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SGMC REWA: अस्पताल में आई 13 करोड़ की मशीन, लेकिन चलाने वाला कोई नहीं : आनन-फानन में हुआ था शुभारंभ, अब अनाड़ियों से आपरेट कराने की तैयारी
रीवा। रीवा के संजय गांधी अस्पताल, गांधी स्मृति चिकित्सालय और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मरीजों को राहत पहुंचाने के लिए 13 करोड़ की एमआरआई मशीन का शुभारंभ तो हो गया है, मरीजों को राहत मिलने के बजाय उनकी परेशानी और बढ गई है। इसकी बडी वजह यह है कि बिना कर्मचारियों की नियुक्ति के ही एमआरआई की शुरुआत कर दी गई। ऐसे में मरीजों की परेशानी और बढ गई है। अस्पताल आने वाले मरीज एमआरआई सेंटर के चक्कर काट रहे हैं।
बता दें कि 13 करोड की एमआरआई मशीन का शुभारंभ डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल ने किया था। शुभारंभ आनन फानन में हुआ। मशीन शुरू करने के साथ ही एक मरीज की जांच तो कर दी गई लेकिन इसके बाद किसी की जांच नहीं हो रही है। एमआरआई सेंटर अब बंद जैसी स्थिति में है। इसके पीछे वजह टेक्नीशियन की कमी है। कॉलेज प्रबंधन ने एमआरआई को शुरू करने के पहले टेक्नीशियन की नियुक्ति नहीं की। अब यही सबसे बड़ी समस्या बन गई है। चैंकाने वाली बात यह भी है कि प्रबंधन कुशल टेक्नीशियन की जगह नान टेक्नीशियन की भर्ती करने की तैयारी है। कुल मिलाकर देखा जाए ट्रेनिंग देकर यहां भी काम चलाया जाएगा।
हर दिन 60-80 एमआरआई हो रही
रीवा में तीनों एमआरआई सेंटर को जोड़ ले तो हर दिन यहां 60 से 80 एमआरआई हो रही हैं। सबसे अधिक संजय गांधी अस्पताल परिसर में संचालित रीवा हेल्थ डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच होती है। यहां अस्पताल के भर्ती मरीज, ओपीडी के मरीजों के साथ ही डॉक्टर कालोनी से भी मरीजों को भेजा जाता है। सिर्फ आयुष्मान के भर्ती मरीजों की 20 पर्चियां हर दिन कटती हैं। यहां मेला लगता है। मरीजों का नंबर नहीं आता। दूसरे और तीसरे दिन नंबर लग पाता है। इसके बाद भी एमआरआई मशीन को शुरू करने में देरी की जा रही है।
रीवा में तीन एमआरआई सेंटर हैं
रीवा में सुपर स्पेशलिटी के अलावा तीन और एमआरआई सेंटर हैं। इसमें अस्पताल परिसर में ही रीवा हेल्थ डायग्नोस्टिक सेंटर है। सिरमौर चैराहा में सोमा के नाम से एमआरआई सेंटर संचालित है। एक समान में भी सीडीसी एमआरआई सेंटर चल रही है।
5-5 टेक्नीशियन की मिली है स्वीकृति
एमआरआई और सीटी स्केन मशीन के संचालन के लिए कार्यकारिणी की बैठक में डीएमई ने 5-5 टेक्नीशियन की नियुक्ति की अनुमति दी है। हालांकि यह काम डीन को पहले करना था लेकिन ऐन मौके पर ही प्रस्ताव रखा गया। अब अनुमति मिलने के बाद भी भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। इससे मरीजों को फायदा नहीं मिल पा रहा है।
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