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भोपाल। राजधानी के बड़े तालाब में सैलानियों को शिकारे की सौगात मिलने जा रही है। भाजपा कांग्रेस विधायकों के साथ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इसका लोकापर्ण गुरूवार सुबह 9 बजे करेंगे। यह शिकारे सैलानियों को श्रीनगर की डल झील का अनुभव कराएंगे। पहले चरण में 20 शिकारे पानी में उतारे जाएंगे।
महत्वपूर्ण है कि इससे पहले नगर निगम द्वारा बीते साल 13 जून को प्रायोगिक तौर पर एक शिकारा चलाया था। जिसे स्थानीय रजिस्टर्ड मछुआरे से तैयार कराया गया था। इसके प्रति लोगों के आर्कषण को देखते हुए पर्यटन विकास निगम के द्वारा अब एक साथ 20 शिकारे बड़ा तालाब में उतारे जा रहे हैं। इसके लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र लोधी मौजूद रहेंगे। भाजपा व कांग्रेस विधायकों को भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है।
तया नहीं हुआ किराया
जानकारी के अनुसार, शिकारे में सुबह 7 से शाम 7 बजे तक चलाए जाएंगे। अभी किराया तय नहीं हुआ है। गुरुवार लोकार्पण बाद तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी। प्रति व्यक्ति किराया 100 रुपए के आसपास रह सकता है। नगर निगम द्वारा शुरूआती दौर में यह किराया 150 रुपये प्रति व्यक्ति तय किया गया था। यह 2.3 किलोमीटर का राउंड लगाएगा। ऐसे में यह बीच में स्थित टापू के करीब भी पहुंचेगा।
क्रूज पर प्रतिबंध इसलिये इकोफेंडली शिकारे पर जोर
करीब दो साल पहले एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने डीजल उत्र्सजन से जलीय जीवन जंतु को होने वाले नुकसान को देखते हुए बड़े तालाब पर क्रूज संचालन में रोक लगा दी थी। तब से क्रूज का संचालन बंद है। इसका सीधा असर पर्यटकों की संख्या पर पड़ा। इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए श्रीनगर की डल झील में चलने वाले शिकारे की तर्ज पर इकोफ्रेंडली शिकारा का यहां संचालन शुरू किया जा रहा है।
पर्यटकों की पसंद थे लेक प्रिंसेस कू्रज और जलपरी
पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित लेक प्रिंसेस क्रूज और जलपरी मोटरबोट लोगों की पसंद थे। बताया जाता है कि हर रोज एक हजार से ज्यादा लोग इसकी सवारी के लिये पहुंचते थे। इनके बंद होने के बाद बड़ा तालाब के नजारे का लुत्फ उठाने लोग निजी नावों को माध्यम जरूर बनाते थे, लेकिन यह क्रूज और जलपरी का विकल्प नहीं बन पाये।
पर्यावरण के अनुकूल हैं शिकारे
बताया जाता है कि इन सभी 20 शिकारों का निर्माण प्रदूषण रहित आधुनिक तकनीक से किया गया है। जिसमें 'फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेनÓ और उच्च गुणवत्ता वाली नॉन-रिएक्टिव सामग्री का उपयोग किया गया है। यह जल के साथ किसी भी प्रकार की रासायनिक क्रिया नहीं करती। इससे बड़े तालाब की पारिस्थितिकी और जल की शुद्धता पूर्णत: सुरक्षित रहेगी।
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