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सेहत : ट्राइग्लिसराइड चुपचाप दिल को बना देता है बीमारियों का घर, आयुर्वेद से जानें बचाव के उपाय

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Author : admin

पब्लिश्ड : 24-09-2025 03:24 PM

अपडेटेड : 24-09-2025 09:54 AM

नई दिल्ली । आजकल कोलेस्ट्रॉल के साथ ही ट्राइग्लिसराइड शब्द भी अक्सर सुनने को मिलता है। बहुत से लोग इसे सिर्फ कोलेस्ट्रॉल का दूसरा नाम मान लेते हैं, लेकिन वास्तव में यह अलग है और दिल की बीमारियों का एक बड़ा कारण भी बन सकता है। ट्राइग्लिसराइड हमारे खून में मौजूद वसा का एक प्रकार है। जब हम खाना खाते हैं और शरीर तुरंत कैलोरी का उपयोग नहीं करता, तो अतिरिक्त कैलोरी वसा कोशिकाओं में ट्राइग्लिसराइड के रूप में जमा हो जाती है। जरूरत पड़ने पर यह ऊर्जा का स्रोत बनती है।

ट्राइग्लिसराइड का सामान्य स्तर 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम होता है। सीमा रेखा 150-199 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर, उच्च स्तर 200-499 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर और बहुत अधिक स्तर 500 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से ऊपर माना जाता है। लगातार उच्च ट्राइग्लिसराइड रहने से दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, मोटापा, फैटी लिवर और डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

कई लोग सोचते हैं कि केवल तैलीय भोजन ट्राइग्लिसराइड बढ़ाता है, लेकिन असल में शुगर, मैदा और मीठे पेय इसके सबसे बड़े कारण हैं। उच्च ट्राइग्लिसराइड हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को एलडीएल कोलेस्ट्रॉल जितना या उससे भी ज्यादा बढ़ा सकता है। यह टाइप-2 डायबिटीज और इंसुलिन प्रतिरोध का भी संकेत है। लंबे समय तक अधिक ट्राइग्लिसराइड जमा होने से फैटी लिवर और गंभीर मामलों में लिवर फेल्योर का खतरा होता है। आनुवंशिक कारणों से भी इसका स्तर अधिक हो सकता है।

ट्राइग्लिसराइड का स्तर अक्सर दिखाई नहीं देता और व्यक्ति सामान्य महसूस कर सकता है। इसलिए समय-समय पर लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराना जरूरी है। व्यायाम और सही जीवनशैली ट्राइग्लिसराइड कम करने में मदद करते हैं। शराब का सेवन इसे तेजी से बढ़ाता है, जबकि ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त भोजन जैसे अलसी, अखरोट और मछली का तेल इसे घटाने में असरदार हैं।

आयुर्वेदिक उपाय भी मददगार हैं। त्रिफला चूर्ण रात को गुनगुने पानी के साथ लेने से पाचन बेहतर होता है। रोज सुबह लहसुन, अर्जुन की छाल का काढ़ा और मेथी दाना ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल को घटाने में सहायक हैं। ग्रीन टी और दालचीनी एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण शरीर की अतिरिक्त वसा को कम करते हैं। योग और प्राणायाम, जैसे कपालभाति, अनुलोम-विलोम और सूर्य नमस्कार, वसा संतुलन के लिए श्रेष्ठ हैं।

जीवनशैली में बदलाव भी जरूरी है। चीनी और मीठे पेय कम करें, तले-भुने और पैकेज्ड फूड से दूरी बनाएं। हरी सब्जियां, साबुत अनाज और फल अधिक खाएं। सप्ताह में कम से कम 5 दिन 30 मिनट की वॉक या योग करें। धूम्रपान और शराब से बचें, पर्याप्त नींद लें और तनाव कम करने की कोशिश करें।

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