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मुंबई। महंगाई के मोर्चे में आम आदमी को बड़ी राहत मिली है। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर दी है। मुंबई में चली तीन दिन की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती का ऐलान किया, जिसके बाद रेपो रेट अब 5.50 प्रतिशत से कम होकर 5.25 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा, मौद्रिक नीति के रुख को न्यूट्रल रखा गया है।
आरबीआई के इस कदम से आपके होम लोन की ईएमआई कम हो जाएगी. साथ ही बैंक कम रेट पर लोन ऑफर कर सकते हैं। आरबीआई गवर्नर के अनुसार, केंद्रीय बैंक 1 लाख करोड़ रुपए की सरकारी सिक्योरिटीज खरीदकर ओपन मार्केट ऑपरेशंस के जरिए इकोनॉमी में लिक्विडिटी ऐड करेगा। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक 5 बिलियन डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप अरेंजमेंट भी करेगा। केंद्रीय बैंक ने स्टैंडिग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) रेट को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है, जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट को घटाकर 5.50 प्रतिशत कर दिया गया है।
आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत दे रहे आंकड़े
आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत दे रहे हैं। वहीं, जीएसटी रेशनलाइजेशन, कृषि में बेहतर संभावनाएं और कंपनियों के बेहतर बही-खाते जैसे कारक आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देंगे। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7.3 प्रतिशत लगाया है। पहले, जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.8 प्रतिशत रखा गया था। वहीं, इस वर्ष दिसंबर तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत, अगले वर्ष मार्च तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत, जून तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत और सितंबर तिमाही के लिए 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 2 फीसदी रहने का अनुमान
वहीं, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई 2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जो कि पहले 2.6 प्रतिशत अनुमानित थी। आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि देश का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़कर 686 बिलियन डॉलर हो गया है, जो 11 महीने का मजबूत इंपोर्ट कवर देने के लिए काफी है।
आरबीआई गवर्नर ने रेपो रेट में कटौती के दिए थे संके
इससे पहले, आरबीआई गवर्नर ने बीते हफ्ते संकेत दिया था कि अच्छे मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स की वजह से 5 दिसंबर को मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू मीटिंग में ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश है।
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