Latest News
सावन का तीसरा सोमवार : इंद्रदेव ने रिमझिम फुहारों से किया भोलेनाथ का जलाभिषेक, धार्मिक नगरी से काशी तक शिव भक्तों में दिखा उत्साह
भोपाल। आज सावन का तीसरा सोमवार है। ऐसे में भगवान भोलेनाथ के भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है। मप्र की धार्मिक नगरी उज्जैन और तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर से लेकर वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तक आस्थावानों का सैलाब उमड पडा है। भक्त सुबह से भगवान बोलेनाथ का दर्शन करने के साथ उनका जलाभिषेक कर रहे हैं। साथ मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ के जयघोष से गूंज रहे हैं। तीसरे सोमवार पर इन्द्र देव भी मेहरबान रहे। रिमझिम फुहारों के साथ भगवान महादेव का जलाभिषेक किया।
उज्जैन के महाकाल मंदिर में सोमवार तड़के 3 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। भगवान महाकाल का सबसे पहले जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद, फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया।इसके बाद बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार किया गया। श्री महाकालेश्वर को भस्म चढ़ाई गई। साथ ही शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला धारण की। बाबा को फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। भोले बाबा का ड्रायफ्रूट से आकर्षक श्रृंगार किया गया।
इसके बाद भक्तों के दर्शन करने का क्रम शुरू हुआ। अल सुबह भस्म आरती में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया। इस दौरान श्रद्धालु बाबा महाकाल की जयकारे भी लगा रहे थे। पूरा मंदिर बाबा के जयकारे से गुंजायमान हो रहा था। बाबा महाकाल का दर्शन करने के लिए भक्तों का रेला देखने को मिल रहा है। अब तक जहां हजारों भक्त भोलेनाथ का दर्शन कर चुके हैं। वहीं दूसरी ओर अभी भी लंबी-लंबी कतारे लगी हुई है।
तीर्थ नगरी में देखने को मिला आस्था का अनूठा संगम
वहीं श्रावण माह के तीसरे सोमवार को तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला। सुबह प्रातःकाल मंदिर के पट खुलने के साथ ही हजारों श्रद्धालुओं भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन को उमड़ पड़े। मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ और ‘जय नर्मदे’ के जयघोष से गूंज उठा। मंदिर के पुजारी पं. जगदीश परसाई द्वारा मंगल आरती के साथ ही दर्शन शुरू हो गए। श्रद्धालु सुबह से ही सुखदेव मुनि द्वार पर कतारों में लगकर अपने आराध्य के दर्शन के लिए पहुंचे। शाम 4 बजे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पंचमुखी मुखोटे का कोठीतीर्थ घाट पर 251 पवित्र घटों से पंचामृत महाभिषेक किया जाएगा। वहीं ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह में विशेष महाश्रृंगार संपन्न होगा। दोनों ही ज्योतिर्लिंगों की भव्य सवारियां भी नावों के माध्यम से नर्मदा नदी में नौका विहार करेंगी और नगर में शोभायात्रा के माध्यम से भक्तों को दर्शन देंगे।
काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड
इसी तरह वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर भक्तों की भारी भीड़ उमडी है। भीड को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने व्यापक व्यवस्था की, जिसमें प्रोटोकॉल स्पर्श दर्शन पर पूरी तरह रोक लगाई गई। बाबा विश्वनाथ इस दिन अर्धनारीश्वर स्वरूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। पुलिस और प्रशासन की कड़ी व्यवस्था के बीच भक्तों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ बाबा भोलेनाथ की आराधना की।
सावन का तीसरा सोमवार कई मायानों में खास
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया, दक्षिण भारत में उत्तर भारत के 15 दिन बाद सावन की शुरुआत होती है। इस वजह से और भी भीड़ जुटती है। सावन का तीसरा सोमवार कई मायनों में खास है। वहीं, भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए गए हैं। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात है और ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है। लाइन में लगकर श्रद्धालु व्यवस्थित रूप से बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर रहे हैं। भक्तों में उत्साह चरम पर है, और वे बाबा के दर्शन के लिए घंटों इंतजार करने को तैयार हैं।
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत का पहला सोमवार
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में 28 जुलाई को श्रावण का पहला सोमवार है, इसीलिए सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। बारह ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम ज्योतिर्लिंग माने जाने वाले वेरुल स्थित श्घृष्णेश्वरश् मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटी। उत्तर भारत में 15 दिन पहले ही श्रावण की शुरुआत हो जाती है, लेकिन महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में 15 दिन बाद श्रावण शुरू होता है।
Advertisement
Related Post