नई दिल्ली। साइंस हो या आयुर्वेद दोनों कहते हैं कि पूरी नींद कई समस्याओं की काट है। मगर सोने का भी एक समय होता है। रात की नींद सबसे प्रभावी मानी जाती है। सर्दियों का मौसम शुरू होते ही शरीर में कई बदलाव आने लगते हैं। ऐसे में आयुर्वेद दिन में न सोने की सलाह देता है। आयुर्वेद के अनुसार हेमंत ऋतु (मध्य नवम्बर से मध्य जनवरी) में पाचन अग्नि सबसे प्रबल होती है, इसलिए भूख ज्यादा लगती है और शरीर को पौष्टिक एवं गर्म आहार की जरूरत पड़ती है।हेमंत एवं शिशिर ऋतु के बारे में बताया जाता है कि इस मौसम में क्या करना चाहिए और किन बातों का परहेज करना चाहिए। आयुर्वेद कहता है कि इस मौसम में दिन में सोना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। दिन में सोने से परहेज करें, इससे कफ दोष बढ़ता है और पाचन शक्ति मंद पड़ती है। ठंड और शुष्क वातावरण में पहले से ही कफ बढ़ने की प्रवृत्ति रहती है, दिन की नींद इसे और बढ़ा देता है, जिससे सर्दी-खांसी, भारीपन, सुस्ती और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।नींद के अलावा आयुर्वेद यह भी बताता है कि सर्दियों में क्या खाएं और क्या न खाएं, इसके लिए खट्टा, नमकीन, मीठा और घी युक्त भारी आहार लें , दूध-दही, गुड़, तिल, मूंगफली, बाजरा, नए गेहूं की रोटी फायदेमंद है। गर्म सूप, हर्बल चाय, अदरक-तुलसी वाली चाय, नींबू युक्त गर्म पानी, तिल-गुड़ की गजक, रेवड़ी, मूंगफली की चिक्की खाना फायदेमंद होता है।इन चीजों का सेवन फायदेमंद होता है। वहीं, कुछ चीजों के सेवन न करने की भी सलाह आयुर्वेद देता है। इस मौसम में कड़वा, कसैला और फूलगोभी, आलू , ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक, बासी भोजन का सेवन नुकसान दे सकता है। ज्यादा मसालेदार चीजें भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं।आयुष मंत्रालय का कहना है कि कुछ नियमों का पालन करने से सर्दियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है और मौसमी बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है। दिन में सोने की आदत छोड़कर और सही आहार-विहार अपनाकर इस मौसम में फिट और फाइन रहा जा सकता है। सर्दियों में रोज पूरे शरीर पर तिल या सरसों का तेल लगाकर मालिश (अभ्यंग) करना, गुनगुने पानी से नहाना, गर्म कपड़े पहनना फायदेमंद होता है। सुबह की धूप जरूर लें, यह विटामिन डी देती है और कफ को संतुलित करती है। इसके साथ ही व्यायाम और योग करने से शरीर गर्म रहता है और इम्यूनिटी बूस्ट होती है।