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मुंबई। भारतीय सिनेमा में नवाजुद्दीन सिद्दीकी उन अभिनेताओं में गिने जाते हैं, जिन्होंने अपने अभिनय से हर बार दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया है। वह अपने किरदारों को सिर्फ निभाते नहीं, बल्कि उन्हें जीते हैं। इसी वजह से उनके निभाए किरदार लंबे समय तक लोगों के मन में बसे रहते हैं। इस बीच नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'रात अकेली है' के सीक्वल 'रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स' में इंस्पेक्टर जटिल यादव के किरदार को लेकर बड़ा बयान दिया। इस मौके पर उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि सालों बाद उसी किरदार में लौटना उनके लिए एक भावनात्मक भरा सफर रहा।
नवाजुद्दीन ने कहा, "जब मैं दोबारा जटिल यादव के किरदार में लौटा, तो यह सिर्फ एक रोल नहीं था, बल्कि खुद को और किरदार दोनों को नए नजरिए से समझने की प्रक्रिया थी। समय के साथ इंसान बदलता है, उसकी सोच बदलती है, और यही बदलाव किरदार में भी नजर आया। जटिल अब पहले जैसा नहीं रहा। जिंदगी, समय और अलग-अलग केस ने उसे भीतर से बदल दिया है, लेकिन एक बात जो बिल्कुल नहीं बदली, वह है उसका सच के प्रति रिश्ता। जटिल आज भी हर केस को निष्पक्ष नजर से देखता है और किसी भी दबाव के आगे झुककर सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ता।"
अभिनेता ने कहा, ''जटिल अपने जज्बातों को खुलकर जाहिर नहीं करता। इस किरदार को निभाने के लिए मुझे खुद के भीतर और गहराई तक जाना पड़ा, क्योंकि ऐसे किरदार को निभाने के लिए शांति जरूरी होती है। कई बार डायलॉग्स से ज्यादा खामोशी बोलती है। खासकर तब, जब किरदार एक छोटे शहर का पुलिस अधिकारी हो और उसे ताकतवर लोगों और व्यवस्था के सामने खड़ा होना पड़े।''
नवाजुद्दीन ने कहा, ''यह अनुभव मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। जटिल अपने अतीत को आज भी अपने साथ लेकर चलता है। उसके पुराने अनुभव, उसकी असफलताएं और संघर्ष नए केस को देखने के उसके नजरिए को प्रभावित करते हैं। एक अभिनेता के तौर पर सालों बाद उसी किरदार को दोबारा निभाना आसान नहीं होता। इसके लिए खुद को याद दिलाना पड़ता है कि पहले वह इंसान कौन था और अब समय के साथ वह कैसे बदला है। यही बदलाव किरदार में भी साफ दिखाई देना चाहिए।''
डायरेक्टर हनी त्रेहन के साथ दोबारा काम करने के अनुभव पर बात करते हुए नवाजुद्दीन ने कहा, ''हनी फिल्म की दुनिया को बहुत संवेदनशील तरीके से समझते हैं। उनका निर्देशन बेहद सटीक होता है। वह सस्पेंस पैदा करने के लिए शोर या ज्यादा डॉयलॉग्स का सहारा नहीं लेते, बल्कि खामोशी, ठहराव और अनकही बातों से माहौल बनाते हैं। यही चीज फिल्म को और ज्यादा असरदार बनाती है।''
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