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रिसर्च में आर्सेनिक को लेकर चौंकाने वाला खुलासा : मां के गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए नासूर है जहरीला कंपाउंड

मां के गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए नासूर है जहरीला कंपाउंड
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Ganesh Sir

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नई दिल्ली। भारत के अधिकतर घरों में नल का पानी आता है। कई लोग उस पानी को फिल्टर करके इस्तेमाल करते हैं तो कई लोग उसे सीधे इस्तेमाल कर लेते हैं। हाल ही में कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक नई स्टडी में पता चला है कि अमेरिका के नल के पानी में मौजूद आर्सेनिक नामक एक जहरीला कंपाउंड मां के गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। रिसर्च के अनुसार, भले ही पानी में आर्सेनिक की मात्रा बहुत कम हो, लेकिन फिर भी यह गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

ये रिसर्च चिंताजनक इसलिए है क्योंकि अमेरिका में करीब 28 करोड़ लोग पब्लिक वॉटर सिस्टम पर निर्भर हैं। ऐसे में बहुत से लोगों की जिंदगी खतरे से घिरी हुई है। स्टडी के मुताबिक, नल का पानी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जा सकता. खासकर तब, तब बात गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों की आती है। ऐसे में सभी को इस गंभीर समस्या पर ध्यान देने की जरूरत है।

आर्सेनिक क्या है और कहां पाया जाता है?

आर्सेनिक एक जहरीला केमिकल है जो धरती में, खास तौर पर चट्टानों और मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। यह धरती और चट्टानों से रिस सकता है और ग्राउंड वॉटर में मिल सकता है जो फिर नल के पानी में आता है। अमेरिका के सभी 50 राज्यों की पब्लिक वॉटर सिस्टम सप्लाई में आर्सेनिक पाया गया है और अनुमान है कि इससे 28 करोड़ लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं।

क्यों खतरनाक है आर्सेनिक?

आर्सेनिक गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए खात तौर से हानिकारक है। रिसर्च में पाया गया है कि पानी में आर्सेनिक की थोड़ी मात्रा भी समय से पहले जन्म का कारण बन सकती है। इसके कारण बहुत कम वजन के बच्चे भी जन्म ले सकते हैं। ये बच्चे जीवन भर हेल्थ प्रॉब्लम्स से पीड़ित रह सकते हैं। इन हेल्थ प्रॉब्लम्स में धीमा दिमागी विकास, सीखने में देरी, डायबिटीज, दिल की समस्या और कमजोर इम्यून सिस्टम शामिल होता है।

बच्चे को कैसे प्रभावित करता है आर्सेनिक?

स्टडी में बताया गया है कि आर्सेनिक प्रेग्नेंसी के दौरान प्लेसेंटा को क्रॉस कर सकता है। यानी यह सीधे बच्चे तक पहुंच सकता है और कई तरह के नुकसान कर सकता है। यह शरीर में हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ सकता है।

डीएनए और अंगों के डेवलपमेंट में बाधा डाल सकता है, पोषक तत्वों को शरीर में ठीक से अब्सॉर्ब नहीं होने देता, सूजन पैदा करता है, जिससे समय से पहले डिलीवरी हो सकती है।

आर्सेनिक की कितनी मात्रा सुरक्षित?

अमेरिका की एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी) के अनुसार, पानी में आर्सेनिक की अधिकतम 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर मात्रा सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन इस नई रिसर्च में पाया गया कि सिर्फ 5 माइक्रोग्राम या उससे कम आर्सेनिक भी बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे मामलों में जन्म लेने वाले बच्चों का वजन कम होता है और उन्हें आगे चलकर ज्यादा हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।

क्या बीमारियां हो सकती हैं?

अगर कोई आर्सेनिक के कॉन्टैक्ट में आता है तो उसे स्किन, कोलन, ब्रेस्ट, किडनी और अन्य तरह के कैंसर हो सकते हैं। इसके साथ ही लोगों को दिल से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं और उनकी ब्लड वेसल्स को भी नुकसान पहुंच सकता है।

कैसे बचें?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पब्लिक हेल्थ प्रोटेक्शन के लिए नल के पानी में आर्सेनिक की मात्रा की जो सीमा सरकार ने तय की है। उसे और कम करना चाहिए, ताकि लोगों की सेहत पर खतरा न बने। नल के पानी को रेगुलर चेक कराना चाहिए। खास तौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों के लिए फिल्टर या फिल्टर्ड पानी का इस्तेमाल करें।

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