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पंजाब में जल प्लावन : विनाशकारी बाढ़ में डूबे 1902 गांव, अब तक 43 की मौत, 1.71 लाख हेक्टेयर में फैली फसलें बर्बाद
चंडीगढ़। पंजाब इन दिनों विनाशकारी बाढ़ के आगोश में है। इस प्राकृतिक आपदा का कहर राज्य के 23 जिलों में देखने को मिल रहा है। इन जिलों के 1902 गांव पूरी तरह से जलमग्न है। इतना ही यह बाढ़ में जहां अब तक 43 लोगों की बलि ले चुकी है। वहीं 20,972 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। जबकि 1.71 लाख हेक्टेयर में फैली फसलें बर्बाद हो गई हैं।
पंजाब के राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियन ने कहा कि अभूतपूर्व बाढ़ के कारण 23 जिलों के कुल 1,902 गांव प्रभावित हुए हैं, जिससे 3.84 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित हुई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 20,972 लोगों को निकाला गया है। 24 घंटे में छह और लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही 14 जिलों में मृतकों की संख्या बढ़कर अब 43 हो गई है। वहीं मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक गांव में एक गजटेड अधिकारी को तैनात किया गया है। उनका कहना है कि इससे प्रभावित लोगों की समस्याएं आसानी से प्रशासन तक पहुंच सकेंगी, जिससे समस्या का समाधान तुरंत हो सके।. राज्य सरकार ने बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी का आदेश दिया है।
भाखड़ा डैम का जलस्तर खतरे के निशान से मात्र एक फीट नीचे
हिमाचल के ऊपरी क्षेत्रों में हो रही जोरदार बारिश व बादल फटने की घटनाओं के चलते भाखड़ा डैम के जल स्तर में तेजी से होती वृद्धि को देखते हुए बीबीएमबी मैनेजमेंट से चारों फ्लड गेट 9-9 फीट तक खोल दिए। मिली जानकारी के अनुसार एक लाख से भी अधिक पानी की आमद के साथ भाखड़ा डैम का जलस्तर 1679 फीट पर पहुंच गया था। इस दौरान ट्रबाइनों व फ्लड गेटों के माध्यम से कुल 85 हजार क्यूसेक पानी की निकासी कर सतलुज दरिया के किनारे बसे निचले ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत मचा दी हालांकि डीसी रूपनगर वर्जित वालिया और शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने सुबह ही लोगों से अपने अपने घर छोड़ सुरक्षित स्थानों की ओर चले जाने को कह दिया था।
भाखड़ा डैम से छोड़े गए 85 हजार क्यूसेक पानी में से नंगल डैम से निकलने वाली नंगल हाइडल व श्री आनंदपुर साहिब हाइडल नहर में 9-9 हजार जबकि सतलुज दरिया में 67 हजार क्यूसेक पानी जा रहा है जिससे हर्षा बेला, पत्ती दुचली, पत्ती टेक सिंह,सैंसोंवाल, बेला ध्यानी, बेला ध्यानी लोअर, बेला राम गढ़, शिव सिंह बेला, प्लासी, सिंघपुरा, जोहल, तर्फ मजारी, भलाण, कलित्रा, दड़ोली लोअर व दबखेड़ा में खतरा बढ़ गया है।
लुधियाना में कमजोर पड़ा बांध
पानी ने लुधियाना में भी असर दिखाना शुरू कर दिया। पहले शनिगांव डूबने के बाद अब सतलुज दरिया के किनारे बसे ससराली कॉलोनी इलाके में बांध कमजोर हो गया है। बांध कमजोर होने का पता चलते ही कैबीनेट मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां और डिप्टी कमिश्नर हिमांशु जैन मौके पर पहुंच गए। उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी सरकार को दी और सेना को बुलाना पड़ा। शुक्रवार की सुबह से पानी आने से पूरे गांव और आसपास के एरिया को खाली करवा दिया गया है।
बांध कमजोर होने की सूचना मिलते ही सेना ने ससराली काॅलोनी इलाके में मोर्चा संभाल लिया है। उनके साथ एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई है। जो बांध को पक्का करने का काम जारी कर दिया है। इसके साथ साथ प्रशासन किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता। प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की तैयारी कर ली है और लोगों को किसी ऊंचे स्थान पर जाने को कह दिया है ताकि कोई अनहोनी न हो। इसी तरह धुस्सी बांध का भी डिप्टी कमिश्नर हिमांशु जैन ने दौरा किया। फिलहाल लुधियाना में अभी किसी बड़े इलाके में पानी नहीं आया है लेकिन दरिया के आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों को प्रशासन ने अलर्ट किया हुआ है।
पठानकोट में दरके पहाड़, रास्ते हुए बंद
पठानकोट में पहाड़ों का दरकना लगातार जारी है। शाहपुरकंडी डैम साइड जुगियाल-धारकलां रोड पर बारिश की वजह से एक केरू पहाड़ का मलबा गिरने से यातायात ठप हो गया है। वहीं, चक्की खड्ड के पास भी एक पहाड़ दरक खड्ड में गिरा है। चक्की खड्ड में कटाव की वजह से पहाड़ गिरने लगे है। दूसरा डैम साइड रोड पर पहाड़ का भारी मलबा गिरने से रोड बंद होने से लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
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