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संजय गांधी-सुपर स्पेशलिटी अस्पताल : डिप्टी सीएम के प्रयासों पर पानी फेर रहे जिम्मेदार, कमीशन के चक्कर में कंडम हो रहीं 21 करोड़ की मशीनें

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Author : admin

पब्लिश्ड : 07-11-2025 01:04 PM

अपडेटेड : 07-11-2025 07:34 AM

रीवा। डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल द्वारा रीवा में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन जिम्मेदारों के गैर जिम्मेदाराना रवैया उनकी मेहनत पर पानी फेर रहा है। यही नहीं, डीन की लापरवाही के चलते 21 करोड़ की एमआरआई और सिटी स्केन मशीन कंडम होती जा रही है। सूत्रों की मानें तो कमीशन के चक्कर में डाॅक्टर इन दो हाईटेक मशीनों को चालू कराने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

सारे मरीजों को जांच के लिए आरएचडी भेज रहे हैं। बकायदा डॉक्टरों के पास आरएचडी की रसीदें हैं। आपको बता दें कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एमआरआई 13 करोड़ की इंस्टाल हुई। संजय गांधी अस्पताल में 7 करोड़ की सिटी स्केन मशीन लगाई गई। इन दोनों ही मशीनों को डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला ने बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू किया था। उन्हें यह उम्मीद थी कि इस मशीन का फायदा गरीब मरीजों को मिलेगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। उनकी उम्मीदों पर अस्पताल के डॉक्टरों ने ही पानी फेर दिया। सबसे बड़ी लापरवाही डीन डॉ सुनील अग्रवाल की सामने आई है।

डीन ने कर्मचारियों की नहीं की नियुकित

डीन ने पहले से कोई इंतजाम ही नहीं किए। कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की। जांच में उपयोग होने वाली फिल्म और डाई तक नहीं मंगाई गई। इसके कारण जांच शुरू नहीं हो पाई। अब इसी का फायदा एचआरडी ने उठा लिया। आरएचडी ने अब सभी डॉक्टरों को मरीज भेजने पर मोटा कमीशन देने का लालच दे दिया है। पहले जो मरीज जांच के लिए जाते थे। अब वह एचआरडी के पास भेजे जा रहे हैं।

दस साल से अधिक पुरानी हो गई है मशीन

आरएचडी की मशीन 10 साल से भी अधिक पुरानी हो गई है। अनुबंध के अनुसार आरएचडी को 10 साल पूरे होने पर हटना था। इसका अनुबंध भी खत्म हो गया था। ईसी की बैठक में एक शर्त पर ही इसका अनुबंध बढ़ाया गया था कि जब अस्पताल में एमआरआई और सीटी स्केन मशीन लग जाएगी तो यह खत्म हो जाएगा। अब दोनों ही मशीनें इंस्टाल हो गई हैं। फिर भी आरएचडी जस की तस है।

सेंटर के कर्मचारियों का बाहर से कनेक्शन

एमआरआई सेंटर और सीटी स्केन के कर्मचारियों को प्राइवेट सेंटरों से कनेक्शन हैं। यहां जांच के लिए पहुंचने वाले मरीजों को प्राइवेट सेंटर भेज दिया जाता है। यहां एक सुरक्षाकर्मी तैनात किया गया है। यह सुरक्षाकर्मी प्राइवेट सेंटरों के लिए काम करता है। इस लापरवाही का शिकार संजय गांधी अस्पताल के एक सुपरवाइजर के पिता भी हुए। उनकी एमआरआई नहीं की गई थी। बाद में इलाज सही समय पर नहीं मिलने पर निधन हो गया था।

आधी दर पर होती है जांच

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सीटी स्केन और एमआरआई की जांच एचआरडी से आधी दरों पर होती है। इसके बाद भी संजय गांधी अस्पताल और सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टर इन्हें आरएचडी या फिर बाहर के सेंटरों में भेजते हैं। इससे अस्पताल प्रबंधन को भी लाखों का नुकसान हो रहा है। कर्मचारियों को बैठा कर वेतन देना पड़ रहा है। इन कर्मचारियों के पास वर्तमान में कोई काम ही नहीं है।

दो महीने बाद अब जाकर पहुंची डाई

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एमआरआई मशीन तो लग गई लेकिन मरीजों को जांच के दौरान लगने वाली डाई का इंतजाम ही नहीं किया गया था। अब जाकर डाई अस्पताल पहुंची है। शुक्रवार को एमआरआई सेंटर को उपलब्ध होगी। इसके बाद ही मरीजों की जांच शुरू हो पाएगी। यही हाल संजय गांधी अस्पताल के सीटी स्केन सेंटर का भी हैं। यहां भी सब कुछ ठप है।

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