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भोपाल। मप्र सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 के परिणाम पिछले हफ्ते ही घोषित हुए थे। जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित 121 पद खाली रहने को लेकर पूरी परीक्षा विवादों में पड़ गई है। आरक्षित पदों पर एक भी भर्ती नहीं होने का मामला जब मप्र उच्च न्यायालय पहुंचा तो न्यायालय ने परीक्षा चयन की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सिविल जज भर्ती परीक्षा की चयन सूची फिर से घोषित करने के आदेश दिए हैं।
मप्र सिविल जज 2022 के नतीजे 12 नवंबर को घोषित हुए। 191 पदों के लिए हुई परीक्षा में सिर्फ 47 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा है कि अजजा और अजा वर्ग को न्यूनतम अंकों में छूट देकर संशोधित सूची बनाई जाए। मुख्य परीक्षा के लिए अजा के लिए 45 फीसदी और अजजा वर्ग के लिए 40 फीसदी अंक न्यूनतम माने जाएं। साक्षात्कार के न्यूनतम 20 अंकों में भी राहत दी जाए। परीक्षा सेल को संशोधित सूची अगली सुनवाई में पेश करनी होगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और पुष्पेंद्र शाह ने न्यायालय को बताया कि परीक्षा सेल ने आरक्षण नीति का सही ढंग से पालन नहीं किया। बैकलॉग पदों को अनारक्षित वर्ग को देना, न्यूनतम योग्यता में छूट न देना और साक्षात्कार में कम अंक देना भेदभाव को दर्शाता है।
याचिकाकर्ताओं ने चयन प्रक्रिया की बताई खामियां
वकीलों के एक संगठन एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि चयन प्रक्रिया में अजा-अजजा उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा। अजजा वर्ग के विद्यार्थियों को सामान्य वर्ग के बराबर कट-ऑफ लागू कर दी गई। संगठन ने जून 2024 में उच्च न्यायालय के भर्ती विज्ञापन और प्रारंभिक परीक्षा परिणाम को चुनौती दी थी। याचिका में बताया कि भर्ती विज्ञापन में 17 अनारक्षित पदों को बैकलॉग बताया जो कि आरक्षण नियमों के अनुरूप नहीं है।
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