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इंदौर-भोपाल। देश के सबसे स्वच्छ शहर और मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने से अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों अस्पतालों में भती हैं। इस दर्दनाक मामले को लेकर सूबे के मुखिया मोहन यादव ने कड़ा रुख अपनाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त एक्शन लिया है। सीएम ने जोनल अधिकारी और सहायक यंत्री को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि प्रभारी उपयंत्री पीएचई तत्काल प्रभाव से सेवाएं समाप्ति का आदेश जारी हो गया है।
दरअसल, भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने के बाद लोगों को उल्टी की शिकायत हुई, जिनमें से कई लोग अस्पताल में पहुंचे। अस्पताल पहुंचे लोगों में से 7 की अब तक मौत हो चुकी है। इस घटना पर सीएम ने जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की है, वहीं बीमार मरीजों के उपचार और मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख की आर्थिक सहायता भी देने के निर्देश दिए हैं।
सीएम ने इलाजरत पीड़ितों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि इंदौर शहर के भागीरथपुरा क्षेत्र में हुई घटना बेहद दुखद है। उन्होंने मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इलाजरत प्रभावितों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। इसके साथ ही सीएम ने इस हादसे में क्षेत्र का दायित्व संभालने वाले अधिकारियों पर कारवाई के निर्देश दिए हैं।
इन पर गिरी गाज
इस संबंध में कलेक्टर शिवम वर्मा ने बताया कि भागीरथपुरा मामले में जोनल अधिकारी शालिग्राम सितोले और सहायक यंत्री योगेश जोशी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है और प्रभारी उपयंत्री पीएचई शुभम श्रीवास्तव को तत्काल प्रभाव से सेवा से पृथक किया गया है।
जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित
साथ ही इस पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति गठित की गई है। समिति आईएएस नवजीवन पंवार के निर्देशन में जांच करेगी। समिति में प्रदीप निगम, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शैलेश राय को भी शामिल किया गया है।
पाइपलाइन में गंदा पानी मिलने की आशंका
बताया गया है कि इंदौर में पानी की आपूर्ति खरगोन जिले के जलुद स्थित नर्मदा पंपिंग स्टेशन से की जाती है और आशंका इस बात की है कि पाइपलाइन में कहीं गंदा पानी मिल गया था और उसी के चलते लोगों की तबीयत बिगड़ी है।
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