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नई दिल्ली। तन और मन जब भी थक जाते हैं, तो लोग चाय या कॉफी का सहारा लेते हैं। आमतौर पर धारणा है कि चाय और कॉफी सुस्ती उतारने और मस्तिष्क को एकाग्रता के साथ काम करने की ताकत देती है, लेकिन इसका असमय और अतिसेवन पूरे शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। ऐसे में आयुर्वेद के पास एक ऐसा समाधान है, जो कैफीन के स्वाद से बेहतर और शरीर के लिए लाभकारी है।
आयुर्वेद में थकान और तनाव को तंत्रिकाओं से जोड़ कर देखा गया है। जब तंत्रिकाएं थक जाती हैं, तब आँखें बंद होने लगती हैं, नींद आने लगती है, काम करने का मन नहीं करता, और पूरा शरीर ही अपना संतुलन खो बैठता है। सिर से लेकर पैर तक शरीर सिर्फ और सिर्फ आराम मांगता है। ऐसे में हर्बल टी बहुत लाभकारी होती है, जो शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाती है और याददाश्त को बढ़ाने में मदद करती है।
हर्बल टी बनाने के लिए जटामांसी, ब्राह्मी और कैमोमाइल चाहिए। ये तीनों ही चीजें आसानी से बाजार में मिल जाती हैं। जटामांसी और ब्राह्मी जड़ी-बूटी हैं और कैमोमाइल एक औषधीय फूल है। इन तीनों को मिलकर पानी में उबाल लें और काढ़ा बना लें। इस मिश्रण को छानकर गुनगुना होने पर पीएं। ये शरीर को चुस्त और दुरुस्त रखने में मदद करेगा। ये तीनों मिलकर थकान को कम करती हैं और तंत्रिकाओं को आराम देती हैं, जिससे अच्छी नींद आती है।
जटामांसी हृदय और चेतना को स्थिर करती है और मन को संतुलित रखती है। यह घबराहट और बेचैनी को कम करने में राहत देती है। इसमें मौजूद न्यूरो-रिलैक्सेंट यौगिक तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं और धीरे-धीरे शरीर को थकावट का अहसास कम होता है। वहीं ब्राह्मी मस्तिष्क में स्पष्टता और एकाग्रता लाती है। इसके साथ ही शरीर में तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कॉर्टिसोल और एड्रेनालाईन को संतुलित रखते हैं। ये दोनों हार्मोन ही शरीर में बेचैनी और तनाव को बढ़ाते हैं।
इसके अलावा, कैमोमाइल में ऐसे गुण होते हैं जो नींद में सहायक होते हैं। ये मस्तिष्क को शांत करने के अलावा, गहरी नींद लाने में सहायक हैं। ये जानना भी जरूरी है कि हर्बल चाय का सेवन किस समय करना सही होता है। इसके लिए रात को सोने से पहले, या लगातार स्ट्रेस की स्थिति में इसको लेना अच्छा होता है। काम के समय एकाग्रता बढ़ाने के लिए भी टी का सेवन कर सकते हैं। इसकी लत चाय की तरह नहीं पड़ती है और ये पूरी तरह सुरक्षित हैं।
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