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भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सोमवार को 1 से 3 दिसंबर तक होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ किया। सीएम ने राज्यस्तरीय कार्यक्रम की शुरुआत उज्जैन के दशहरा मैदान में भगवान श्रीकृष्ण के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की। इसके साथ ही प्रदेश के दस संभाग के 55 जिला मुख्यालयों ओर 313 विकास खंडों में तीन लाख गीता प्रेमियों द्वारा श्रीमद भागवत गीता के 15वे अध्याय का सस्वर पाठ शुरू किया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी को गीता जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जगत के गुरु भगवान श्रीकृष्ण को हम सभी नमन करते हैं। कुरूक्षेत्र के युद्ध स्थल में मोहग्रस्त अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिये गये उपदेश को समझने व आत्मसात करने के लिए प्रदेश में गीता जयंती से अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
पवित्र नगरी ने हर युग में बनाए रखा अपने महत्व को
सीएम ने कहा कि पवित्र नगरी उज्जैन ने हर काल, हर परिस्थिति और हर युग में अपने महत्व को बनाए रखा है। आज से लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया था, और उसके पश्चात उन्होंने उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में आकर महर्षि सांदीपनि से विद्या प्राप्त की थी। सांदीपनि आश्रम में बिना किसी भेदभाव के सभी शिष्यों को एक समान विद्या-अध्ययन करवाया जाता था। भगवान श्री कृष्ण ने जन्म से ही कई संकटों को पार करते हुए विकट परिस्थितियों में भी सहज रहकर संकटों का सामना करना हम सभी को सिखाया।
राज्यों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया भगवद्गीता को
कंस वध के पश्चात उन्होंने अपने नाना उग्रसेन को राज्य हस्तांतरित किया और स्वयं उज्जैन में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आये। यहां से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात पूरे विश्व को उनके व्यक्त्वि ने प्रभावित किया। वर्तमान में विद्या अध्ययन कर रहे सभी विद्यार्थियों को इससे प्रेरणा लेना चाहिए कि जीवन में शिक्षा का महत्व सर्वाधिक होता है। नई शिक्षा नीति के तहत श्री भगवद्गीता को कुछ राज्यों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है और कई राज्यों ने इसे अपनी शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाने के लिए कदम उठाए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देना है।
गुरु महषि सांदीपनि ने पहचाना श्रीकृष्ण के गुणों को
सीएम ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के गुरु महर्षि सांदीपनि ने उनके गुणों को पहचाना तथा अपना सम्पूर्ण ज्ञान उन्हें दिया। भगवान श्रीकृष्ण इसके पश्चात ही जगत गुरू बने। कर्मयोग का ज्ञान देते हुए उन्होंने सम्पूर्ण विश्व में धर्म की स्थापना की और जन-तंत्र के सबसे बड़े नायक बनें। कुरुक्षेत्र के युद्ध में श्रीकृष्ण की सेना को कौरवों की तरफ से युद्ध करना पड़ा था। युद्ध स्थल में विपरीत परिस्थितियों में भी डटकर संकट का सामना करने का संदेश हम सभी को श्रीकृष्ण ने दिया।
श्रीकृष्ण के अन्याय के खिलाफ लड़ना सिखाया
श्रीकृष्ण ने सदैव हमें अन्याय के विरुद्ध लड़ना सिखाया है। भगवद्गीता में जीवन का सार है। इससे बढ़कर कोई ग्रंथ नहीं है। भगवद्गीता हमें जीवन में कठिन समय में भी अपने कर्तव्य को निरंतर करते रहना सिखाती है। भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिये गये उपदेश हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। जीवन की सभी समस्याओं का हल हमें भगवद्गीता में मिल जाता है। भगवद्गीता का पाठ हम सभी को नियमित रूप से करना चाहिए। भगवद्गीता हमें ईश्वर का स्मरण करते हुए अपने कर्मों को करते रखना सिखाती है।
गीता भवन बनेंगे संस्कृति के केन्द्र
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गीता को हर स्कूली बच्चे के बस्ते में होना चाहिए। गीता जयंती के अवसर पर इंदौर को गीता भवन की सौगात मिलेगी। प्रदेश के प्रत्येक नगरीय निकाय में गीता भवनों का निर्माण कराया जा रहा है। यह ऐसे स्थान होंगे, जहां लाइब्रेरी और कंप्यूटर साइंस के गुर भी सिखाए जाएंगे। गीता भवन भविष्य में हमारी संस्कृति के बड़े केंद्र बनेंगे।
भगवान श्री कृष्ण जनतंत्र व गणतंत्र के नायक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महाभारत के युद्ध में द्वारकाधीश श्रीकृष्ण की सेना कौरवों के लिए लड़ी थी, लेकिन वे स्वयं पांडवों के साथ थे। उन्होंने कर्म और धर्म मार्ग के सिद्धांत को सर्वोपरि रखा। भगवान श्रीकृष्ण जनतंत्र और गणतंत्र के नायक हैं। बताया जाता है कि उन्होंने द्वारिका में अपने पुत्र को राज सिंहासन पर नहीं बिठाया, बल्कि एक शिष्य को गद्दी सौंप दी थी।
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