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7 साल की स्टडी में खुलासा : लक्षण दिखने से कई साल पहले ही रूमेटॉयड अर्थराइटिस करने लगता है असर

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Author : admin

पब्लिश्ड : 25-09-2025 02:33 PM

अपडेटेड : 25-09-2025 05:21 PM

नई दिल्ली। रूमेटॉयड अर्थराइटिस (आरए) लक्षण दिखने से कई साल पहले ही शुरू हो जाते हैं और शरीर में फैलने लगते हैं। यह बीमारी जोड़ों में दर्द और सूजन पैदा करती है और धीरे-धीरे जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है। इसका खुलासा वैज्ञानिकों ने अपने नए शोध में किया।

आरए एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की सुरक्षा प्रणाली शरीर के ही जोड़ों पर हमला करने लगती है। इससे जोड़ों में सूजन आती है और वे कमजोर होकर परेशानी पैदा करने लगते हैं। अब तक यह माना जाता था कि यह बीमारी तभी शुरू होती है, जब मरीज को जोड़ों में दर्द या सूजन महसूस हो, लेकिन नए अध्ययन में पता चला है कि यह बीमारी शरीर में बहुत पहले शुरू हो जाती है, तब जब कोई भी लक्षण नजर नहीं आता।

साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित इस नए शोध से पता चलता है कि बीमारी के शुरुआती चरण में शरीर में केवल जोड़ों की सूजन नहीं होती, बल्कि पूरे शरीर में एक तरह की सूजन फैल जाती है। यानी यह बीमारी सिर्फ जोड़ों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करती है। अमेरिकी एलन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता मार्क गिलेस्पी ने कहा, श्श्यह अध्ययन डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को मदद करेगा ताकि वे इस बीमारी को जल्दी पकड़ सकें और समय रहते इलाज कर सकें।

यह अध्ययन सात साल तक चला और इसमें उन लोगों को ट्रैक किया गया, जिनके खून में एसीपीए नाम के एंटीबॉडी पाए गए थे। ये एंटीबॉडी ऐसे संकेतक होते हैं, जो बताते हैं कि कोई व्यक्ति आरए के खतरे में है या नहीं। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस दौरान कई नई बातें सामने आईं, जिनमें शरीर में सूजन का फैलाव, इम्यून सेल्स की गड़बड़ी और सेल्स का काम करने का तरीका बदल जाना आदि शामिल हैं।

टीम ने पाया कि शरीर की कुछ खास इम्यून सेल्स, जैसे बी सेल्स, जो आमतौर पर संक्रमण से लड़ने वाले अच्छे एंटीबॉडी बनाते हैं, आरए के खतरे वाले लोगों में सूजन बढ़ाने वाले एंटीबॉडी बनाने लगे थे। वहीं, टी हेल्पर सेल्स की एक खास किस्म, टीएफएच17, भी सामान्य से बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, जो सूजन को और बढ़ावा देती है।

इसके अलावा, नेव टी सेल्स में भी डीएनए स्तर पर बदलाव (एपिजेनेटिक बदलाव) पाए गए।शोध में यह भी देखा गया कि खून में मौजूद मोनोसाइट्स नाम की श्वेत रक्त कोशिकाएं भी असामान्य रूप से अधिक सूजन पैदा कर रही थीं। ये कोशिकाएं ठीक उन मैक्रोफेज जैसी थीं, जो आरए के मरीजों के जोड़ों में सूजन पैदा करते हैं, जिससे पता चलता है कि बीमारी जोड़ों को नुकसान पहुंचाने के लिए पहले से ही शरीर में तैयारी कर रही है।

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