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ब्रिक्स समिट में मोदी की दो टूक : खनिज संसाधन दूसरों के खिलाफ हथियार के रूप में न हो इस्तेमाल, निशाने पर रहा चीन
रियो डी जिनेरियो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6-7 जुलाई 2025 को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने खनिज को लेकर ब्रिक्स देशों को कड़ी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि समूह के देशों को महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इतना ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी देश इन संसाधनों का उपयोग अपने स्वार्थी लाभ के लिए या दूसरों के खिलाफ हथियार के रूप में न करे।
पीएम मोदी की यह टिप्पणी चीन द्वारा महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों तथा इस क्षेत्र में उसकी अपारदर्शी नीतियों को लेकर वैश्विक स्तर पर जताई जा रही चिंता के बीच आई है। पीएम मोदी ने कहा कि हमें महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कोई भी देश इन संसाधनों का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए या दूसरों के खिलाफ हथियार के रूप में न करे। लिथियम, निकल और ग्रेफाइट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), ड्रोन और बैटरी भंडारण सहित उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। चीन वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है।
एआई से रोजमर्रा की जिंदगी में आएगा बदलाव
आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के बारे में मोदी ने कहा कि इससे रोजमर्रा की जिंदगी में काफी सुधार आ सकता है, लेकिन दूसरी ओर इससे जोखिम, नैतिकता और पूर्वाग्रह के बारे में ंिचताएं भी पैदा हुई हैं। पीएम ने घोषणा की कि भारत अगले साल एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा। मोदी ने कहा, हमारा मानना है कि चिंताओं के समाधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने को एआई शासन में समान महत्व दिया जाना चाहिए। हमें जिम्मेदार एआई के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ऐसे वैश्विक मानक बनाए जाने चाहिए, जो डिजिटल सामग्री की प्रामाणिकता को सत्यापित कर सकें, ताकि हम सामग्री के स्रोत की पहचान कर सकें और पारर्दिशता बनाए रख सकें तथा दुरुपयोग को रोक सकें। समुद्र तटीय ब्राजील के इस शहर में आयोजित शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स के शीर्ष नेताओं ने विश्व के समक्ष उपस्थित विभिन्न चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।
लोबल साउथ के देशों की ब्रिक्स से कुछ विशेष अपेक्षाएं
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ग्लोबल साउथ’ की मदद के लिए ब्रिक्स द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) के रूप में, हमने ग्लोबल साउथ के देशों की विकास आकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए एक मजबूत और विश्वसनीय विकल्प पेश किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि एनडीबी को मांग-संचालित दृष्टिकोण, दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और स्वस्थ क्रेडिट रेटिंग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मोदी ने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों की ब्रिक्स से कुछ विशेष अपेक्षाएं और आकांक्षाएं हैं और इन्हें पूरा करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए, भारत में स्थापित ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच, कृषि अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने के लिए एक मूल्यवान पहल है। प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स विज्ञान एवं अनुसंधान भंडार के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा, जो ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में काम कर सकता है।
ग्लोबल साउथ को हमसे बड़ी उम्मीदें
उन्होंने कहा, ग्लोबल साउथ को हमसे बहुत उम्मीदें हैं। उन्हें पूरा करने के लिए हमें उदाहरण के द्वारा नेतृत्व’ के सिद्धांत का पालन करना होगा। उन्होंने कहा, भारत अपने साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने सभी साझेदारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बने ब्रिक्स का 2024 में विस्तार किया गया, जिसके तहत मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को समूह में शामिल किया गया। इंडोनेशिया 2025 में ब्रिक्स में शामिल हुआ।
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