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आपरेशन सिंदूर : मोदी-ट्रंप के बीच इस दौरान नहीं हुई कोई सीधी बात, हमने पड़ोसी को दुनिया के सामने किया बेनकाब, LS में बोले जयशंकर
नई दिल्ली। आपरेशन सिंदूर को लेकर लोकसभा में बहस जारी है। सत्ता पक्ष की ओर से चर्चा की शुरूआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की और विपक्ष के आरोपों पर पर जवाब दिया। रक्षामंत्री के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन दावों का जवाब दिया, जिसको लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। इस दौरान जयशंकर ने पाकिस्तान को भी खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब किया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना जरूरी था। हमारी सीमाएं लांघी गई थीं और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे। इस दौरान उन्होंने यह भी साफ किया कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई सीधी बातचीत नहीं हुई। जयशंकर ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान पर भारत के जवाबी हमलों के बाद भारत को ऐसे फोन कॉल आए, जिनसे संकेत मिलने लगे थे कि पाकिस्तान अब हार मान चुका है।
पहलगाम हमले के जवाब में नहीं रुकेगी कार्रवाई
हालांकि, भारत ने साफ किया कि ऐसा कोई भी अनुरोध पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक की ओर से औपचारिक रूप से आना चाहिए था। इसलिए हमने पाकिस्तान की ओर से गुहार लगाए जाने के बाद ही अपनी कार्रवाई पर ब्रेक लगाया। जयशंकर ने कहा, "पहलगाम हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई यहीं नहीं रुकेगी। कूटनीतिक दृष्टिकोण से हमारा लक्ष्य था कि दुनिया को इस हमले का सही अर्थ समझाया जाए। हमने पाकिस्तान के लंबे समय से चल रहे सीमा पार आतंकवाद के इतिहास को उजागर किया और बताया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और भारत में सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए किया गया था।"
केवल तीन देशों ने आपरेशन सिंदूर का विरोध
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "हमने दूतावासों को ब्रीफिंग देने के साथ ही मीडिया में भी यह जानकारी दी कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है। हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के बारे में बताया और कहा कि हमारी रेड लाइन पार कर गई, तब हमें सख्त कदम उठाने पड़े। हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब किया है। सिक्योरिटी काउंसिल में पाकिस्तान समेत केवल तीन देशों ने ही 'आपरेशन सिंदूर' का विरोध किया। यूएन के 193 में से तीन सदस्यों ने ही इस आॅपरेशन का विरोध किया।"
हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर था
विदेश मंत्री जयशंकर ने 'आपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में बोलते हुए कहा, "हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर था। चुनौती यह थी कि इस समय पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है, जबकि भारत नहीं है। हमारा लक्ष्य दो चीजें हासिल करना था। पहला सुरक्षा परिषद से इस बात की पुष्टि करवाना कि इस हमले के लिए जवाबदेही जरूरी है। साथ ही हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना है।"
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने की आतंकी हमले की निंदा
विदेश मंत्री ने कहा कि 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान में परिषद के सदस्यों ने इस आतंकी हमले की कठोर शब्दों में निंदा की। उन्होंने पुष्टि की है कि आतंकवाद, अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिषद ने इस निंदनीय आतंकी कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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