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भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सुनहरा अध्याय : स्पेस फतह कर धरती पर लौटा भारत का लाल, ऐतिहासिक पल के साक्षी बने माता-पिता
नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जुड गया है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष फतह कर धरती पर वापस लौट आए हैं। भारत का बेटा शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरिक्ष स्टेशन में बिताने के बाद आज सकुशल धरती पर लौट आया है। शुभांशु स्पेसएक्स के ग्रेस यान से दोपहर 300 बजे लौटे और कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग की। इसके साथ ही शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रच दिया। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए गर्व का क्षण है। बता दें कि शुभांशुभ की यह पहली अंतरिक्ष यात्रा थी, जो एक्सिओम मिशन 4 (एक्स-4) का हिस्सा थी।
शुभांशु के यान की प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग होते ही पूरा देश खुशी से झूम उठा। जैसे ही शुभांशु शुक्ला और क्रू के अन्य सदस्यों को लेकर यान समुद्र में उतरा, देश में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। शुभांशु के माता-पिता भावुक और गौरवान्वित होते हुए इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। बता दें कि शुभांशु शुक्ला 25 जून 2025 को फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च हुए थे। 26 जून को आईएसएस से जुड़े थे। इस दौरान उन्होंने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिसमें मांसपेशियों की हानि, मानसिक स्वास्थ्य और अंतरिक्ष में फसल उगाने जैसे शोध शामिल थे।
पीएम मोदी ने जताई खुशी
पीएम मोदी ने शुभांशु शुक्ला के सकुशल धरती पर लौट आने पर खुशी जताते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया। इसमें पीएम मोदी ने लिखा मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूं, जो अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट आए हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में, उन्होंने अपने समर्पण, साहस और अग्रणी भावना से करोड़ों सपनों को प्रेरित किया है। यह हमारे अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन - गगनयान - की दिशा में एक और मील का पत्थर है।
यह बोले केन्द्रीय मंत्री
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के सकुशल धरती पर लौटने पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने आज अंतरिक्ष की दुनिया में एक चिरस्थायी मुकाम हासिल कर लिया है। यह भारत के लिए गर्व का पल है कि हमारा बेटा सकुशल धरती पर लौट आया है।
14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम:45 बजे ग्रेस यान आईएसएस से अलग हुआ पृथ्वी की ओर बढ़ा। लैंडिंग से पहले, ग्रेस यान ने कई चरणों से गुजरा...
डीऑर्बिट बर्नः यान ने कक्षा से बाहर निकलने के लिए इंजन जला कर गति कम की।
वायुमंडल में प्रवेशः 27,000 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से प्रवेश के दौरान तापमान 1,600°सी तक पहुंचा, जिसे हीट शील्ड ने सहन किया।
पैराशूट तैनातः वायुमंडल से बाहर निकलने पर पैराशूट खुलकर यान को धीमा किया।
स्प्लैशडाउनः 15 जुलाई को दोपहर 3ः00 बजे आईएसटी यान प्रशांत महासागर में सुरक्षित उतरा।
लैंडिंग का रोमांच
ग्रेस यान की लैंडिंग से पहले एक जोरदार सोनिक बूम सुनाई दिया, जो इसकी तेज गति का संकेत था। लैंडिंग के दौरान संचार कुछ देर के लिए रुका, क्योंकि प्लाज्मा की परत सिग्नल को ब्लॉक कर रही थी. लेकिन रिकवरी टीम नौकाएं और हेलीकॉप्टर तुरंत कार्रवाई में आई। शुभांशु समेत एक्स-4 क्रू को सुरक्षित बाहर निकाला. इस टीम में पैगी व्हिटसन (कमांडर), स्लावोश उजनांस्की-विस्निव्स्की (पोलैंड), और टिबोर कपु (हंगरी) भी शामिल थे।
वापसी का सामान
ग्रेस यान 580 पाउंड (लगभग 263 किलोग्राम) सामान लेकर लौटा, जिसमें नासा का हार्डवेयर, प्रयोगों का डेटा और आईएसएस का कुछ कचरा शामिल था। यह डेटा अंतरिक्ष में मानव जीवन और विज्ञान को समझने में मदद करेगा। शुभांशु ने इस दौरान भारत का तिरंगा और अपने बेटे के पसंदीदा खिलौने हंस ष्जॉयष् को भी साथ रखा।
पुनर्वास और भविष्य
लैंडिंग के बाद, शुभांशु और उनकी टीम को मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। उन्हें लगभग 10 दिन तक पृथकवास (क्वारंटाइन) में रहना होगा, ताकि अंतरिक्ष के प्रभावों से उबर सकें। गुरुत्वाकर्षण में सामंजस्य बिठा सकें।इस दौरान उनकी सेहत पर नजर रखी जाएगी। यह मिशन भारत के लिए एक मील का पत्थर है, जो गगनयान मिशन और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए प्रेरणा देगा। शुभांशु ने कहा कि अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराना गर्व की बात है। अब नई शुरुआत की तैयारी है।
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