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रेपो रेट का ईएमआई से क्या है कनेक्शन : जानें और भी सब कुछ
प्रिशिता शर्मा की रिपोर्ट
इस साल आरबीआई ने तीन बार रेपो रेट कम कर दिए है...क्या आपकी ईएमआई कम हुई...लेकिन ये रेपो रेट का ईएमआई से क्या कनेक्शन है... और आरबीआई ने रेपो रेट क्यों कम किया है...हमारी ईएमआई तो बैंक में जाती है...कुछ समझ नहीं आ रहा है...तो कोई बात नहीं परेशान होने की जरूरत नहीं है।
क्या है रेपो रेट ?
सबसे पहले तो आप ये समझ लिजिए जैसे हमारे घर जो रोल पिताजी का होता है...ऐसे ही बैंकों के घर में पिताजी का रोल आरबीआई अदा करता है...बैंक कैसे काम करेंगी...क्या पॉलिसि होंगी...किस तरह की नीति होगी...ये तमाम नीतिगत फैसले तो घर में पिताजी लेते है...वहीं नीतिगत फैसले आरबीआई लेता है, जिसका संबंध हमारे और हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था पर असर डालता है...रेपो रेट भी उसी का एक हिस्सा है।?
हमे कर्ज की जरुरत है...घर बनाना है गाड़ी लेनी है....स्टार्टअप करना है...लोन लेना है....कहां जाएंगे बैंक के पास...बैंक देगा आपको लोन एक ब्याज दर पर...अब बैंक को कर्ज की जरुरत है बैंक कहा जाएगा...आईबीआई के पास बोलेगा भई पैसों की जरुरत है उधार दे दो...आरबीआई जिस ब्याज दर पर लोन बैंक को देगा वही कहलाता है रेपो रेट...अगर ये घटेगा बढ़ेगा तो हमको जो बैंक से लोन मिला है उसमें भी उतार चढ़ाव आएगा...हालांकि कुछ बैंक चालाकी भी करते है...जिससे आपकी ईएमआई कम न हो इसिलिए आपको ये जानकारी होना बेहद जरूरी है...
रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को पैसा उधार देता है...जब बैंकों को रुपयों की कमी होती है, तो वे आरबीआई से पैसे उधार लेते हैं, और यह उधार उन्हें एक निश्चित ब्याज दर पर मिलता है, जिसे रेपो दर कहा जाता है...
रेपो रेट का मतलब
पुनर्खरीद समझौता
रेपो रेट का मतलब है...पुनर्खरीद समझौते की दर...जो एक ऐसा समझौता है जिसमें बैंक, आरबीआई से उधार लेते समय अपनी शेयर को गिरवी रखते हैं, और बाद में एक तय तारीख पर उन्हें आरबीआई से वापस खरीद लेते हैं।
तरलता प्रबंधन लिक्विडिटी को मेनटेन करना
दूसरे शब्दों में, यह सुनिश्चित करना है कि बैंक के पास सही समय पर, सही जगह पर, और सही मात्रा में नकदी उपलब्ध हो रेपो रेट का उपयोग आरबीआई अर्थव्यवस्था में तरलता को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है...
मुद्रास्फीति नियंत्रण लिक्विडिटी महंगाई जिसके बारे में हम पहले एपिसोड में डिसकस कर चुके है
रेपो रेट में बदलाव लाकर, आरबीआई महंगाई को नियंत्रित करने का प्रयास करता है।
अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव
रेपो रेट कम ज्यादा होगा...महंगाई पर इसका असर होगा...जो हम कर्ज लेंगे बैंक से उसकी दरे भी प्रभावित होंगी...फिर उसी के हिसाब से हम खर्च करेंगे लोन लेंगे मार्केट में पैसा आएगा...जिससे अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है...
रेपो रेट और अर्थव्यवस्था
उच्च रेपो रेट आपस में कनेक्ट है कैसे...रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को लोन आरबीआई महंगा देगा...ज्यादा ब्याज दर...अगर बैंकों को लोन महंगा मिला तो बैंक आपको भी लोन महंगा देगी...आसान शब्दों में उधार लेना महंगा होगा...इसके कारण अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति कम हो जाएगी... और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
निम्न रेपो रेट
निम्न रेपो रेट मतलब कि बैंकों को आरबीआई से उधार लेना सस्ता होगा...जिससे वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर उधार देंगे... इससे क्या होगा अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति बढ़ जाएगी...और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा...यानि की इस साल जो तीन बार रेपो रेट कम हुआ है उससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था को बल मिला है....
भारत में वर्तमान रेपो रेट क्या है
भारत में वर्तमान रेपो रेट 5.50ः है...6 जून, 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक जो हर दो महिने में होती है...उसमें रेपो रेट को 50 आधार अंकों बेसिस काउंट घटाकर 6ः से 5.50ः कर दिया...जिससे लोन सस्ते हुए।
रिवर्स रेपो रेट क्या है ?
नाम से ही समझ में आता है...रिवर्स रेपो, रेपो रेट का विपरीत अनुबंध है...रिवर्स रेपो रेट वो दर है जिस पर त्ठप् देश के बैंकों से धन उधार लेता है...यह वह दर है जिस पर भारत में वाणिज्यिक बैंक अपनी अतिरिक्त धनराशि भारतीय रिजर्व बैंक के पास...आमतौर पर कुछ समय के लिए...जमा करते हैं... जैसे घर में गोल्ड का सामान है तो हम लॉकर लेते है बैंक में रखते है...वैसे ही जब बैंकों के पास ज्यादा पैसा आ जाता है...तो बैंक उस अतिरिक्त राशि को आरबीआई के पास रखता है...और वो राशि जिस ब्याज दर पर आरबीआई लेता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट के बीच अंतर क्या है
रेपो और रिवर्स रेपो दरों के बीच मुख्य अंतर यह है कि रेपो रेट वाणिज्यिक बैंकों को उधार देने के माध्यम से आय अर्जित करती है...जबकि रिवर्स रेपो दर भारतीय रिजर्व बैंक के पास जमा धनराशि पर ब्याज अर्जित करती है...
रिवर्स रेपो दर का उपयोग अर्थव्यवस्था की तरलता को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है, जबकि रेपो दर का उपयोग मुद्रास्फीति महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है...केंद्रीय बैंकों द्वारा रिवर्स रेपो रेट को हमेशा रेपो रेट से कम रखा जाता है...ताकी बाजार में फ्लो बना रहे....तो ऐसे काम करता है रेपो रेट का कम ज्यादा होना...जो सीधे आपसे जुड़ा है...
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