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नई दिल्ली। नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रूस की पब्लिक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने एसजे-100 नागरिक विमान के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। दोनों कंपनियों ने इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
गौरतलब है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की अग्रणी विमानन कंपनी है। एचएएल भारतीय वायुसेना के लिए आधुनिक लड़ाकू विमानों का निर्माण भी कर रही है। एचएएल के मुताबिक यह समझौता 27 अक्टूबर को रूस की राजधानी मॉस्को में किया गया। यहां एचएएल के प्रभात रंजन और यूएसी रूस के ओलेग बोगोमोलोव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एचएएल के सीएमडी डॉ. डीके. सुनील और यूएसी के डायरेक्टर जनरल भी उपस्थित थे।
भारत के लिए गेम चेंजर साबित होगा विमान
माना जा रहा है एसजे-100, भारत के लिए गेम-चेंजर विमान साबित हो सकता है। दरअसल एसजे-100 एक ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी कम्यूटर एयरक्राफ्ट है। इसका उपयोग क्षेत्रीय और शॉर्ट-हॉल यात्राओं के लिए किया जाता है। अब तक दुनियाभर में 200 से अधिक विमान निर्मित किए जा चुके हैं और इन्हें 16 से अधिक वाणिज्यिक एयरलाइंस द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह विमान भारत की उड़ान योजना के तहत क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देने में गेम चेंजर साबित होगा। समझौते के तहत, एचएएल को भारत में घरेलू ग्राहकों के लिए एसजे-100 विमान का निर्माण करने का विशेष अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही भारतीय विमानन इतिहास में यह एक नया अध्याय जुड़ रहा है।
समझौता विश्वास और तकनीकी साझेदारी का प्रमाण
एचएएल का मानना है कि यह समझौता भारत और रूस के बीच दशकों से चली आ रही विश्वास और तकनीकी साझेदारी का प्रमाण है। विशेष बात यह है कि यह पहली बार होगा जब भारत में एक संपूर्ण यात्री विमान का निर्माण किया जाएगा। इससे पहले, भारत में एचएएल द्वारा निर्मित एव्रो एचएस-748 विमान का उत्पादन 1961 से 1988 तक हुआ था। अगले 10 वर्षों में भारत को 200 से अधिक ऐसे विमानों की आवश्यकता होगी, जो क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करेंगे।
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