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जो अनपढ़ बच्चे को ज्ञानी बना दे, वही हिन्दी : मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम में बोले सीएम, 10 महान विभूतियों को किया सम्मानित
भोपाल। जो अ से अनपढ़ बच्चे की अंगुली पकड़कर ज्ञ से ज्ञानी बना दे, वही हिन्दी है। यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को रवीन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में हिन्दी दिवस के अनुक्रम में आयोजित भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम को संबोधित कर करते हुए कही। सीएम ने कहा कि मां और मातृभाषा से ऊपर दूसरा कोई नहीं है। मां और मातृभाषा ही हमारी सबसे बड़ी पालक हैं। इनका स्थान कोई नहीं ले सकता है, जैसे मां के चरणों में चारधाम है, उसी प्रकार मातृभाषा की गोद में आनंदधाम है। जितना सटीक हमारी मातृभाषा का व्याकरण है, उतना ही समृद्ध हिन्दी साहित्य है। कार्यक्रम में सीएम ने 10 मूर्धन्य साहित्यकारों को राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान से भी सम्मानित किया।
सीएम ने उन्होंने कहा कि 52 वर्णों में गुंथी हुई हिन्दी की वर्णमाला ही हमारी पहली पाठशाला है। जो अ से अनपढ़ बच्चे की अंगुली पकड़कर ज्ञ से ज्ञानी बना दे, वही हिन्दी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी हमारी संस्कृति को जोड़ती है। हिन्दी के बिना हमारा साहित्य, हमारी भावनाएं और हमारी संवेदनाएं यकीनन अधूरी हैं।
भारत एक ऐसा देश, जहां सर्वाधिक मातृभाषा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज ही अभियंता दिवस भी मनाया गया है। उन्होंने सभी को अभियंता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जहां सर्वाधिक मातृभाषा हिंदी बोली जाती है। भगवान श्रीराम ने हजारों साल पहले मातृभाषा की गरिमा का उल्लेख किया था। आल्हा-ऊदल के महाकाव्य में हिंदी की सुंदरता देखने को मिलती है। रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गावती पर काव्य लिखकर इसे पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। राजाभोज के काल में कविता के रचनाकारों को स्वर्ण मुद्राएं देकर सम्मानित किया जाता था।
पीएम ने भारत को किया गौरवान्वित
महाकवि कालिदास की रचनाओं से मालवी, भीली, कोरकू जैसी अनेक भाषाएं निकली हैं। उन्होंने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी काव्य रचनाओं को अलग स्थान दिलाया। उन्होंने 50 वर्ष के राजनीतिक जीवन में सर्वाधिक समय नेता प्रतिपक्ष के पद को सुशोभित किया। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के हर बड़े मंच पर हिंदी भाषा में संबोधन के जरिए भारत को गौरवान्वित करते हैं। उनके पहुंचने मात्र से ही मंच प्रकाशमय हो जाता है।
सम्मान एवं अलंकरण
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन 10 विभूतियों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मान से अलंकृत किया।
राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान
श्री प्रशांत पोळ-जबलपुर (2024)
श्री लोकेन्द्र सिंह राजपूत- भोपाल (2025)
राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान
रीता कौशल-आॅस्ट्रेलिया (2024)
डॉ. वंदना मुकेश- इंग्लैण्ड (2025)
राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान
डॉ. इंदिरा गाजिएवा-रूस (2024)
श्रीमती पदमा जोसेफिन वीरसिंघे (2025)
राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान
डॉ. राधेश्याम नापित-शहडोल (2024)
डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे-भोपाल (2025)
राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान
डॉ. के.सी. अजय कुमार-तिरुवनंतपुरम् (2024)
डॉ. विनोद बब्बर-दिल्ली (2025)
साहित्यिक पुस्तकों/प्रकाशनों का हुआ लोकार्पण/विमोचन
भारतीय भाषा आलोक - राजेश्वर त्रिवेदी
समाज की भाषा का संकल्प - विजयदत्त श्रीधर
भोजपुरी प्रतिभाएं - डॉ. धर्मेन्द्र पारे
शिवगीता, दत्तात्रेयगीता, कपिलगीता, अवधूतगीता, भागवतगीता, यमगीता, हरिहरगीता, भृगुगीता, श्रीकृष्ण चरित्र - श्री बंकिमचन्द्रम चट्टोपाध्याय
श्रीराधा द्वापर युग की महानायिका - अशोक शर्मा एवं
लोक में वेदांत - डॉ. सरोज गुप्ता
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