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बेहद चिंताजनक : बीते साल 1.4 करोड़ मासूमों को नसीब नहीं हुई वैक्सीन की सिंगल डोज, 2 करोड़ महरूम रहे इससे भी
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की दो बड़ी संस्थाएं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ की हाल ही में जारी हुई रिपोर्ट में चैंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल साल 2024 में दुनिया भर में 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा मासूमों का टीकाकरण नहीं हुआ है। यही नहीं, इन्हें वैक्सीन की एक डोज तक नसीब नहीं हुई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल लगभग 2 करोड़ छोटे बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी (डीटीपी) से बचाने वाले टीकों की एक खुराक भी नहीं मिल पाई है। यह गंभीर विषय है, क्योंकि इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 3 करोड़ से ज्यादा बच्चों को खसरे का टीका ठीक से नहीं मिल पाया, जिसके चलते कई जगहों पर खसरे के कई मामले सामने आए। 2024 में खसरे का प्रकोप 60 देशों में देखने को मिला। 2022 में ऐसे मामले सिर्फ 33 देशों में थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि टीकाकरण की सुविधा तक पहुंच की कमी के कारण बहुत सारे बच्चे इससे वंचित रहे। इसके अलावा, बाधित आपूर्ति, संघर्ष और अस्थिरता के अलावा टीकों के बारे में गलत जानकारी भी बच्चों के टीकाकरण में बाधा बनी।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2024 में दुनियाभर में बचपन के टीकाकरण का स्तर लगभग पहले जैसा ही रहा। 2023 के मुकाबले करीब 1,71,000 बच्चों को कम से कम एक टीका लगाया गया और 10 लाख से ज्यादा बच्चों ने डीटीपी टीके की पूरी 3 खुराकें पूरी कीं। साल 2024 में दुनिया भर में 89 प्रतिशत छोटे बच्चों यानी करीब 11.5 करोड़ बच्चों को डीटीपी टीके की कम से कम एक खुराक ही दी गई। वहीं 85 प्रतिशत बच्चों यानी करीब 10.9 करोड़ बच्चों ने इस टीके की तीनों खुराकें पूरी कर लीं। 2024 में खसरे के टीके की कवरेज में थोड़ा सुधार हुआ। 84 प्रतिशत बच्चों को खसरे का पहला टीका मिला। 76 प्रतिशत बच्चों को दूसरा टीका भी मिला। ये आंकड़े 2023 से थोड़े बेहतर हैं। 2024 में लगभग 20 लाख और बच्चों को टीका लगाया गया। बावजूद इसके, कुल मिलाकर जितने बच्चे टीका लगवाते हैं उनकी संख्या अभी भी बहुत कम है।
बच्चों को टीके न लगने की कई वहजे आई सामने
डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा, टीके जिंदगियां बचाते हैं। इनकी वजह से लोग, उनके परिवार, पूरा समाज, देश की अर्थव्यवस्था और पूरा देश तरक्की कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को टीके न लग पाने की दो बड़ी वजहें सामने आई, पहली, मदद में भारी कमी और दूसरी, टीकों को लेकर गलत जानकारी फैलना। वैज्ञानिकों का मानना है कि खसरे जैसी बीमारियों से बचाव के लिए हर जगह कम से कम 95 प्रतिशत बच्चों को टीका लगना चाहिए।
यूनिसेफ की अधिकारी बोलीं- यह चिंताजनक
यूनिसेफ की मुख्य अधिकारी कैथरीन रसेल ने कहा, अच्छी खबर यह है कि अब हम ज्यादा बच्चों तक टीके पहुंचा पाए हैं। लेकिन फिर भी, लाखों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें अभी भी टीका नहीं मिला, यह बात हम सबके लिए चिंता का विषय है। कैथरीन रसेल ने सरकारों से कहा कि उन्हें ज्यादा मेहनत करनी चाहिए ताकि ये मुश्किलें दूर हो सकें। अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हैं, टीकों के बारे में गलत जानकारी फैली हुई है, और संघर्षों के कारण टीका लगवाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा, कोई भी बच्चा ऐसी बीमारी से मरना नहीं चाहिए, जिससे हम उनका बचाव कर सकते हैं।
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