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मुंबई सीरियल ब्लास्ट के गुनहगारों को बाम्बे हाईकोर्ट ने किया बरी : केन्द्र ने SCका खटखटाया दरवाजा, महाराष्ट्र सरकार ने भी दी फैसले को चुनौती

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Author : admin

पब्लिश्ड : 22-07-2025 12:12 PM

अपडेटेड : 22-07-2025 08:26 AM

नई दिल्ली। वर्ष 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। सबूतों के अभाव में 19 साल बाद 12 आरोपियों को बरी कर दिया। आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट की ओर से इन्हें जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट इस फैसले ने देश की न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्था में हडकंप मच गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट इस फैसले पर केंद्र सरकार एक्शन आ गई। इतना ही नहीं सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अपील का संज्ञान लेते हुए कहा है कि वह इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट यह तय करेगा कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए या नहीं और मामले की आगे की सुनवाई किस दिशा में चलेगी। इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार की एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (एटीएस) ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

19 साल बाद आया फैसला

बता दें कि 2006 में मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने विशेष टाडा न्यायालय की ओर से दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। इनमें से 5 को मृत्युदंड और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। यह फैसला 19 साल बाद आया है। न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस चांडक की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों में कोई ठोस आधार नहीं था। कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

11 मिनट के अंदर सात जगहों पर हुए थे बम धमाके

यह मामला 11 जुलाई 2006 का है, जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में शाम के समय मात्र 11 मिनट के अंदर सात अलग-अलग जगहों पर सीरियल बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी और 827 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। नवंबर 2006 में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसके बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिसमें 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।

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