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नोएडा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। बुधवार की वायु गुणवत्ता पिछले दिनों की तुलना में और भी भयावह हो गई है। दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अनेक इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से 430 के खतरनाक स्तर को पार करते हुए 450 के आसपास पहुंच गया है, जिससे पूरा इलाका एक गैस चैंबर में तब्दील हो गया लगता है। इस भीषण प्रदूषण का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है और सांस, त्वचा समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अस्पतालों में तेजी से बढ़ रही है।
वायु प्रदूषण से जुड़े आंकड़े चैंकाने वाले हैं। दिल्ली में, आनंद विहार (402), चांदनी चैक (430), विवेक विहार (410) और वजीरपुर (402) जैसे इलाके खतरनाक श्रेणी में पहुंच चुके हैं। आरके पुरम और रोहिणी में भी एक्यूआई 418 दर्ज किया गया है। नोएडा की स्थिति इससे बेहतर नहीं है, जहां सेक्टर-116 (406), सेक्टर-125 (405) और सेक्टर-1 (397) में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब से गंभीर स्तर पर है। गाजियाबाद में भी इंदिरापुरम में 410, लोनी में 428 एक्यूआई बना हुआ है। इस भीषण प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
सांस की बीमारियों का बढ़ा खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्तर की खराब वायु गुणवत्ता पर लंबे समय तक रहने से सांस की बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। अस्पतालों के आपातकालीन विभागों और श्वास रोग विशेषज्ञों के क्लीनिकों में मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी जा रही है। न केवल अस्थमा और सीओपीडी जैसी पुरानी बीमारियों के मरीजों में समस्या बढ़ रही है, बल्कि स्वस्थ लोग भी आंखों में जलन, गले में खराश, लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं।
बच्चों और बुजुर्गों को सावधान रहने की सलाह
बच्चों और बुजुर्गों को इस स्थिति में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। इस संकट के पीछे मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां, जैसे कम हवा की गति और ठंड का बढ़ना, प्रमुख कारण माने जा रहे हैं, जो प्रदूषकों को फैलने से रोक रही हैं। हालांकि, वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं, निर्माण गतिविधियां, और पराली जलाने जैसे स्थानीय स्रोत भी इस समस्या में इजाफा कर रहे हैं।
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