरे हैं, उनके खिलाफ वर्ष 2024 में लोकायुक्त ने प्रकरण भी दर्ज किया है।
ये विवाद नहीं छोड़ रहे पीछा
बेलवाल 31 दिसंबर 2018 को सेवानिवृत्त हुए थे उन्हें 18 माह बाद नियम के विपरीत, बिना आवेदन, सहमति, विज्ञप्ति निकाले संविदाकर्मी के रूप में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी बनाया था। फिर 11 दिन बाद 29 जुलाई 2020 को सीईओ बनाया। बेलवाल नवंबर 2023 तक सीईओ रहे तथा तीन बार उन्हें संविदा कर्मी नियुक्त किया गया। तब के अपर मुख्य सचिव श्रीवास्तव ने कहा था कि बेलवाल को सलाहकार और सहयोग के लिए नियुक्त किया है, सीईओ के लिए नहीं किया। संविदा कर्मी को वित्तीय कार्य वाला सीईओ नहीं बना सकते। यहां तक कि उस समय सीएस के आदेश पर अपर मुख्य सचिव ने टीप लिखी कि यह पद का दुरुपयोग है शक्ति का पक्षपातपूर्ण उपयोग है।
मंत्री भी नियुक्त के पक्ष में नहीं थे
ग्रेवाल को दिए जवाब में दावा किया है कि तत्कालीन मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने अपर मुख्य सचिव की टीप का समर्थन करते हुए बेलवाल को सीईओ बनाए जाने व वित्तीय अधिकार दिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। यह भी लिखा था कि इस पद पर किसी आईएएस को ही नियुक्त किया जाए।
नोटशीट गोपनीय रखने के निर्देश
तब अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने बेलवाल के आदेश जारी करते हुए लिखा था कि उक्त आदेश की प्रति जीएडी कार्मिक, मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा जाए, ताकि किसी को इस पर आपत्ति हो तो तुरंत करेक्टिव एक्शन लिया जा सके। जिस पर बैंस ने 13 मई 2021 को निर्देश दिए थे कि सम्पूर्ण नोटशीट गोपनीय रखी जाए। बेलवाल के कार्यकाल में नियुक्ति घोटाले तथा अन्य घोटाले को लेकर आईएएस नेहा मारव्या ने फरवरी 2022 में जांच शुरू की और 8 जून 2022 को प्रतिवेदन दिया था, जिसमें बेलवाल पर घोटाले को लेकर विभिन्न धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की अनुशंसा की थी।
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