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नई दिल्ली। उन्नाव रेप केस के दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की सजा सस्पेंड करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि जमानत मिलने के बाद भी सेंगर जेल से बाहर नहीं आ सकता है। अदालत की पीठ ने सेंगर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो की उस याचिका पर सुनवाई की। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में यह दलील भी कि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम थी। इस मामले में अपील लंबित है। सीबीआई के वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त को निर्विवाद रूप से आईपीसी की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया। धारा 376 91) में न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम सजा आजीवन कारावास है। तुषार मेहता ने कहा कि धारा 376(2) के तहत न्यूनतम सजा 20 वर्ष है और अधिकतम सजा अभियुक्त के जैविक जीवन के अंत तक कारावास है। पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम थी, इसलिए यह मामला गंभीर सजा के अंतर्गत आएगा।
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने शीर्ष अदालत का किया रुख
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी थी, जिसके बाद सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। इस मामले में अधिवक्ता अंजलि पटेल और पूजा शिल्पकार की ओर से दायर याचिकाओं पर भी सुनवाई होनी है। उन्नाव दुष्कर्म मामला देश के सबसे संवेदनशील और चर्चित मामलों में से एक रहा है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का रुख बेहद अहम माना जा रहा है।
पीड़ित पक्ष का बयान- सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा
इससे पहले उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता और उसकी मां ने रविवार को जंतर मंतर पर कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में हाथों में बैनर व तख्तियां लिए पहुंचे। पीड़िता की मां ने बताया कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है और उन्हें उम्मीद है कि वहां से उन्हें न्याय मिलेगा। उन्होंने बताया कि उनपर केस वापस लेने का दवाब बनाया जा रहा है। हम बिना किसी डर के अपनी कानूनी लड़ाई लड़ना चाहती है और इसके लिए उसे सुरक्षा की जरूरत है। पीड़िता ने कहा मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करती हूं कि मुझे इस तरह सुरक्षा दी जाए, जिससे मैं निडर होकर अपनी लड़ाई लड़ सकूं।
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