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एशिया कप : मोदी ने जीता पाकिस्तान का मैच, पीएम की कूटनीति और राजनीतिक सोच का विश्लेषण
प्रसन्न शहाणे
एशिया कप में पाकिस्तान पर भारत की जीत सिर्फ खेल का नतीजा नहीं थी, बल्कि एक गहरी सोच और राजनीतिक संदेश का हिस्सा भी थी। कप्तान यादव ने यह जीत पहलगाम हमले के पीड़ितों और हमारे सुरक्षा बलों को समर्पित की, यानी मोदी ने पूरी प्लानिंग से टीम इंडिया को एशिया कप खेलने भेजा था ,,प ,, भारत के पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संबंधों पर हल्ला मचा रहा पूरा विपक्ष अब समझ पाया होगा कि आखिर पाकिस्तान के साथ खेलने की अनुमति देने के पीछे सोच क्या थी,,,इसी मास्टर स्ट्रोक के कारण मोदी सरकार और भाजपा विपक्ष के हो हल्ले को तवज्जो नहीं दे रहे थे।
भारत–पाकिस्तान का मुकाबला हमेशा भावनाओं से जुड़ा होता है। मोदी ने इस जीत को महज क्रिकेट नहीं रहने दिया, बल्कि इसे देश की ताकत और आत्मविश्वास का प्रतीक बनाया। यह दिखाया गया कि भारत पाकिस्तान को केवल सीमा पर ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में पछाड़ने की क्षमता रखता है। विपक्ष ने पाकिस्तान से खेलने पर सवाल उठाए, लेकिन मोदी ने यह दिखाया कि असली ताकत खेलने से इनकार में नहीं, बल्कि मैदान में हराकर ऐसा जवाब देने में है जिससे पाकिस्तान फिर से तिलमिला जाए मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंच से इस जीत को पाकिस्तान की नाकामी के तौर पर पेश किया।
इससे न सिर्फ भारत की छवि मजबूत हुई बल्कि दुनिया के सामने पाकिस्तान फिर कटघरे में खड़ा हो गया। घरेलू राजनीति में भी इसका असर देखने को मिलेगा क्योंकि मोदी के इस स्ट्रेट डाइव से विपक्ष आश्चर्यचकित होगा कि मोदी ने किस तरह इतने बड़े मंच से अपने कप्तान के जरिए पाकिस्तान की फजीहत करवा दी,,, मोदी ने इस पूरे घटनाक्रम को देश की जनता की भावनाओं से जोड़ा। कप्तान यादव ने आतंकवाद के पीड़ितों और सैनिकों का ज़िक्र करके उन्होंने जीत को राष्ट्रीय गर्व का हिस्सा बना दिया, जिससे विपक्ष के लिए सरकार पर सवाल उठाना मुश्किल हो गया।
साफ है कि मोदी ने क्रिकेट की इस जीत को राजनीति और कूटनीति दोनों में बड़े हथियार की तरह इस्तेमाल किया। एक ओर दुनिया को संदेश दिया कि भारत हर मोर्चे पर पाकिस्तान से मजबूत है, और दूसरी ओर देश के भीतर जनता की भावनाओं को अपने पक्ष में साध लिया।
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