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मप्र में मूंग खरीदी मामला : अब भुगतान को लेकर नई झंझटें, अमानक मूंग के मामले सामने आने के बाद उलझन में अन्नदाता

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Author : admin

पब्लिश्ड : 28-08-2025 12:23 PM

अपडेटेड : 28-08-2025 06:53 AM

भोपाल। मप्र में मूंग को लेकर तनातनी के दौर के बाद अब तक उपार्जन लक्ष्य से दोगुना हो गया है। जबकि खरीदी बंद हुए 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब भी करीब 33 हजार किसानों को 800 करोड़ रुपये का भुगतान मिलना बाकी है। सरकार हर दिन 100 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर रही है, ऐसे में अभी कुकई दिन का समय लग सकता है। हालांकि नर्मदापुरम, सागर और रायसेन जैसे जिलों में जांच में अमानक मूंग मिलने से कई किसानों का पेमेंट फंसने की आशंका है।

जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को 3.51 लाख मीट्रिक टन मूंग खरीदी का लक्ष्य दिया, लेकिन प्रदेश सरकार ने लक्ष्य से अधिक 7.65 लाख मीट्रिक टन मूंग खरीद ली। यानी 4.14 लाख मीट्रिक टन मूंग की अतिरिक्त खरीदी हुई। इससे राज्य सरकार पर 3594 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त वित्तीय बोझ आ रहा है। अब सरकार जिस गति से मार्कफेड यानी मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ को पेमेंट कर रही है, उसी हिसाब से किसानों को पैसा ट्रांसफर हो रहा है। माना जा रहा है कि भुगतान में अभी डेढ सप्ताह से ज्यादा वक्त लगेगा। हालांकि नर्मदापुरम, सागर, रायसेन और जबलपुर के किसानों की चिंता बढ़ गई है।

जिलों में पाई गई है अमानक मूंग

दरअसल, लक्ष्य से ज्यादा खरीदी गई मूंग का भुगतान राज्य सरकार को करना है तथा इसकी गुणवत्ता जांच का जिम्मा मध्यप्रदेश वेयरहाउस कॉर्पोरेशन को दिया गया है। जांच में इन जिलों में (2-3 हजार क्विंटल के ढेर) अमानक मूंग पाई गई। नियम के मुताबिक मूंग में खराबी भले ही एक किसान की हो, लेकिन रिजेक्ट पूरा स्टाक हो जाता है। ऐसे में रिजेक्ट कई किसानों का भुगतान उलझने की आशंका है। इससे करीब दो सौ करोड़ रुपये तक का पेमेंट फंस सकता है।

3.62 लाख किसानों ने कराया था रजिस्ट्रेशन

बताया जाता है कि मूंग बेचने के लिए 3.62 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीदी सिर्फ 2.72 लाख किसानों से ही हो सकी। यानी करीब 90 हजार किसान स्लॉट बुक न कर पाने की वजह से उपार्जन से बाहर हो गए थे। खरीदी का यह सीजन इसलिए भी अलग रहा क्योंकि पहली बार बरसात के बीच खरीदी हुई। लगातार बारिश से कई केंद्रों पर मूंग भीग गई, जिससे उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठे और किसानों की उपज रिजेक्ट हो गई। 21 जुलाई के बाद स्लॉट बुकिंग बंद हो गई। जिस पर किसानों का आरोप है कि सरकार इस बार पहले से ही मूंग नहीं खरीदने का मन बना चुकी थी, जिसके कारण इतनी सारी परेशानियां हुईं।

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